अब दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का मनचाहा लाभ लेना नहीं रहा आसान

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 को लेकर डीजीपी एसके सिंघल के तल्ख तेवर ने बेजा लाभ देने की जुगाड़ निकालने वाले पुलिसकर्मियों को सकते में आ गए हैं। एसपी रेंज में बैठे डीआइजी जोन में बैठे आइजी 41 सीआरपीसी के प्राविधानों को लागू करने में सख्ती दिखाने लगे हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 09:49 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 09:49 AM (IST)
अब दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का मनचाहा लाभ लेना नहीं रहा आसान
पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल, डीआजी सुजीत कुमार और एसएसपी नताशा गुड़िया।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 को लेकर सूबे के पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल के तल्ख तेवर ने इस धारा के प्राविधानों से आरोपितों को बेजा लाभ देने की जुगाड़ निकालने वाले पुलिसकर्मियों को सकते में ला दिया है। डीजीपी की सख्ती से जिलों में बैठे एसपी, रेंज में बैठे डीआइजी, जोन में बैठे आइजी 41 सीआरपीसी के संशोधित प्राविधानों को लागू करने में सख्ती दिखाने लगे हैं। भागलपुर, बांका और नवगछिया में 41 सीआरपीसी के तहत गिरफ्तारी बाद चेकलिस्ट को नए सिरे से तैयार कर न्यायालय को सौपा जाने लगा है।

इन थानों में नए प्राविधानों से चेकलिस्ट होने लगी तैयार

बरारी, तिलकामांझी, जोगसर, कोतवाली, तातारपुर, बबरगंज, इशाकचक, विश्वविद्यालय, औद्योगिक, हबीबपुर, ललमटिया, नाथनगर, सजौर, कजरैली, शाहकुंड, जगदीशपुर, लोदीपुर, सबौर, गोराडीह, कहलगांव अनुमंडल के थानों के अलावा बांका और नवगछिया के थानों में भी दोनो जगहों के थानों में व्यवस्था लागू हो गई है। डीआइजी सुजीत कुमार वके निर्देश पर तीनों जिलों में थानों में इसका अनुपालन होने लगा है। तीनों जिलों के थानों से न्यायालय में दाखिल होने वाले चेकलिस्ट में प्रारंभिक काल होने के कारण कुछ गड़बड़ियां सामने आ रही है, जिन्हें सम्बंधित न्यायालयों के न्यायाधीश उन पुलिस पदाधिकारियों को चेतावनी दे त्रुटि सुधार का मौका दे लौटा दिया। ऐसे दो दर्जन मामले त्रुटि सुधार के आए हैं। जिन्हें पुलिस पदाधिकारियों ने सुधार कर बाद में दाखिल कर दिया। भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने की चेतावनी पर उन्हें पहली बार सुधार का मौका दिया गया।

यह करना पुलिस पदाधिकारियों को हो गया जरूरी

पुलिस महानिदेशक ने 28 मई 2021 को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत आदेश जारी करते हुए सभी पुलिस पदाधिकारियों को उसके गंभीरता से अनुपालन का निर्देश दिया है। आदेश के अनुसार पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति संबंधी प्रावधान धारा 41 सीआरपीसी में संशोधित आदेश को प्रभावी करने को कहा है। उक्त प्रावधानों के तहत 498ए-महिला को प्रताड़ित मामले में तथा सात साल से कम सजा वाले मामले में आरोपितों को सीधे गिरफ्तार करने के बजाय पहले धारा 41 सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी को लेकर पहले संतुष्ट हो लेंगे। यानी पुलिस पदाधिकारी महिला प्रताड़ना से जुड़ी धारा 498ए और उन तमाम मुकदमे जिनमें सात साल से कम की सजा का प्रावधान हो उसमें आरोपित की गिरफ्तारी के पूर्व संतुष्ट हो लेंगे कि उनकी गिरफ्तारी उचित है या नहीं। यदि गिरफ्तारी आवश्यक नहीं समझी जाए तो केस दर्ज होने के दो सप्ताह के अंदर संबंधित न्यायालय को ऐसे आरोपितों का बाकायदा विवरण सौंपेंगे। दो सप्ताह की उक्त अवधि एसपी की तरफ से लिखित प्रतिवेदन के जरिए बढ़ाई जा सकती है।

लापरवाही नहीं, माना जाएगा अपराध, एक तरफ विभागीय कार्रवाई तो कोर्ट में अवमानना का करना होगा सामना

41 सीआरपीसी से मुतल्लिक़ डीजीपी के उक्त निर्देशों के अनुपालन में असफल होने पर पुलिस पदाधिकारियों को एक तरफ विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा, दूसरी तरफ न्यायालय में अवमानना का भी दंड झेलना होगा।

इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के प्राविधानों के अनुरूप चेकलिस्ट तैयार करने होंगे। एसपी अब ऐसे दायरे में आने वाले जिन आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की गई है उनके विवरण की समीक्षा अपनी प्रत्येक माह की अपराध समीक्षा बैठक में करेंगे। उसका प्रतिवेदन भी एसपी स्तर पर उच्चतर कार्यालयों को भेजा जाएगा। चेकलिस्ट संधारण और मूल्यांकन अलग-अलग आरोपितों के लिए अलग-अलग होना है। वह इसलिए कि एक ही कांड में अलग-अलग आरोपितों की परिस्थितियां तथा उससे संबंधित सामग्री अलग-अलग हो सकती है। 41 सीआरपीसी की सबसे अहम बिंदु यह भी है कि यदि कोई व्यक्ति संज्ञेय अपराध किसी पुलिस पदाधिकारी की मौजूदगी में करता है तो उसकी गिरफ्तारी बिना वारंट के की जा सकती है। भले ही ऐसे अपराध की सजा कितनी भी कम क्यों न हो।

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