लग्जरी बसों में चलने के लिए धूप में इंतजार का मजा लीजिए
डिक्शन रोड स्थित प्राइवेट बस स्टैंड से प्रतिदिन 150 के करीब बसें खुलती हैं। इनमें से 50 बसें या तो एसी हैं या फिर लग्जरी। लेकिन यहां यात्री सुविधाएं नगण्य हैं।
भागलपुर। डिक्शन रोड स्थित प्राइवेट बस स्टैंड से प्रतिदिन 150 के करीब बसें खुलती हैं। इनमें से 50 बसें या तो एसी हैं या फिर लग्जरी। लेकिन यहां यात्री सुविधाएं नगण्य हैं। कारण रेलवे अपनी जमीन पर यह बस स्टैंड संचालित होने नहीं देना चाहता और वसूली के खेल में प्रशासन नया बस स्टैंड बनने नहीं दे रहा। इस जंग में अभी यात्री लग्जरी बसों में चलने के लिए धूप में इंतजार का मजा ले रहे हैं।
मालूम हो कि जगदीशपुर प्रखंड के रक्शाडीह मौजा में नया बस स्टैंड एक अप्रैल 2020 को शुरू हो जाना था। बस स्टैंड के लिए एक एकड़ 75 डिसमल जमीन का चयन किया गया है। पूर्व डीएम प्रणव कुमार सात फरवरी को समीक्षा बैठक के दौरान एक अप्रैल से नए बस स्टैंड से बसों का परिचालन शुरू कराने का निर्देश दिया था। लेकिन एक वर्ष बाद भी बस स्टैंड बनकर तैयार नहीं हुआ है। पूर्व डीएम ने घनी आबादी का हवाला देकर बस स्टैंड को एनएच की जमीन पर ले जाने का निर्णय लिया था। जिलाधिकारी क्या बदले अब तो इसकी चर्चा भी बंद हो गई है। जानकार बताते हैं कि फाइल को आला अधिकारियों की नजर से दूर करने के पीछे वसूली से मालामाल होने वाला सिस्टम बखूबी काम कर रहा है।
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स्मार्ट सिटी में बस पकड़ना आसान नहीं :
कोयला डिपो स्थित प्राइवेट बस स्टैंड में यात्रियों की भारी भीड़ थी। भीड़ इतनी कि बैठने की बात दूर यात्रियों को स्टैंड में खड़ा रहने की जगह नहीं मिल रही थी। दूर-दराज की बसें फुल होकर खुल रही थी। बसों का इंतजार कर रहे यात्री सुमन कुमार धूप में बेहाल थे। बातचीत में उन्होंने कहा -स्मार्ट सिटी में बस पकड़ना आसान नहीं है। बस स्टैंड पर यात्रियों के बैठने के लिए जगह तक नहीं है। यहां एक शेड है, पर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में। गंदगी ऐसी की यात्रियों को ऊबकाई आने लगे।
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बस स्टैंड में नहीं है शौचालय का प्रबंध :
पटना, कोलकाता, सिलीगुड़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, रांची, टाटा, बोकारो, आसनसोल आदि दूर-दराज के लिए यहां से बसें खुलती है। जो भी यहां यात्री सुविधाएं थी, उसे हाल में आरपीएफ ने तोड़ दिया। टिकट काटने वाले भी धूप में बैठकर टिकट काटते हैं। टिकट लेने वाले भी धूप में खड़े होकर टिकट लेते हैं। पानी पीने के लिए न तो नल है और न ही चापाकल। टिकट काटने वाले को जार तो यात्रियों को बोतलबंद पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। किसी यात्रियों को जोर से शौच लग जाए तो क्या होगा कहना मुश्किल है। वे रेलवे लाइन के किनारे जा नहीं सकते, सड़क किनारे दुकानें लगी है। सुलभ शौचालय स्टेशन परिसर में है, जो स्टैंड से आधा किलोमीटर दूर है। महिला यात्रियों को लघुशंका के लिए बसों के ओट का सहारा लेना पड़ता है।
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रेलवे की जमीन पर बस स्टैंड :
प्राइवेट बस स्टैंड रेलवे की जमीन पर है। रेलवे ने बस स्टैंड की जमीन को शशिकांत यादव को ठिका पर दे दिया है। बस स्टैंड से लाखों रुपये वसूली करने के बाद भी न तो रेलवे ने यात्री सुविधा उपलब्ध कराई और न ही ठीकेदार ने। जो पहले से सुविधा थी, उसे भी हटा लिया गया। हाल के वर्षो में बसों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई, लेकिन बस खड़ा करने की जगह आधी रह गई। कई डीआरएम आए और यात्री सुविधा बढ़ाने का भरोसा दिया। लेकिन काम कुछ भी नहीं हुआ। अब रेलवे अपनी जमीन से बस स्टैंड हटाने की फिराक में है।
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नहीं किया जा रहा बसों का सैनिटाइज :
प्राइवेट बस स्टैंड से खुलने वाली बसों को सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है। बसों में सवार होने वाले 99 फीसद यात्री मास्क का उपयोग नहीं कर रहे हैं। दूर-दराज जाने वाली बसों पर सीट भर ही यात्रियों का टिकट कट रहा है, लेकिन लोकल बसों पर सीट से अधिक यात्रियों को भरा जा रहा है। बस स्टैंड पर सामान बेचने वाले भी मास्क का उपयोग नहीं कर रहे हैं। बसों में सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं है।
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कोट..
बस स्टैंड पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है। यात्रियों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। कई बार ठेकेदार व रेलवे के अधिकारियों से यात्री सुविधा बढ़ाने की मांग की गई है, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
मुकेश कुमार, मोटर कर्मचारी संघ
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कोट..
बस स्टैंड में यात्रियों को धूप में खड़े होकर इंतजार करना पड़ रहा है। पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। यात्रियों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। मूत्रालय व शौचालय तक नहीं है।
बमबम कुमार, मोटर कर्मचारी संघ
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इन शहरों के लिए खुलती हैं बसें
पटना : 13
कोलकाता : 7
रांची : 10
बोकारो : 2
टाटा : 3
आसनसोल : 2
मुजफ्फरपुर : 1
दरभंगा : 1
सिलीगुड़ी : 5
पूर्णिया : 50
देवघर : 10
दुमका : 10
तारापुर : 10
जमुई : 4