Question paper leak case in TMBU: प्रश्न पत्र लीक मामले में दो कर्मियों की होगी गिरफ्तारी, SSP निताशा गुडिय़ा ने दिए गिरफ्तारी के आदेश
Question paper leak case in TMBU सात दिसंबर को लीक हुआ था स्नातक पार्ट थ्री गणित का प्रश्न। जांच में दोषी पाए गए परीक्षा विभाग के तृतीय वर्गीय कर्मी सुनील और चतुर्थवर्गीय कर्मी सत्येन्द्र। गिरफ्तारी नहीं होने की स्थिति में होगी कुर्की-जब्ती।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में सात माह पूर्व हुए प्रश्न पत्र लीक मामले में परीक्षा विभाग के दो कर्मियों की गिरफ्तारी होगी। एसएसपी निताशा गुडिय़ा ने इसका आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने सात दिसंबर 2020 को स्नातक बीएससी पार्ट थ्री छठे पेपर गणित विषय के प्रश्न पत्र लीक मामले में आरोपित कर्मियों के विरुद्ध आरोप सही पाया है।
एसएसपी ने जांचकर्ता को परीक्षा विभाग के तृतीय वर्गीय कर्मी सुनील कुमार और चतुर्थवर्गीय कर्मी सत्येंद्र कुमार साह को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। गिरफ्तारी नहीं होने की स्थिति में कुर्की-जब्ती करने को कहा है।
सात दिसंबर को लीक हुआ था प्रश्न
टीएमबीयू में स्नातक पार्ट थ्री की परीक्षा चल रही थी। दूसरी पाली में गणित की परीक्षा थी। दूसरी पाली शुरू होने से कुछ देर पूर्व टीएनबी कालेज के मैथिली विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमिताभ चक्रवर्ती को कुछ छात्रों ने गणित का प्रश्न पत्र लाकर दिया। उन्हें कहा कि दूसरी पाली में होने वाला प्रश्न पत्र लीक हो गया है। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी कालेज प्राचार्य सह टीएमबीयू के प्रभारी कुलपति डा. संजय कुमार चौधरी को दी। इसके बाद हड़कंप मच गया।
परीक्षा की गई थी रद
प्रभारी कुलपति ने आनन-फानन परीक्षा नियंत्रक डा. अरुण कुमार सिंह को अपने आवास पर बुलाया। इसके बाद गोपनीय शाखा में रखे प्रश्नों से लीक हुए प्रश्न का मिलान किया गया। दोनों प्रश्न एक ही थे। तत्काल दूसरी पाली की परीक्षा को रद करते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई। जिसमें डा. केष्कर ठाकुर, डा. हलीम अख्तर और डा. अमिताभ चक्रवर्ती को शामिल किया गया। कमेटी ने अपनी जांच में बताया कि टीएमबीयू के परीक्षा विभाग की गोपनीय शाखा में रखे प्रश्न के पैकेट से छेड़छाड़ की गई है। कमेटी ने 19 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट टीएमबीयू प्रशासन को सौंप दी थी।
12 दिसंबर और 17 दिसंबर की परीक्षा हुई थी रद
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 12 दिसंबर और 17 दिसंबर को होने वाली परीक्षा को भी रद कर दिया गया था। 16 दिसंबर को दोनों कर्मियों के स्पष्टीकरण के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था। प्रश्न पत्र लीक होने के मामले में कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में किसी तरह का आपराधिक केस दर्ज नहीं कराया। मामले की लीपापोती होती रही। विवि अधिकारी टालमटोल करते रहे।
चार मार्च को दर्ज कराया गया था केस
जब कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अपना योगदान दिया तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई। उन्होंने अधिकारियों को तलब किया तो आनन-फानन प्राक्टर डा. रतन मंडल ने चार मार्च को दोनों कर्मियों के विरुद्ध विश्वविद्यालय पुलिस चौकी में केस दर्ज कराया। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुर्ई। सिटी एएसपी पूरण झा ने भी आरोपितों के विरुद्ध जांच को सही पाया है।