खगड़िया में लोगों को कोरोना से ज्यादा ठंड से लगता है डर , दोनों से बचके रहने की जरूरत
ठंड धीरे धीरे परवान चढ़ने लगी है पर प्रशासनिक तैयारियां अभी अधूरी है। बांध-तटबंधों पर रह रहे विस्थापितों को ठंड का सर्वाधिक कहर झेलना पड़ता है। अभी तो कार्तिक माह की ठंड है। माघ-पूस की रात बाकि है।
खगडिय़ा, जेएनएन। ठंड बढ़ गई है। लेकिन प्रशासनिक तैयारी अधूरी है। गोगरी का रैन बसेरा अब तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। जबकि बांध-तटबंधों पर रह रहे विस्थापितों के लिए ठंड से बचाव के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनाई गई है। बांध-तटबंधों पर रह रहे विस्थापितों को ठंड का सर्वाधिक कहर झेलना पड़ता है। अभी तो कार्तिक माह की ठंड है। माघ-पूस की रात बाकि है। नवटोलिया-इतमादी के कोसी कटाव से विस्थापित हुए नागो बैठा कहते हैं- हमलोगों के लिए ठंड का मौसम किसी कहर से कम नहीं है।विस्थापितों के लिए ठंड के मौसम को ध्यान में रखकर कोई योजना तैयार नहीं की जाती है।कंबल से लेकर अलाव तक की व्यवस्था बाजार के लोगों को ही उपलब्ध है।यहां के विस्थापित भगवान राम कहते हैं- कोरोना से नहीं ठंड से डर लगता है।इस बार जब अभी इतनी ठंड है, तो पूस की रात कैसे बितेगी।
बात अगर खगडिय़ा शहरी क्षेत्र की करें, तो यहां मात्र एक आश्रय स्थल है। लेकिन यहां सिर्फ रहने की व्यवस्था है, खाने-पीने की नहीं। खगडिय़ा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी कहते हैं कि यहां ठहरने वालों के खाने-पीने की व्यवस्था को लेकर बोर्ड की अगली बैठक में विचार किया जाएगा। स्वयं सहायता समूह को जिम्मेवारी दी जाएगी। अब बोर्ड की कब बैठक होगी और कब योजना को पूर्ण रूप दिया जाएगा, यह राम जाने।
स्टेशन परिसर में बनाया जाएगा अस्थाई आश्रय स्थल
वैसे नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी यह भी कहते हैं- ज्यादा ठंड बढऩे पर स्टेशन परिसर में अस्थाई आश्रय स्थल बनाया जाएगा। यह तो हुई खगडिय़ा शहरी क्षेत्र की बात गोगरी-जमालपुर शहरी क्षेत्र की स्थिति तो और भी दयनीय है। यहां रेफरल अस्पताल गोगरी परिसर स्थित आश्रय स्थल अब तक बनकर तैयार नहीं हुआ है। बीते वर्ष सरकार के कड़े निर्देश के बाद नगर पंचायत गोगरी जमालपुर में बेघर-बेसहारा लोगों के लिए अस्थााई आश्रय स्थल बनाया गया था। लगता है इस वर्ष भी ऐसा ही करना पड़ेगा। लेकिन यहां भी प्रश्न यह है कि यह रैन बसेरा कब बनकर तैयार होगा, कोई नही जानता।