सिमुलतला रेलवे स्टेशन पर कोलकाता के लिए ट्रेन टिकट लेने के लिए लगी कतारें, दुर्गा पूजा की छुट्टी के बाद काम पर लौट रहे प्रवासी

दुर्गा पूजा की छुट्टी पर अपने घर वापस आए प्रवासी मजदूर अब पुनः काम पर लौट रहे हैं। कोलकाता जाने के लिए ट्रेन की बुकिंग को लेकर स्टेशन पर लंबी लाइनें देखी गईं। कुछ ने कहा कि छुट्टी पर घर आए तो सोचा वोट डालकर जाएं और अब ...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:07 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:07 PM (IST)
सिमुलतला रेलवे स्टेशन पर कोलकाता के लिए ट्रेन टिकट लेने के लिए लगी कतारें, दुर्गा पूजा की छुट्टी के बाद काम पर लौट रहे प्रवासी
सिमुलतला रेलवे स्टेशन पर लगी कतारें, कोलकाता के लिए ट्रेन टिकट लेने की होड़।

संवाद सूत्र, सिमुलतला(जमुई)। उक्त तस्वीर जो आप भीड़ की देख रहें है, ये कोई पंचायत चुनाव में नामांकन भरने के लिए नहीं खड़ी है। ये सभी लोग प्रवासी मजदूर हैं, जो दुर्गा पूजा के उपरांत अपनी छुट्टी पूरी कर कोलकाता वापस लौट रहे हैं। बुधवार को सिमुलतला रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास यह नजारा देखने को मिला। 03030 डाउन मोकामा-हावड़ा स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन के लिए टिकट लेने वाले प्रवासी मजदूर काफी अफरा तफरी करते देखे गए।

पहले हम, पहले हम के चक्कर में तू-तू, मैं-मैं जैसे हालात हो गए। आन ड्यूटी आरपीएफ की कड़ी निगरानी में प्रवासियों को टिकट उपलब्ध कराया गया। एकमात्र टिकट काउंटर में टिकट काट रहे बुकिंग क्लर्क भी काफी परेशान हो गए। आनन-फानन में एक अतिरिक्त काउंटर खोला गया। क्लर्क काफी स्फूर्ति दिखाते हुए प्रवासियों को टिकट उपलब्ध कराया, लेकिन बड़ी संख्या में प्रवासी ट्रेन में पहले से आ रही भारी भीड़ के कारण ट्रेन में नहीं चढ़ सके। -दुर्गा पूजा की छुट्टी के बाद स्टेशन पर उमड़ी कोलकाता जाने वालों की भीड़ - प्रवासी मजदूरों की भीड़ बिहार की विकास की वास्तविकता से रुबरु करती है - टिकट लेने के लिए अफरा तफरी - आरपीएफ के जवान ने संभाला मोर्चा - कोलकाता के लिए एकमात्र ट्रेन बनी मुसीबत

हैरान परेशान प्रवासियों ने अपना टिकट वापस कराया। प्रवासी मंटू यादव, जीवलाल यादव, नुनू पंडित, टूलो पंडित, राजेश यादव, विनोद यादव, रङ्क्षवद्र महतो, कारू मांझी, सुकदेव मांझी ने बताया कि आज पूर्णिमा है। हमलोग अच्छा दिन देख कर काम पर कोलकाता लौट रहें है। मोकामा ट्रेन कोलकाता जाने के लिए एकमात्र ट्रेन है। यह ट्रेन के छोडऩे के बाद दूसरा कोई ट्रेन नहीं। कोई प्रवासी मजदूर कोलकाता में दुकान में काम करता तो कोई फैक्टरी में, कोई गाड़ी चलाता तो कोई किसी साहेबजादे के घर में काम करता। सभी ने एक स्वर में कहा कि अगर अपने घर में काम मिलेगा तो कोई अपना बाल - बच्चा छोड़ बाहर कमाने क्यों जाएगा।

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