गमले में मुस्करा रहा आक्सीजन, पर्यावरण को मिली 'प्राणवायु'

कोरोना काल में आक्सीजन की अहमियत सभी को पता चल गई। इसके साथ ही लोगों की सोच भी बदली है। यही कारण है कि लोग गमले में भी पौधे लगाने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 02:17 AM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 02:20 AM (IST)
गमले में मुस्करा रहा आक्सीजन, पर्यावरण को मिली 'प्राणवायु'
गमले में मुस्करा रहा आक्सीजन, पर्यावरण को मिली 'प्राणवायु'

भागलपुर [नवनीत मिश्र]

कोरोना काल में आक्सीजन की अहमियत सभी को पता चल गई। इसके साथ ही लोगों की सोच भी बदल गई है। यही कारण है कि गमले में मुस्कराने लगा है आक्सीजन तो पर्यावरण को भी मिल गई है प्राणवायु। अब लोग बागान और अन्य जगहों के अलावा बालकनी और खिड़कियों के पास गमले टांगकर उसमें आक्सीजन देने वाले पौधे लगा रहे हैं। लोग अधिक आक्सीजन छोड़ने वाले पौधों को प्राथमिकता दे रह हैं।

अब लोग यह मान रहे हैं कि यदि वे अपने घरों में पौधों को स्थान दें तो हरियाली, सुंदरता के साथ-साथ आक्सीजन की भी कमी पूरी की जा सकती है। लोग उपलब्ध संसाधनों व जमीन की उपलब्धता के अनुसार पौधारोपण कर रहे हैं। शहरी क्षेत्र में अपार्टमेंट में भी लोग बालकनी व ड्राइंग रूम में पौधों को रखने का प्रयास कर रहे हैं।

छतों पर ये लगाए जा रहे पौधे

एरिका पाम, ट्रायएगुलर पाम, रैबिश पाम, लेडीज पाम, स्पाइडर, पीस लीली और विभिन्न प्रकार के बोनसाई जैसे नीम, पीपल, बरगद, फायकस आदि की बिक्री जोरों पर है। इसके अतिरिक्त लोग अपनी छतों पर भी पौधारोपण में रुचि दिखा रहे हैं। कुछ लोग वास्तु फेंगशुई के दृष्टिकोण से भी लक्ष्मी कमल, लक्की बंबु, बुद्धा बंबु पीपल आदि का रोपण करने में रुचि दिखा रहे हैं।

रूफ टाप गार्डनिंग पर 50 फीसद तक मिलती है सब्सिडी

अभी सरकार द्वारा रूफ टाप गार्डनिंग में 50 फीसद तक सब्सिडी दी जा रही है। लोग इसका भी फायदा उठाकर अपनी छतों पर फूल सब्जी के साथ साथ फलों के उन्नत नस्ल एवं छोटे आकार के पौधों को लगाने में रुचि दिखा रहे हैं। इसके तहत ताईवान पिंक अमरूद, अनार आम्रपाली आम, नीबू आदि को पसंद किया जा रहा है। कुछ लोग औषधीय पौधों यथा तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ, सतावर, गुडमार, बीटरलीफ आदि पौधे लगाने में भी काफी रुचि दिखा रहे हैं।

पर्यावरण की शुद्धता के साथ मच्छर व मक्खियों से मिलती है मुक्ति

लोगों का मानना है कि लेमनग्रास, तुलसी, गेंदा आदि पौधों से पर्यावरण के शुद्धता के साथ साथ मच्छरों एवं कीट पतंगों से भी मुक्ति मिलती है। इससे कई लाभ हो रहा है। सुंदरता व हरियाली के साथ-साथ लोगों को शारीरिक श्रम भी होता है, जिसका लाभ भी मिल रहा है। कई प्रकार के बीमारी डायबीटिज, ब्लडप्रेशर और थायरायड में लाभ मिल रहा है। घरों के अंदर या छत पर पौधारोपण में पुरुषों के मुकाबले महिला ज्यादा रूचि ले रही हैं। वे यहां तक कि अपने किचन में भी कुछ पौधे पुदीना आदि को लगा रही हैं।

...................

विशेष आयोजन पर लगाए जा रहे पौधे

लोग विशेष आयोजन के दौरान पौधे लगा रहे हैं। बच्चों के जन्मदिन पर भी लोग पौधे लगा रहे हैं। श्राद्धकर्म के दौरान भी लोग पौधारोपण कर रहे हैं। जानवरों के जन्मदिन पर भी लोग पौधारोपण किया जा रहा है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी लोग पौधे लगा रहे हैं। सरकारी जमीन पर लोग बरगद व पीपल के पेड़ लगाए जा रहे हैं। खास कर आक्सीजन प्लांट की डिमांड काफी बढ़ी है। नर्सरी संचालक विनोद कुमार ने बताया कि कोरोना संकट के बाद पौधारोपण के प्रति लोगों में पौधारोपण के प्रति जागरुकता चकित करने वाली है। प्रत्येक दिन सौ से अधिक लोग पौधे की खरीदारी कर रहे हैं। अब घर घर बागवानी का कांस्पेट तेजी से बढ़ रहा है। इंडोर प्लांट में एरिकापाय, संसबेरिया, एरालिया, डिफनेविकाया पौधे लोगों को अधिक भा रहे हैं। तुलसी, पीपल, बरगद, सम्मी, पाकुड़ आदि के बॉनशाही किस्म के पौधे की खूब बिक्री हो रही है। ये पौधे ऑक्सीजन प्लांट हैं। इस कारण लोग अब इसे घरों में लगा रहे हैं।

----------------------

वायुमडंल में आक्सीजन की तुलना में कार्बन डायआक्साइड एवं अन्य जहरीले तत्वों का अनुपात बढ़ता जा रहा है। निरंतर वनों के कटाव से वनक्षेत्र भी घटते जा रहे हैं। इस परिस्थिति में पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए पौधारोपण एक मात्र सहारा है। पौधारोपण को लोगों ने अपने स्वभाव व्यवहार में शामिल करना शुरू कर दिया है। सरकार को बच्चों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण को शामिल करना होगा। उन्हे व्यवहारिक रूप में पौधारोपण का ज्ञान देना होगा। नर्सरी उद्योग को कृषि का दर्जा देकर इसे प्रोत्साहित करना होगा।

दीपक कुमार झा, मालिक प्रकृति नर्सरी

chat bot
आपका साथी