बोले पप्पू यादव- CRIME कंट्रोल के लिए नहीं है बिहार पुलिस, सरकार ने गाड़ी और शराब पकड़ने में कर रखा है बिजी
सुपौल पहुंचे जाप प्रमुख पप्पू यादव ने बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस क्राइम कंट्रोल के लिए नहीं है। सरकार ने उसे गाड़ी पकड़ने और शराब पकड़ने में लगा रखा है। उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई इसी दोषपूर्ण व्यवस्था से है।
संवाद सूत्र, प्रतापगंज (सुपौल): जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने सोमवार की शाम निवर्तमान प्रमुख भूपनारायण यादव के घर पहुंचकर स्वजनों को सांत्वना दी। गत दिनों अपराधियों द्वारा निवर्तमान प्रमुख के छोटे भाई रंजीत कुमार को अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पूर्व सांसद ने कहा कि घटना दर्शाती है कि सूबे में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। पप्पू यादव के पहुंचने की सूचना पर उमड़े भीड़ के बीच उन्होंने कहा कि आज निवर्तमान प्रमुख के भाई की राजनीतिक साजिश के तहत हत्या हुई।
मधेपुरा से पूर्व सांसद ने कहा कि हत्या के छह दिनों बाद भी पुलिस न तो साजिशकर्ता और न ही अपराधियों को पकडऩे में सफल रही है। घटना की निन्दा करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ने पुलिस को अपराधियों के नियंत्रण के लिए छोड़ा ही कहां है। देश या विदेश का इकलौता राज्य बिहार है, जहां पुलिस से ही सभी काम लिया जा रहा है। दारु पकड़ना है तो पुलिस, गाड़ी पकड़ना है तो पुलिस। कितने उदाहरण दिए जाएं। अपराधियों को राजनीतिज्ञों का संरक्षण प्राप्त है। वगैर इसके अपराधी फल-फूल नहीं सकते। मेरी लड़ाई बिहार के लगभग पन्द्रह करोड़ जनता के लिए सरकार की दोषपूर्ण व्यवस्था से है। मैं इसी का विरोध करता हूं।
उन्होंने कहा कि सरकार की जो व्यवस्था है उससे मृतक रंजीत को न्याय मिल सकेगा। इतना ही नहीं उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि भूप नारायण जी को इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर एसआईटी जांच या फिर सीबीआई से जांच की मांग करनी चाहिए। नहीं देने की स्थिति में निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए। तभी निष्पक्ष जांच संभव है। पूर्व सांसद ने मृतक रंजीत के तस्वीर पर माल्यार्पण करने के बाद वृद्ध माता व पिता से मिलकर सांत्वना दिया। इस मौके पर परमेश्वरी सिंह यादव, जिलाध्यक्ष नंद किशोर चौधरी, इन्द्रजीत यादव, प्रदीप बसैदार, सरोज पंडित, मु. अजीजुल्लाह, जफीरुल हौदा आदि सहित सैकडों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।