प्रतिदिन दुकानों से एक लाख की दवाएं खरीद रहे मरीज
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में जीवन रक्षक सहित कई अन्य दवाएं नहीं हैं।
भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में जीवन रक्षक सहित कई अन्य दवाएं नहीं हैं। यहां तक कि इमरजेंसी में सीरिंज और इंजेक्शन का भी अभाव है। इसलिए मरीज के स्वजन बाहर दुकानों से प्रतिदिन एक लाख रुपये से अधिक की दवाएं खरीद रहे हैं।
जेएलएनएमसीएच में अव्यवस्था का आलम यह है कि दमा, बुखार, गैस्ट्रिक और चर्म रोग की भी दवाएं नहीं हैं। इमरजेंसी में भी दवा की व्यवस्था नहीं है। यहां तक की पांच और 10 एमएल का सीरिज भी अब समाप्त होने वाला है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह समस्या पिछले कई दिनों से है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन आपूर्ति की व्यवस्था नहीं कर रहा है।
मरीजों की जिंदगी दांव पर
इमरजेंसी में ऐसे मरीजों को ही भर्ती किया जाता है, जिनकी हालत काफी गंभीर होती है और उन्हें शीघ्र ही इंजेक्शन की जरुरत पड़ती है। ऐसे में मरीज के स्वजन अगर इंजेक्शन खरीदने बाहर जाते हैं तो इसी बीच मरीज की जान भी बन आ सकती है।
चिकित्सक बढ़ा रहे मरीजों की परेशानी
अस्पताल में भर्ती मरीजों की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं। अधिकतर चिकित्सक ब्रांडेड और महंगी दवाएं ही लिखते हैं, जिससे स्वजन की जेब ढीली होती हैं। यदि जेनरिक दवाएं लिखें या सस्ती दवाएं लिखें तो उन्हें कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दवा दुकानदारों से मोटा कमीशन जो मिलता है।
इमरजेंसी में ये दवाएं भी उपलब्ध नहीं
इमरजेंसी में जीवन रक्षक इंजेक्शन एफक्रोलीन, दर्दनाशक सूई ट्रामाडोल, एंटीबायोटिक टेजोमैक्स, आन्डेम आदि दवाएं नहीं हैं, जबकि इमरजेंसी में प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों को भर्ती किए जाते हैं, जिनकी हालत गंभीर रहती है। इन मरीजों को जीवन रक्षक सूई देने की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन पिछले एक सप्ताह से इनकी व्यवस्था नहीं है। वहीं, 20 से ज्यादा मरीजों को एंटीबायोटिक और दर्द की दवाओं की जरुरत पड़ती है। इनमें आपरेशन के मरीज भी शामिल होते हैं। एंटीबायोटिक दवाएं इसलिए दी जाती हैं, ताकि संक्रमण से मरीज बचा रहे। लेकिन ये दवाएं भी नहीं हैं।
आउटडोर में अस्थमा और एलजी सहित अन्य दवाओं की कमी
अस्पताल के आउटडोर विभाग में अस्थमा की दवा सालबूटा नहीं है, जबकि प्रतिदिन 20 से ज्यादा मरीज इलाज करवाने आते हैं। एलर्जी की दवा लिवोसेट्रीजीन एक सप्ताह से नहीं है। इसके अलावा कफ सीरप के बदले एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं।
बाहर की दुकानों पर लगी रहती है भीड़
अस्पताल परसर में जेनरिक दुकान और परिसर से बाहर कई दवा दुकानें हैं, जिनपर सुबह 10 बजे से लेकर करीब एक बजे तक दुकानों में दवा खरीदने वाले मरीज या स्वजनों की भीड़ लगी रहती है। खासकर आउटडोर विभाग में जब तक मरीजों का इलाज किया जाता है। उसके बाद इमरजेंसी में भर्ती मरीज के स्वजन भी दवा खरीदते हैं। एक दवा दुकानदार ने बताया कि जीवन रक्षक दवाओं के अलावा मधुमेह, बीपी, हृदय रोग, चर्म रोग दवाओं की बिक्री ज्यादा है। इसके अलावा पिछले एक माह से प्रोटीन की बिक्री भी बढ़ गई है।
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कोट जो दवाएं समाप्त होने वाली हैं उन्हें कारपोरेशन से मंगाया जाता है। एक सप्ताह पहले ही जिन दवाओं की कमी होने वाली है उसकी आपूर्ति की मांग की जाती है। कभी-कभी दवा की आपूर्ति होने में देरी भी हो जाती है।
डा. असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच