Purnia News: बारिश के साथ ही छलकने लगता है शहर का दर्द, कई मोहल्लों में स्थिति विकट, लोगों का घर से निकलना हुआ मुश्किल
जलजमाव से पूर्णिया शहर के लोग परेशान हैं। हल्की बारिश के बाद ही कई मोहल्ले से जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रभात कालोनी मधुबनी माधोपाड़ा कोरठबाड़ी नवरतन रामबाग सहित अन्य मोहल्लों की स्थिति और विकट है।
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। मिनी दार्जिलिंग कहे जाने वाले पूर्णिया शहर में हल्की बारिश से ही लोगों का दर्द छलकने लगता है। यह दस्तूर बन चुका है। मानसून के प्रभाव से पिछले दो दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से एक बार यह जख्म ताजा हो गया है। चार दर्जन से अधिक मोहल्लों में सड़कों पर एक से ढाई फीट तक पानी लग गया है और लोगों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो गया है। प्रभात कालोनी, मधुबनी, माधोपाड़ा, कोरठबाड़ी, नवरतन, रामबाग सहित अन्य मोहल्लों की स्थिति और विकट है।
नगर निगम पूरा कर चुका है दस साल का सफर
नगर निगम के गठन को दस साल हो चुके हैं। इस दौरान भी इस समस्या का समुचित समाधान नहीं निकल पाया है। इसके संपूर्ण समाधान की बात हर साल जोरदार ढंग से उठती है, लेकिन इसका समाधान नहीं निकल पाता है। खासकर इस दौरान जलनिकासी के प्राकृतिक स्त्रोत व मुख्य नालों के अतिक्रमण का समाधान तक नहीं निकल पाया है। वोट की राजनीति में यह मुद्दा गौण रह जाता है। खासकर नालों की जमीन अतिक्रमण कर भवन बनाने वालों की संख्या में यहां काफी ज्यादा है और कोई भी इस मुद्दे को छेडऩा नहीं चाहता है। इस स्थिति के चलते मोहल्लों में नाला निर्माण के बावजूद जल जमाव की समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है।
शहर का बढ़ता गया आकार मगर सुविधा का नहीं हो पाया विस्तार
शहर का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। नगर निगम का दर्जा के लिए तय मानदंडों को पूरा करने के लिए नए सिरे से परिसीमन के बाद इस आकार को और विस्तार मिल गया। मोटे अनुमान के मुताबिक पिछले दस वर्षों में निगम क्षेत्र में पांच सौ से अधिक नए मोहल्ले आबाद हुए हैं। कल तक खेत-खलिहान समझे जाने वाले क्षेत्र में अब गगनचुंबी इमारतें बन चुकी है। शहर के आकार में वृद्धि की रफ्तार के साथ विकास की गति बौनी पड़ गई। इससे समस्या और बढ़ता चला गया।
सीमांचल की राजनीति का मुख्य केंद्र है पूर्णिया
पूर्णिया सदा से सीमांचल की राजनीति का मुख्य केंद्र रहा है। सूबे की सत्ता के शीर्ष पर रहने वाले लोग समय-समय पर यहां पड़ाव भी डालते हैं। कद्दावर राजनीतिज्ञों का यह सदा से बसेरा रहा है। इस स्थिति के बावजूद शहर में जल निकासी की ठोस व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। यद्यपि इसको लेकर समय-समय पर मास्टर प्लान बनता रहा है, लेकिन यह प्लान फाइलों में ही दफन रह जाता है।