प्रधानमंत्री आवास योजना: कुंडली मार बैठा है भागलपुर नगर निगम, लाभुक लगा रहे दफ्तर का चक्कर

लाभुकों के आवास निर्माण के अद्यतन रिपोर्ट के लिए जियो टैङ्क्षगग प्रक्रिया में अनावश्यक हो रहा विलंब। आवास योजना के अभियंता और नगर प्रबंधक एक दूसरे को ठहरा रहे जिम्मेदार। 698 लाभुकों का किया गया चयन जिसमें से 157 भवनों का ही निर्माण कार्य हो पाया है पूरा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:48 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 10:48 AM (IST)
प्रधानमंत्री आवास योजना: कुंडली मार बैठा है भागलपुर नगर निगम, लाभुक लगा रहे दफ्तर का चक्कर
भागलपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना में बरती गई है धांधली।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुकों के हिस्से में केवल इंतजार ही शेष रह गया है। पक्के मकान की आस में अपने कच्चे मकानों को ढहा चुके लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अधिकारियों की लेटलतीफ कार्यशैली से गरीबों व असहायों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

भागलपुर नगर निगम ने आवास योजना के पहले चरण में 382 लोगों का चयन वर्ष 2017 में किया गया था। हाल यह है कि चार वर्षों में पहले चरण की योजना का लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है। अबतक निगम 132 लाभुकों को ही चार किस्तों में दो लाख रुपये की राशि का भुगतान कर सकी है। यही हाल दूसरे चरण की योजना का भी है। दूसरे चरण में 478 लाभुकों का चयन हुआ, जिसमें 315 को ही स्वीकृति मिली। जबकि अबतक 25 लाभुकों का ही मकान बन पाया है। दोनों चरण की योजनाओं में कुल मिलाकर 698 लाभुकों का चयन हुआ, जिसमें से 157 भवनों का ही निर्माण हो पाया है। इस तरह से गणना की जाए तो 25 फीसद लक्ष्य ही पूरा हो सका है। इस खराब स्थिति को देखते हुए नगर विकास विभाग ने पटना से एजेंसी भेजकर सर्वे कराया था। उसके बाद 1487 लाभुकों का सर्वे कर सूची तैयार किया गया, लेकिन किसी को लाभ नहीं मिला।

जियो टैगिंग में उदासीनता, लाभुकों को करना पड़ रहा इंतजार

आवास निर्माण कार्य की सतत निगरानी के लिए केंद्र सरकार ने अभियंता व डाटा आपरेटर को भी प्रतिनियुक्त किया है। इन्हें निर्माण कार्य की जांच व फोटोग्राफी भी करनी होती है। जिसे विभाग के पोर्टल पर अपलेाड करने के बाद ही अगले किस्त की राशि निर्गत की जाती है। यानी 50 हजार रुपये की पहली किस्त लेने लिए आवास के पास लाभुक को खड़े होकर फोटो खिंचवाना पड़ता है। उसके बाद दूसरे किस्त में एक लाख, तीसरे किस्त में 30 हजार और चौथे किस्त में 20 हजार रुपये मिलते हैं लेकिन उसके लिए भी फोटोग्राफी होनी है। जियो टैगिंग की धीमी प्रक्रिया के कारण लाभुक को बेवजह परेशान होना पड़ रहा है और उनको समय पर राशि नहीं मिल पा रही है। धीमी चाल के लिए आवास योजना के अभियंता और सिटी मैनेजर दोनों एक- दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

निगम से भुगतान की आस में कर्ज में डुबे लाभुक

खंजरपुर के सोवराती कबाड़ी लेन की पार्वती देवी को दूसरे किस्त की राशि लेने के लिए डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक निगम का चक्कर लगाना पड़ा। इसके बाद पार्वती देवी ने जिला लोक शिकायत कोषांग में आवेदन देकर गुहार लगाई। सुनवाई के दौरान लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा सिटी मैनेजर को काफी डांट-फटकार लगाई गई और अविलंब दूसरे किस्त की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। जिसके बाद अप्रैल, 2021 को दूसरे किस्त की राशि उन्हें प्राप्त हुई। पार्वती देवी तो एक उदाहरण है, जो निगम की कार्यशैली की पोल खोल दी। अब भी उनके जैसा कई लाभुक हैं, जो योजना मद की राशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। कई लाभुकों ने निगम से स्वीकृति पत्र मिलने के बाद मकान बनने की आस में अपना कच्चा मकान तोड़कर किराये के घर में रहने लगे। किसी ने उधार पर रकम लेकर मकान का निर्माण शुरू कर दिया। किसी ने प्रथम, द्वितीय व तृतीय और चौथी किस्त मिलने की आस में बाजार से उधार पर मकान के निर्माण सामग्री उठा लिया। अब दुकानदार रोजाना उनसे तकादा कर रहे हैं और वे मुंह छुपाते फिर रहे हैं।

आवास योजना के कार्य में तेजी जायी जाएगी और जियो टैगिंग में लापरवाही करने वालों पर नकेल कसा जाएगा। योजना की सप्ताह में एक दिन समीक्षा होगी। - प्रफुल्ल चंद्र यादव, नगर आयुक्त

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