पीर नफा शाह के 845 वें उर्स मुबारक पर लोगों ने मांगी देश में अमन चैन की दुआ

हजरत ख्वाजा मोइनउद्दीन चिश्ती के एक शार्गीद फारस के सूफी पीर नफा धर्म और ज्ञान का प्रचार करते हुए हिजरी सन 596 ई और सन 1176 में मुंगेर पहुंचे और यही बस गए। उनकी शान में प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन किया जाता है।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 04:51 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 04:51 PM (IST)
पीर नफा शाह के 845 वें उर्स मुबारक पर लोगों ने मांगी देश में अमन चैन की दुआ
सांप्रदायिक सोहार्द की मिशाल है पीर नफा शाह की मजार, सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद होती है पूरी

जागरण संवाददाता, मुंगेर । हजरत पीर नफा शाह रहमतुल्ला अलैह के 845 वें उर्स मुबारक के दूसरे दिन मंगलवार को पीर नफा शाह के मजार पर कई अकिदतमंदों ने चादरपोशी की। मजार पर हर समुदाय के लोग पहुंचे थे। इससे पहले सोमवार की सुबह कुरआनखानी और दोपहर के समय दुआ मांगी गई। देर शाम मिलादुननवी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्‍या में स्‍थानीय सहित दूर दराज के लोग उपस्थित थे। 

1176 में मुंगेर पहुंचे और यही बस गए

कारी मकसूद आलम, मु. हसनैन, मु. शाहिद ने नात पढ़ी। मौलाना मकसूद ने दिनी बातें लोगों को बताई। पीर नफा शाह रहमतुल्लाह अलैह के मोजाबीर सैयद शौकत अली ने बताया कि हजरत पीर नफा शाह का सालाना उर्स प्रत्येक वर्ष एक से दो मार्च को आयोजित होता है। उन्होंने कहा कि हजरत ख्वाजा मोइनउद्दीन चिश्ती के एक शार्गीद फारस के सूफी पीर नफा धर्म और ज्ञान का प्रचार करते हुए हिजरी सन 596 ई और सन 1176 में मुंगेर पहुंचे और यही बस गए। उनके शान में यहां हर वर्ष उर्स का आयोजन किया जा रहा है। 

यहां प्रतिवर्ष उनके शान में मनाया जाता है उर्स, पूरी होती है मुरादें 

मुंगेर में हजरत पीर नफा शाह रहमतुल्लाह अलैह की शान में उर्स का आयोजन किया जाता है। इधर, मचार पर चादरपोशी करने आए जमालपुर के चंदन कुमार ने कहा कि 10 वर्षो से लगातार पीर नफा शाह की मजार पर चादरपोशी करते आ रहा हूं। इनकी दुआ से आज सरकारी नौकरी कर रहा हूं। लल्लू पोखर के तनमय कुमार ने कहा कि यहा सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है। पटना के राज कुमार ने कहा कि हमारे व्यवसाय में कई बार नुकसान हुआ, लेकिन पीर नफा शाह अलैह की दुआ से नुकसान फायदे में बदल गया। इस अवसर पर पकंज कुमार, सुमेश कुमार, नितेश कुमार, मु. टिंकू , शगुफ्ता परवीन, रौशन आरा, मकबूल आदि मौजूद थे।  

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