कटिहार के कई प्रखंडों में बारिश की बूंदों से लगता है डर, रूक जाती है शादी
कटिहार के बरसात के समय आधा दर्जन से अधिक पंचायतों में रूक जाती है शादी। प्राणपुर व आजमनगर प्रखंड को जोड़ने वाली रजपुतिया पुल ध्वस्त है। हजारों की आबादी प्रभावित है। बाढ़ व बरसात के समय नाव ही एक मात्र साधन है।
संवाद सूत्र, प्राणपुर (कटिहार)। जिले के प्राणपुर व आजमनगर प्रखंड को जोड़ने वाली ध्वस्त रजपुतिया पुल दिन-प्रतिदिन हजारों की आबादी को दर्द दे रहा है। बाढ़ व बरसात के समय लोगों के आवागमन का एक मात्र साधन नाव ही रह जाता है। ग्रामीण अपनी जान को जोखिम में डालकर इस होकर नाव से आवागमन करते है। यहां साल के तीन से चार महीने महीने पुल के चारों तरफ बरसात और बाढ़ का पानी जमा रहता है। जिस कारण आस-पास के आधा दर्जन से अधिक पंचायतों के लिए आवागमन का कोई साधन नहीं होने के कारण चार महीने शादी-विवाह तक रूक जाती है। दो पहिया व चार पहिया वाहनों का आवागमन पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है।
बताते चलें कि वर्ष 2017 के विनाशकारी बाढ़ में उक्त पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। चार वर्ष गुजर जाने के बावजूद यहां अब तक पुल का निर्माण नहीं हो सका। प्राणपुर के धरहन पंचायत, पथरवार पंचायत, काठघर पंचायत, बस्तौल पंचायत आजमनगर के बैरिया पंचायत, सिंघोल पंचायत, शीतलपुर पंचायत सहित कई पंचायतों के दर्जनों गांव के लोगों का प्रतिदिन इस होकर आवागमन होता है। पुल के नहीं रहने से लोग किसी तरह पुल के बगल से सूखे समय में तो आवागमन कर लेते हैं। लेकिन बरसात के समय लोगों को इस होकर आने-जाने में काफी मुश्किल होती है। किसानों को बड़ी वाहनों में अपने समान बाजारों तक पहुंचाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
यहां तक कि पुल के टूटे रहने से बाढ़ व बरसात के समय इन पंचायतों के दर्जनों गांव के लड़कों व लड़कियों की शादी - विवाह भी रुक जाती है। क्योंकि पुल के टूटे होने से बारात की गाड़ी गंतव्य तक नहीं पहुंच सकती है। इसलिए इन पंचायतों में वर्ष के जुलाई, अगस्त, सितंबर एवं अक्टूबर में शादी नहीं के बराबर होती है। इन महीनों में बेटियों को अपने मायके व लड़कों को अपने ससुराल आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। चुनाव के समय नेताजी बड़े-बड़े वादे कर चले जाते हैं। चुनाव बीत जाने पर सब भूल जाते हैं। ग्रामीण प्रो राजेन्द्रनाथ मंडल, मुस्ताक आलम, प्रमोद मेहता सहित कई लोगों ने बताया कि पुल के निर्माण को लेकर कई बार स्थानीय मंत्री को अवगत कराया गया। जिलाधिकारी को भी लिखित आवेदन दिया गया। लेकिन पुल के ध्वस्त हुए चार वर्ष बीत जाने पर भी अब तक कुछ नहीं हुआ। जिस कारण हजारों की आबादी प्रभावित हो रही है।