अब कोसी और सीमांचल के लोग चखेंगे जी-9 केले का स्वाद... पहली बार 65 एकड़ में हो रही खेती, छह माह में हो जाएगा तैयार

कोसी और सीमांचल के लोग अब जी-9 केले का स्‍वाद चखेंगे। इसके लिए पहली बार यहां पर 65 एकड़ में इसकी खेती होने जा रही है। छह माह में यह केला तैयार हो जाएगा और बाजार में इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 05:55 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 05:55 PM (IST)
अब कोसी और सीमांचल के लोग चखेंगे जी-9 केले का स्वाद... पहली बार 65 एकड़ में हो रही खेती, छह माह में हो जाएगा तैयार
कोसी और सीमांचल के लोग अब जी-9 केले का स्‍वाद चखेंगे।

जागरण संवाददाता, सुपौल। जिले में केले के नए प्रभेद जी-9 की पहली बार खेती की गई है। छह महीने बाद इसकी फसल तैयार होकर बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। 65 किसानों ने 65 एकड़ में इसकी खेती की है। केले की ङ्क्षसचाई के लिए विभाग द्वारा खेतों में ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था की गई है। अब अन्य प्रदेशों में उगाए जाने वाले केले के इस प्रभेद का स्वाद यहां के लोग भी चखेंगे।

किसानों का रुझान देख विभाग तत्पर

हाल के दिनों में जिले में भी केले की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। नकदी फसल के रूप में उगाए जाने वाले केले की खेती से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण केले की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। अब तक यहां के किसान पारंपरिक केले की खेती में करते थे जिससे किसानों को अपेक्षाकृत आमदनी नहीं हो पाती थी। जी-9 प्रभेद के केले की सबसे बड़ी खासियत है कि यह ना सिर्फ स्वाद में बेहतर होता है बल्कि इसकी उपज क्षमता अधिक होती है। केले की खेती कर रहे किसानों को उद्यान विभाग द्वारा जी-9 केले का किट उपलब्ध कराया गया है।

टिश्यू कल्चर से तैयार किए गए हैं पौधे

टिश्यू कल्चर से तैयार केले के पौधे रोग प्रतिरोधक मामले में भी अव्वल है। इसकी खासियत यह भी है कि खेतों में लगे सभी पौधे एक साथ बड़े होते हैं और एक साथ फल देते हैं जिससे किसानों को एकमुश्त आमदनी हो जाती है जब तक एक पौधा फल देता है तब तक इससे निकला दूसरा पौधा भी बढ़ जाता है।

बोले कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार के अनुसार इस केले के लिए कम पानी की जरूरत होती है। इसका स्वाद अन्य प्रजातियों से अच्छा होता है इसके साथ ही इसके अंदर पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इस प्रभेद से प्रति एकड़ 45 हजार किलोग्राम केले का उत्पादन किया जा सकता है।

यह पहला मौका है जब जिले में टिश्यू कल्चर केले की खेती की गई है। इसमें किसानों को 50 फ़ीसद अनुदान दिया जाएगा। किसानों को कृषि विश्वविद्यालय सबौर द्वारा पौधे उपलब्ध कराए गए हैं।

आकाश कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी

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