बाढ़ ने फेरा खगडि़या के किसानों के अरमानों पर पानी, सैकड़ों एकड़ भूमि रह जाएगी परती

बाढ़ ने खगडि़या के किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। यहां पर इस बार सैकड़ों एकड़ भूमि में खेती नहीं होगी। इन खेतों में अब भी बाढ़ का पानी जमा है ऐसे में किसानों के चेहरे पर...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 04:02 PM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 04:02 PM (IST)
बाढ़ ने फेरा खगडि़या के किसानों के अरमानों पर पानी, सैकड़ों एकड़ भूमि रह जाएगी परती
बाढ़ ने खगडि़या के किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

जागरण टीम, परबत्ता (खगडिय़ा)। खगडिय़ा जिले के बेलदौर प्रखंड के 3000, परबत्ता के 2500 व गोगरी के 1000 एकड़ सहित सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि में दूसरे दौर की बाढ़ का पानी अबतक जमा रहने से वहां रबी की फसल नहीं उगाई जा सकेगी। किसानों को ऐसा ही लग रहा है। मकई, दलहन व तिलहन की पैदावार इन क्षेत्रों के किसानों का मुख्य आय के स्रोत हैं।

लेकिन इस बार वे उसकी खेती नहीं कर पाएंगे। इससे आय का मुख्य स्रोत के बंद हो जाने से सैकड़ों किसान चितिंत हो उठे हैं। इस संबंध में बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-एक के कार्यपालक अभियंता गणेश प्रसाद ङ्क्षसह ने बताया कि गोगरी सर्किल नंबर-एक के बड़े भूभाग पर जमा बाढ़-बरसात के पानी को हटाने के लिए पैकांत स्थित स्लूइस गेट को खोला गया। लेकिन लो-लैंड है। देखना पड़ेगा। यहां की समस्या का एक निदान यह है कि चैनङ्क्षलग कर स्लूइस गेट तक रास्ता बनाया जाए और पानी की निकासी हो। दूसरा पंङ्क्षपग समस्या का समाधान है। दोनों अलग-अलग विभागों से संबंधित मामला है।

खैर, बेलदौर के बहियार, तीनडोभा बहियार, हरलाखी बहियार, बनरकोला चांप, ददरौजा चांप और इतमादी पंचायत में तीन हजार एकड़ के आसपास जलजमाव है। किसानों की ङ्क्षचता गहरा गई है। इतमादी पंचायत के किसान रतन मंडल ने कहा कि उनकी चार एकड़ जमीन में कमर से लेकर छाती भर पानी है। दिसंबर तक मक्का की बोआई कर सकते हैं। लेकिन पानी सूखने का कोई उम्मीद नहीं है। इस बार की खेती ÓपानीÓ में गया। भूखे रहने की नौबत आ जाएगी। उन्होंने कहा कि इतमादी बहियार में 600 एकड़ में भारी जलजमाव है। मक्का की खेती नहीं हो पाएगी।

दलहन-तिलहन की खेती भी मारी गई

परबत्ता प्रखंड क्षेत्र में जलजमाव के कारण 2500 एकड़ में दलहन और तिलहन की बुआई पर संकट है। दुबारा की बाढ़ और अक्टूबर की मूसलाधार बारिश ने कोढ़ में खाज का काम किया। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक दलहन और तिलहन फसल की बुआई का आदर्श समय है। जिसमें बुआई अब तो संभव नहीं है। किसानों का कहना है कि अभी तक खेत की जुताई भी नहीं हो पाई है। बुआई कैसे होगी। परबत्ता का नयागांव दियारा, तेमथा करारी दियारा दलहन और तिलहन की खेती को लेकर विख्यात रहा है। यहां अभी भी जलजमाव है। नयागांव के किसान अनिल ङ्क्षसह ने बताया कि अभी तक जगुआ बहियार में खेतों की जुताई तक नहीं हो पाई है।

गोगरी सर्किल नंबर-एक में मेरे प्रयास से पैकांत स्लूइस गेट को खोला गया। जानकारी मिली है कि कुछ मछली मारने वाले लोग कुछेक अधिकारियों से मिलकर इसमें अवरोध पैदा कर रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को वहां का जायजा लेकर समस्या के समाधान को कहा जाएगा। किसानों की समस्याओं के समाधान का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

डा. संजीव कुमार, विधायक, परबत्ता विधानसभा क्षेत्र।

जलजमाव वाले इलाके में किसान मखाना की खेती कर सकते हैं। इसको लेकर कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रशिक्षण दिया जा सकता है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में मखाना के बीज उपलब्ध है। किसान आगे आए, तो कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से इसकी खेती को लेकर हरसंभव मदद दी जाएगी। -डा. अनिता कुमारी, वरीय विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र, खगडिय़ा।

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