चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार में इस्तेमाल हुआ बिहार के इस जिले का पिस्टल

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला कारा में हुए गैंगवार में इस्तेमाल किया गया पिस्टल मुंगेर निर्मित था। इसी पिस्टल से अंशु दीक्षित ने विधायक मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार मेराज अली और गिरोह के सदस्य मुकीम काला की हत्या कर दी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 10:50 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:50 AM (IST)
चित्रकूट जेल में हुए गैंगवार में इस्तेमाल हुआ बिहार के इस जिले का पिस्टल
पहले भी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर, वाराणसी, बलिया, प्रयागराज, लखनऊ में मुंगेर निर्मित असलहे से हो चुकी है हत्याएं।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला कारा में शुक्रवार की सुबह हुए गैंगवार में जेल के अंदर इस्तेमाल किया गया पिस्टल मुंगेर निर्मित था। मुंगेरिया पिस्टल से शार्प शूटर अंशु दीक्षित ने पूर्वांचल के माफिया विधायक मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार मेराज अली और गिरोह के सदस्य मुकीम काला की हत्या कर दी। घटना की जानकारी पर पहुंची पुलिस से मुठभेड़ में अंशू दीक्षित भी मारा गया। अंशु ने मुंगेरिया पिस्टल से जेल में बंद अन्य दो बदमाशों मेराज और मुकीम को मारा बल्कि भारी संख्या में पहुंची पुलिस के साथ भी मुठभेड़ कर कई गोलियां दागी। मरने के पूर्व अंशु ने अपना बचाव करने को पांच बंदियों को बंधक बना उसे पिस्टल से कवर कर पुलिस वालों को चेतावनी देता रहा।

पुलिस बलों ने तबतक मोर्चा संभाल आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी लेकिन उसकी तरफ से पुलिस पर फायरिंग शुरू हो गई जिसके जवाब में पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग झोंक उसे मौत के घाट उतार दिया। घटना की समीक्षा करते हुए चित्रकूट के एसपी अंकित मित्तल ने जेल में हथियार पहुंचने की जांच बैठा दी है। अंशु के पास से बरामद हथियार मुंगेर में बना है जो इटैलियन बरेटा पिस्टल की लोकल मेड बताई गई है। जिसकी जांच के लिए एसपी ने पुलिस मुख्यालय से संपर्क साधा है। जेल में मारे गए मेराज और मुकीम को दो-दो गोलियां अंशु ने मारी थी। जबकि पुलिस की तरफ से चलाई गई 22 गोलियां अंशु को लगी है। अब मुंगेरिया पिस्टल जेल तक कैसे पहुंचा। किन सरगनाओं को मुंगेरिया हथियारों की आपूिर्त होती रही है। इसकी जांच तेज हो गई है।

सच हो रहा वरदह से बेरुत तक की पहुंच वाला जुमला

मुंगेर में बने अवैध हथियारों को लेकर आजिज हो कभी यहां के एसपी रहे केसी सुरेंद्र बाबू ने कहा था कि यहां के वरदह के बने हथियार ढुंढने पर बेरुत में भी मिल जाएं। जगह-जगह मिनीगन फैक्ट्री के संचालन की जानकारी पर उसके उद्भेदन में रोज घंटों वह तब मगजमारी किया करते थे। लेकिन मुंगेर में वरदह गांव में अंकुश लगा तो दियारा और बरियारपुर, शामपुर, पूरब सराय, नया रामनगर आदि थाना क्षेत्र में कारीगर फैल गए और काला धंधा अंदर ही अंदर चालू हो गया। एसटीएफ, एटीएस, अद्धसैनिक बलों का आपरेशन हुआ तो जिले से निकल कर दूसरे जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल और झारखंड के अलावा उड़ीसा के मयूरभंज इलाके में शरण लेकर अपना काला धंधा चलाने लगे।

दुनियां के कोई भी हथियार यहां के कारीगर एक बार दीदार कर लें फिर उसकी लोकल मेड वो झट से तैयार कर देते हैं। फिर उसपर मेड इन इटली, मेड इन जापान, मेड इन चाइना का माेनोग्राम भी करीने से ऐसा बनाते कि काेल्ट, बरेटा, बैबले स्कॉट क्या आइपीएस अफसरों को मिलने वाली ग्लाक पिस्टल और बेल्लियम मेक की मारक माने जाने वाली पिस्टल भी हू-बहू तैयार कर देते हैं। जबलपुर की सेंट्रल आर्डिनेंस डीपो से तीन साल पूर्व चुराई गई करीब 100 एके-47 की पहली खेप मुंगेर ही लाई गई थी। जिसकी लोकल मेड भी बड़े पैमाने पर तैयार कर नक्सली संगठनों को बेची गई थी। चोरी कर लाए गए एके-47 बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के माफिया सरगना और सफेदपोशों को भी बेचे गए जिसकी जांच अभी ठंडे बस्ते में है।

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