फाइलों में योजनाएं, हाईटेक बस स्टैंड का सपना नहीं हुआ पूरा

भागलपुर। बिहार राज्य परिवहन निगम (राज्य ट्रांसपोर्ट) का बस स्टैंड अब तक हाईटेक नहीं बन सक

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 08:24 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:24 PM (IST)
फाइलों में योजनाएं, हाईटेक बस स्टैंड का सपना नहीं हुआ पूरा
फाइलों में योजनाएं, हाईटेक बस स्टैंड का सपना नहीं हुआ पूरा

भागलपुर। बिहार राज्य परिवहन निगम (राज्य ट्रांसपोर्ट) का बस स्टैंड अब तक हाईटेक नहीं बन सका। इसके लिए योजनाएं तो बनीं, लेकिन फाइलें आगे नहीं बढ़ सकीं। स्थिति यह है कि शौचालय और पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है। निजी बस पड़ाव की स्थिति तो और भी बदतर है। अभी तक बस पड़ाव के लिए जमीन की तलाश चल रही है। बिहार राज्य परिवहन निगम के तत्कालीन प्रशासक उदय सिंह कुमावत ने 2010-11 में भागलपुर और गया समेत सूबे के बड़े शहरों में निगम के बस स्टैंडों को हाईटेक करने की योजना बनाई थी। बेंगलुरु की तर्ज पर 10-11 बीघा क्षेत्रफल में फैले बरारी रोड स्थित निगम परिसर में आधा दर्जन बस टर्मिनल, होटल, रेस्तरां, शापिंग मॉल बनाने की योजना थी। इसके अलावा महिला और पुरुष यात्रियों के लिए डिलक्स शौचालय, स्नानागार, यात्रियों के बैठने के लिए भव्य शेड, यात्री शेड में कुर्सी, कंप्यूटराइज्ड टिकट काउंटर समेत यात्रियों और कर्मियों के लिए सभी तरह की सुविधा मुहैया कराने की योजना बनाई गई थी। पेयजल के लिए जगह-जगह नल की व्यवस्था की जानी थी। इसके अलावा गाड़ियों की मरम्मत के लिए हाईटेक वर्कशाप बनाने की बात थी। जिसमें आधुनिक लेथ मशीन, बोरिग मशीन, वेल्डिंग मशीन की व्यवस्था की जानी थी। गाड़ियों में टिकट काटने के लिए ई-टिकटिंग मशीन मुहैया कराना था।

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नए भवन का होना था निर्माण

पुराने भवन को तोड़कर नए भवन के निर्माण की योजना थी। यह काम पीपीपी मोड में होना था। इसके लिए सौ करोड़ का एस्टीमेट भी बन गया था, लेकिन बस डिपो का आधुनिकीकरण तो हुआ नहीं बल्कि धीरे-धीरे स्थिति बद से बदतर होती चली गई। शौचालय जर्जर है। दरवाजे तक टूट चुके हैं। टिकट काउंटर, वर्कशाप और ब्रिटिशकालीन भवन भी जर्जर हो चुके हैं। उसी में निगम का कार्यालय भी है। वर्कशॉप में वेल्डिंग मशीन छोड़कर अन्य मशीनें नहीं हैं।

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मरम्मत के लिए बसों को नहीं भेजना पड़ता पटना

बसों की मरम्मत के लिए पटना सेंट्रल वर्कशाप भेजना पड़ता है या फिर जीरोमाइल, मोजाहिदपुर में प्राइवेट मिस्त्री के पास ले जाना पड़ता है। देवघर के लिए चलने वाली बसों को सवा माह पूर्व मरम्मत के लिए पटना भेजा गया था। इसकी वजह से देवघर बस सेवा बंद है। हैरत की बात यह है कि निगम को अपना मैकेनिक तक नहीं है। प्राइवेट आठ मैकेनिक से काम लिया जा रहा है।

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रेशमी शहर में स्थाई निजी स्टैंड भी नहीं बना

सिल्क सिटी में स्थाई निजी बस पड़ाव भी नहीं बन सका है, जबकि दस साल से स्टैंड बनाने के लिए कई बार योजना बनाई गई, लेकिन आजतक बस पड़ाव बनाने की योजना यथावत है। डिक्शन रोड और जीरोमाइल के पास रेलवे की जमीन पर स्टैंड चल रहा है। इन बस पड़ावों में यात्री सुविधाएं नहीं हैं। शौचालय टूट चुका है। पेयजल की व्यवस्था नहीं है। जीरोमाइल के पास तो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी नहीं है। मालगोदाम स्थित बस पड़ाव पर यात्री शेड है, लेकिन वह भी जर्जर हो चुका है। बारिश में जलजमाव होने से स्टैंड परिसर में चलना दूभर हो जाता है। नियमित सफाई के अभाव में परिसर में गंदगी रहती है।

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कोट हाईटेक बस डिपो बनाने के लिए सौ करोड़ का एस्टीमेट बना था। पीपीपी मोड के तहत काम होना था। मुख्यालय स्तर से इस पर काम होना था, लेकिन अभी तक कोई अनुमति नहीं मिली है। इस कारण निर्माण शुरू नहीं हुआ है।

-अशोक कुमार सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक, पथ परिवहन निगम ।

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