आखिर क्या करे किसान... तीन-तीन बार खेतों में लगाया धान की फसल, फिर भी निराशा
सुपौल में बाढ़ ने किसानों का जीना मुहाल कर दिया है। बाढ़ से धान की फसल को काफी क्षति हुई है। एक बार धान की फसल नष्ट होने के बाद किसान फिर से पौधा लगाते हैं। लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिलता।
सुपौल, जेएनएन। मरौना प्रखंड क्षेत्र में किसानों ने पूर्व में बाढ़ में धान की फसल डूबने के बाद तीन-तीन बार रोपनी की थी। बारिश बाद एक बार फिर तिलयुगा के उफनाने से फसल डूब गई है। उधर छातापुर प्रखंड क्षेत्र में सुरसर और गेंडा नदी के उफान से भी धान की फसल प्रभावित हुई है। किसानों की समझ में नहीं आ रहा है कि अब वे क्या करें।
पिछले दिनों हुई बारिश से तिलयुगा, सुरसर, गेडा आदि नदियां उफना गई थी। नदियों के उफनाने से कई गांवों सहित खेतों में पानी फैल गया। तिलयुगा का पानी रविवार की रात तक मरौना प्रखंड क्षेत्र के परिकोच, गिदराही, कुआटोल, मंगासिहोल, गणेशपुर, कोनी आदि गांवों में फैल गया। इन गांवों में पानी किसान की फसल को चौपट कर दिया। धान वाली सैकड़ों एकड़ खेत में पानी का जमाव हो गया जिससे फसलें डूब गई। यहां के किसान प्रभात यादव, सुखदेव मंडल, जगदीश मंडल आदि बताते हैं कि इसबार धान की फसल पर मौसम की मार जमकर पड़ी है। कहा कि कई किसानों ने तो रोपनी के बाद फसल डूब जाने के कारण तीन-तीन बार रोपाई की।
कई किसानों ने तो तटबंध के बाहर से बीज खरीदकर भी रोपाई की थी। 15 सितंबर बीत जाने के बाद किसानों को लगा कि अब आफत टल गई लेकिन गुरुवार से जो बारिश शुरू हुई तो शनिवार की रात तक होती रही। अत्यधिक बारिश के कारण तिलयुगा का पानी उफनाया और खेतों में घुस गया। अब धूप निकली है। पानी सूखने तक फसल के संबंध में कुछ कहना कठिन है। दूसरी ओर छातापुर, डहरिया, तिलाठी, लक्ष्मीनियां आदि गांवों में गेडा नदी के कारण और सुरसर नदी ने राजेश्वरी, चुन्नी, जीवछपुर, माधोपुर आदि गांव में फसलों को नुकसान पहुंचाया है।