दशहरा-दीवाली लुत्फ उठाने पहुंच रहे परदेशी बाबू, इन प्रदेशों से बड़ी संख्‍या में घर लौट रहे जमुई के लोग

दशहरा और दुर्गा पूजा को लेकर बड़ी संख्‍या में परदेशी बाबू घर लौटने लगे हैं। परिवार सहित उनके आगमन पर घर गांव और जबार पुल्कित व आनंदित हो उठा है। घरों से ठहाके उठ रहे हैं। साथ ही इसके...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 04:47 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 04:47 PM (IST)
दशहरा-दीवाली लुत्फ उठाने पहुंच रहे परदेशी बाबू, इन प्रदेशों से बड़ी संख्‍या में घर लौट रहे जमुई के लोग
दशहरा और दुर्गा पूजा को लेकर बड़ी संख्‍या में परदेशी बाबू घर लौटने लगे हैं। सांकेतिक तस्‍वीर।

संवाद सहयोगी, जमुई। त्योहार को लेकर दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले घर लौटने लगे हैं। परिवार सहित उनके आगमन पर घर, गांव और जबार पुल्कित व आनंदित हो उठा है। घरों से ठहाके उठ रहे हैं तो हावभाव से खुशी और उमंग छलक रही है। तरह-तरह के पकवानों की उठती खुशबू और हृदय से उठता आत्मीयता जता रहा है कि भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार और पारिवारिक सुख के मायने क्या हैं। इसे जीवन का अमृत व सार क्यों कहा गया।

-दूसरे प्रदेशों में काम करने वाले त्योहार में लौटने लगे घर

-रेलवे स्टेशन पर बढ़ी भीड़

-खुशियों व ठहाकों से गूंज रहा घर

-होठों पर मुस्कुराहट, चेहरों पर संतोष

मलयपुर में एक परिवार के वृद्ध के आंखों में उस वक्त आंसू आ गए जब पूरा परिवार एकसाथ बैठकर भोजन कर रहा था। उन्होंने कहा कि आर्थिक सबलता के लिए घर से दूर जाना मजबूरी है। सबको कैरियर व भविष्य बनाना है। त्योहार-पर्व पूरे परिवार को मिला देता है। भारतीय पर्व की यही खासियत है। यह मिलन, स्नेह, रिश्तों को जोड़ता है। बहरहाल, दुर्गा पूजा को लेकर अपनों के घर लौटने से हर घर में खुशियां छाई है। चाचा, भईया, भतीजा, चाची, दीदी, छोटी बहन की चहक व आवाज से हर घर मुस्कुरा रहा है।

जमुई स्टेशन पर बड़ी संख्या में घर लौटने वाले उतर रहे हैं। घर लौटने की खुशी व उमंग प्लेटफार्म व स्टेशन परिसर में ही दिखने लगता है। चेहरे से खुशियां और अपने के सानिध्य से संतुष्टि और सुरक्षित होने की भावना साफ चेहरे पर झलकती है। स्टेशन पर कुमार अनुज, राहुल कुमार, महेश शर्मा आदि ने बताया कि घर आने की खुशी ही कुछ और होती है। यहां हर चीज अपना लगता है। मिट्टी की सुगंध नाक से उतर दिल को उमंगित कर देती है। सुकून व शांति मिलती है। ऐसा लगता है जैसे सिर से कोई बोझ हटा हो। उन्होंने प्रफुल्लित अंदाज में कहा कि इन एहसासों को शब्द नहीं दे सकता।

बताया कि त्योहार शुरु होने के एक दो महीने पहले से ही घर जाने की तैयारी शुरु हो जाती है। बच्चे भी खुश रहते हैं। बुजुर्ग शंकर सिंह ने बताया कि त्योहार के इस माहौल की याद और इंतजार में ही साल गुजरता है। त्योहार खुशियों का सौगात लेकर आता है। बहुत खुश हैं। अब चलते हैं, बेटा व पोती आवाज दे रही है। खुश रहो, आनंदित रहो।

chat bot
आपका साथी