नेताओं के लिए गले की फांस बनी 153 एक्ट की कार्रवाई, भागलपुर के कई नेता को बनाया आरोपित

रेलवे कांग्रेस राजद छात्र यूनियन के कई नेताओं को आरपीएफ ने गैर जमानती धारा में बनाना शुरू कर दिया है आरोपित। पांच साल की सजा होने के डर से रेलवे को निशाना बनाने से परहेज करने लगे हैं प्रदर्शनकारी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 11:21 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 11:21 AM (IST)
नेताओं के लिए गले की फांस बनी 153 एक्ट की कार्रवाई, भागलपुर के कई नेता को बनाया आरोपित
भागलपुर रेलवे जंक्‍शन पर सुरक्षा के इंतजाम। फाइल फोटो।

भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]। 153 एक्ट की कार्रवाई नेताओं और प्रदर्शनकारियों के गले की फांस बन गई है। दरअसल, जब भी कहीं कोई आंदोलन या प्रदर्शन होता है तो प्रदर्शनकारियों का सबसे साफ्ट टारगेट रेलवे होता है। राजनीतिक पार्टियां हों या छात्र यूनियन, सभी अपनी मांगों को मनवाने के लिए रेलवे को निशाना बनाते हैं। इंजन पर या उसके आगे पटरी बैठकर ट्रेनों का परिचालन बाधित कर देते हैं।

चूंकि अक्सर ट्रेन रोकने वाले प्रदर्शनकारियों पर धारा-145 (न्यूसेंस उत्पन्न करना), धारा-146 (सरकारी कार्यों में बाधा डालना), धारा-147, धारा-174 (रेल रोकना, ट्रेनों का परिचालन बाधित करना) आदि जमानतीय धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाता है। धारा 174 में केस करने पर आरोपितों को दो हजार जुर्माना या फिर दो साल की सजा होती है। धारा-174 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करने पर इसमें थाने से भी जमानत मिल सकती है। दो हजार जुर्माना राशि देने के बाद केस से मुक्त हो जाते हैं। लेकिन योगदान देने के बाद आरपीएफ इंस्पेक्टर अनिल कुमार ङ्क्षसह द्वारा रेलवे को निशाना बनाने वाले प्रदर्शनकरियों पर शिकंजा कसने की दिशा में कार्रवाई की गई। ट्रेनों का परिचालन बाधित करने वाले प्रदर्शनकारियों पर अन्य धाराओं के साथ 153 एक्ट (आपकी हरकतों से यात्रियों पर खतरा होता है, खतरे की अंदेशा रहता है) भी लगाया गया है। गैर जमानती धारा में केस करने पर आरोपितों को पांच साल की सजा हो सकती है। इस धारा में जुर्माना देकर आरोपित केस से मुक्त नहीं हो सकता है। इस एक्ट में पांच साल की सजा होती है। कांग्रेस नेता प्रवीण सिंह कुशवाहा, विपिन बिहारी यादव, मुजफ्फर अहमद, अनामिका शर्मा, राजद नेता चक्रपाणि हिमांशु के अलावा ङ्क्षमटू कुरैशी, अशोक कुमार आलोक, प्रशांत बनर्जी, अमित आनंद, सियाराम दास, रंजन दास, त्रिवेणी दास, नंदन दास, रितेश रंजन कुमार व शब्द कुमार सहित राजनीतिक दलों, छात्र यूनियन के नेताओं व गैर राजनीतिक संगठनों के नेताओं को नामजद करते हुए कई अज्ञात को इस एक्ट में आरोपित बनाया गया है।

आरपीएफ का दावा है कि 2018 के बाद भागलपुर में आंदोलन के दौरान रेलवे को निशाना नहीं बनाया गया है। 153 एक्ट की कार्रवाई के डर से पिछले सप्ताह कृषि कानून को वापस लेने की मांग के दौरान भागलपुर में रेल रोको प्रदर्शन नहीं किया गया। पांच-छह नेता स्टेशन पर आए जरूर थे, लेकिन वीआइपी कक्ष में कुछ देर बैठने के बाद चले गए।

आरपीएफ थाने में कब और किन पर दर्ज हुआ मुकदमा

1. कांड संख्या-1393/17 (15.12.2017) : प्रवीण सिंह कुशवाहा, रितेश रंजन कुमार, शब्द कुमार सहित 300 प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा दर्ज। इनमें कई छात्र शामिल हैं। 2. कांड संख्या-411/17 (7.5.2017) व कांड संख्या-227/18 (4.3.2018) : चक्रपाणि हिमांशु, अशोक कुमार आलोक के अलावा लगभग 100 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया गया। 3. कांड संख्या-935/18 (10.9.18) : अनामिका शर्मा, विपिन विहारी यादव, मुजफ्फर अहमद, ङ्क्षमटू कुरैशी, प्रशांत बनर्जी, अमित आनंद के अलावा 90-100 अज्ञात पर मुकदमा। 4. कांड संख्या-336/18 (2.4.2018) : नंदन दास, राहुल दास, आशीष कुमार, रंजन दास, त्रिवेणी दास, सियाराम दास, महेश अंबेडकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

बांका में भी आरपीएफ ने रेल रोकने वाले नेताओं पर कसा शिकंजा

आरपीएफ ने भागलपुर ही नहीं बल्कि भागलपुर आरपीएफ क्षेत्र में आनेवाले बांका में भी रेल रोको प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारी नेताओं पर शिकंजा कसने की दिशा में 153 एक्ट के तहत कार्रवाई की है।

आरपीएफ थाना में दर्ज मुकदमा (कांड संख्या-936/18, दिनांक 10.9.2018) में कांग्रेस नेता संजय सिंह, सुनील यादव, युवा छात्र नेता जाफर हुदा के अलावा 50 अज्ञात को आरोपित बनाया गया है।

रेलवे को निशाना बनाने वाले प्रदर्शनकारी फिर चाहे वे राजनीति दलों के नेता हों, छात्र यूनियन के नेता हों या राजनीतिक पार्टियों के समर्थक, सबों पर जमानतीय धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाता था। इसके कारण अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रदर्शनकारी हर बार रेलवे को निशाना बनाने लगते थे। उनकी हरकत से यात्रियों पर खतरा या खतरे का अंदेशा रहता है। ऐसे प्रदर्शनकारी नेताओं पर शिकंजा कसने के लिए 153 एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। इस धारा में दर्ज मुकदमा के आरोपितों को पांच साल की सजा होती है। फिलहाल आरोपित जमानत पर हैं। गैर जमानती धारा में केस करने के कारण अब रेलवे को निशाना बनाने से नेता भी परहेज कर रहे हैं। - अनिल सिंह, आरपीएफ इंस्पेक्टर

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