कैदी होंगे डिजिटल साक्षर, देश में पहली बार बांका मंडल में की गई शुरूआत, इस तरह जेल से बाहर आने पर मिलेगा रोजगार
अब कैदी भी डिजिटल साक्षकर होंगे। इसके लिए देश में पहली बार बांका जेल से इसकी शुरुआत की गई है। यहां पर 25-25 कैदियों का बैच बनाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद उन्हें जेल से बाहर आने पर रोजगार उपलब्ध कराना है।
संवाद सूत्र, बांका। गंभीर अपराध कर दिया, सजा भी भुगत रहे हैं... लेकिन उस पर अब अफसोस होने लगा है। काश! पढ़े-लिखे होते तो तो शादय यह अपराध नहीं होता। कुछ हद तक ऐसे कामों से बच जाते और अच्छा जीवन जीते। कुछ ऐसा ही विचार मंडल कारा बांका में हत्या, लूट, डकैती सहित अन्य गंभीर अपराधों में सजा भुगत रहे कैदियों के मन में उठ रहा है। उनके इन विचारों को सकारात्मक रूप देने के लिए मंडल कारा प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। देश में पहली बार बांका जेल में कैदियों को डिजिटल साक्षर बनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत गुरुवार से जेल अधीक्ष सुजीत राय, उपाधीक्षक प्रभात कुमार आदि ने की।
इसके तहत भारत सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित ग्रामीण डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण अभियान से बांका मंडल कारा को जोड़ा गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि आज के जमाने में केवल साक्षर होना ही काफी नहीं है। यह समय डिजिटल साक्षर होने का है। इससे आप हर तरह की सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी और लाभ ले सकते हैं। साथ ही आप शारीरिक और मानसिक परेशानी से भी बच सकते हैं।
एक बैच में 25 कैदियों को मिल रहा प्रशिक्षण
जेल में प्रशिक्षण के लिए 25-25 कैदियों का बैच तैयार किया गया है। 14 से 60 वर्ष के साक्षर-असाक्षर सभी प्रतिभागी बन सकते हैं। जेल में अभी जेल में कुल 950 बंदी हैं। इसमें 33 महिला बंदी है। यह प्रशिक्षण दस दिनों तक चलेगा। सीएससी के जिला प्रबंधन प्रेम शंकर वत्स ने बंदियों को बताया कि कैदियों को इस प्रशिक्षण के माध्यम से मुख्य रूप से बताया गया कि वे कैसे वित्तीय जोखिमों से बच सकते हैं। साथ ही आनलाइन आवेदन करना, नेट बैंकिंग आदि की भी जानकारी दी जा रही है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान जिला प्रोवेशन पदाधिकारी राजीव कुमार, अक्षय प्रियदर्शी, अभिषेक झा, आशीष कुमार, उच्च कक्षपाल सेलबेस्टर बड़ा, लिपिक सह कक्षपाल गुडडू गिरी, सिकेश कुमार सहित अन्य प्रमुख रुप से मौजूद थे।
सभी कैदियों का बनेगा डिजिटल लाकर
प्रशिक्षण के बाद सभी कैदियों का डिजिटल लाकर बनेगा। साथ ही प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। डिजिटल लाकर में वह अपना प्रमाण पत्र सुरक्षित रख सकते हैं। इसका इस्तेमाल वह जरूरत पड़ने पर कभी भी कर सकते हैं। प्रशिक्षण के साथ बंदी विधिवत सीएसी यानी कामन सर्विस सेटर से पंजीकृत हो जाएंगे। जेल से निकलने के बाद उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार करने के लिए सीएससी खोलने में भी मदद की जाएगी।