खेतों में खेलकर प्रियंका ने बनाई राष्ट्रीय पहचान, जानिए कैसे
कहते हैं कुछ करने की तमन्ना हो तो कोई भी समस्याएं बाधक नहीं बनती। कुछ यूं की अपनी कड़ी मेहनत के बल पर सत्तरकटैया की प्रियंका कुमारी ने सब जूनियर नेशनल वॉलीबाल चैंपियन में हिस्सा लेकर साबित कर दिखाई है।
सहरसा [राजन कुमार]। सहरसा: सहरसा जिले के सत्तरकटैया गांव की रहनेवाली प्रियंका कुमारी अपनी लगन व मेहनत से अपनी तकदीर लिख रही है। बिना कोई संसाधन के खेतों में पसीना बहाकर वॉलीबाल गेम में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है।
फसल कटने के बाद प्रियंका खेतों में करती थी अभ्यास
प्रियंका के पिता सत्यनारायण चौपाल किसान हैं। गांव में खेल का मैदान नहीं रहने पर प्रियंका फसल कटने के बाद खेत में ही वॉलीबाल की प्रैक्टिस करती थी। कड़ी धूप में भी वह नियमित रूप से अभ्यास करती रही। वो कहती है कि शुरू में तो लगा कि वह गांव में ही सिमट कर रह जाएगी। लेकिन गुरू धर्मेंद्र सिंह नयन के सानिध्य में वह आज इस मुकाम पर पहुंच पायी है। वॉलीबाल खेलना लड़कियों के वश में नहीं था। गुरू नयन ने गांव की लड़कियों को इकटठा कर उसे वॉलीबाल का प्रशिक्षण देना शुरू किया और देखते ही देखते गांव से शहर, जिला व राज्य होते हुए नेशनल तक पहुंच गयी। अपने संघर्ष की गाथा सुनाते प्रियंका कहती है कि खेतों में खेलने के दौरान कई बार पांव में जख्म हो जाते थे। लेकिन थकती नहीं थी। मेरा लक्ष्य नेशनल खिलाड़ी बनना था और इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अपने दुखों को सहती गयी और तब जाकर मैं बिहार टीम में शामिल हो पायी और नेशनल गेम खेलने का अवसर मिला। मेरी तमन्ना है कि मैं राष्ट्रीय खिलाड़ी बनूं और अपने जिले व राज्य का नाम रौशन करूं।
2019 में खेल चुकी है नेशनल गेम
वर्ष 2019 में सब जूनियर नेशनल वॉलीबाल चैम्पियनशिप भुवनेश्वर, उडीसा में बिहार टीम में शामिल होकर प्रियंका खेल का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर अपनी विशेष पहचान कायम की है। इसके अलावा कई बार राज्य स्तरीय खेलों में हिस्सा लेकर सत्तरकटैया गांव का नाम पूरे सूबे में रौशन कर चुकी है। कई खेल समारोह में वह सम्मानित हो चुकी है। 11वीं में पढ़नेवाली प्रियंका अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने अभिभावकों सहित प्रशिक्षक धर्मंंद्र नारायण सिंह नयन जी को देती है। वे अब भी पढ़ाई के साथ- साथ अपने खेल के प्रति पूरी तरह गंभीर है और आज भी रोजाना 4 घंटे प्रैक्टिस करती है।