कुख्यात नक्सली कमांडर डॉक्टर ने किया आत्मसमर्पण, एसपी हत्याकांड में जा चुका है जेल,15 साल से थी तलाश
नक्सली कमांडर डॉक्टर उर्फ सोरेन कोड़ा ने आत्मसमर्पण कर दिया है। मुंगेर के एसपी के सी सुरेंद्र बाबू हत्याकांड में वह 15 महीने तक की कैद भुगत चुका है। जेल से बाहर आने के बाद उसने चार दर्जन से अधिक घटनाओं में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है।
जमुई, जेएनएन। विजयादशमी का दिन जमुई पुलिस के लिए शुभ साबित हुआ है। जिस नक्सली कमांडर की तलाश पुलिस को 15 वर्षों से थी उसने सोमवार को पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार मंडल के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण के पीछे सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति से कमांडर का प्रभावित होना बताया गया है लेकिन नक्सली संगठन में आई दरार के कारण आत्मसमर्पण की बातें सुनी जा रही है। नक्सली कमांडर डॉक्टर उर्फ सोरेन कोड़ा मुंगेर के एसपी के सी सुरेंद्र बाबू हत्याकांड में 15 महीने तक की कैद भुगत चुका है। जेल से बाहर आने के बाद उसने चार दर्जन से अधिक घटनाओं में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है। बताया जाता है कि डॉक्टर प्रवेश दा का दाहिना हाथ था और संगठन में प्रवेश दा और अरविंद दा के बाद इसका ही स्थान था। पुलिस अधीक्षक प्रमोद कुमार मंडल ने प्रेस वार्ता कर उक्त जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि
भाकपा ( माओवादी ) के शीर्ष कमांडर डॉ उर्फ सोरेन कोड़ा, बरहट] जमुई द्वारा आत्म सर्मपण किया गया है। ये वर्ष -2004 से भाकपा( माओवादी ) के सक्रिय सदस्य के रूप में कार्य कर रहा था। वह जिला के करीब तीन दर्जन कांडों में वांछित हैं। इसके अलावा मुंगेर और लखीसराय जिला के करीब एक दर्जन कांडों में पुलिस को इसकी तलाश थी। यह नक्सली पूर्व में वर्ष -2005 में मुंगेर जिला के खडग़पुर थाना से जेल जा इनके द्वारा वर्ष 2005 में भीमबांध जंगल में के सी सुरेन्द्र बाबु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक , मुंगेर सहित पुलिस बल को लैंड माइंस विस्फोट कर हत्या, बरहट थाना के पचेसरी स्कूल में दो भाईयों की हत्या, पैसरा मुठभेड़, लखीसराय जिला के पुजारी अपहरण सह हत्या कांड, मननपुर से मुखिया अपहरण कांड में संलिप्ता स्वीकार किया है। इसके अलावा अन्य कांडों में भी अपनी संलिप्त स्वीकार की है । इसके द्वारा बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे नक्सल आत्म सर्मपण / पुर्नवास नीति से प्रेरित होकर मुख्य धारा से जुडऩे का फैसला किया है एवं पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण किया। वैसे बताया जा रहा है कि नक्सली संगठन के खिलाफ जारी ताबड़तोड़ अभियान से नक्सलियों के बीच पुलिस मुखबिरी को लेकर द्वंद शुरू हो गया है। उक्त द्वंद में ही शक की सुई डॉक्टर उर्फ सोरेन कोड़ा के तरफ संगठन की जा रही थी। सांगठनिक कार्यवाही के तहत डॉक्टर का एसएलआर तत्काल जब्त भी कर लिया गया था। साथ ही इसे संगठन से किनारा करने की कार्रवाई की जा रही थी। इसी बीच एसपी अभियान सुधांशु कुमार को नक्सली संगठन के अंदर खाने से इसकी भनक लगी और उन्होंने बिसात बिछानी शुरु कर दी। आखिरकार एसपी अभियान को विजयादशमी के दिन सफलता मिली और शीर्ष कमांडर डॉक्टर सोरेन ने आत्मसमर्पण कर दिया।