खतरे में मेयर सीमा साहा की कुर्सी, वरीय अधिकारी के निर्णय पर सबकी टिकी निगाहें, छह माह बचा है कार्यकाल

भागलपुर की मेयर सीमा साह की कुर्सी एक बार फ‍िर खतरे में है। हालांकि उनका कार्यकाल छह माह ही रह गया है। ऐसे में अविश्‍वास प्रस्‍ताव का विरोध मेयर ने किया है। मेयर ने नगर पालिका अधिनियम का हवाला देते हुए कहा है कि...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 11:38 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 11:38 AM (IST)
खतरे में मेयर सीमा साहा की कुर्सी, वरीय अधिकारी के निर्णय पर सबकी टिकी निगाहें, छह माह बचा है कार्यकाल
भागलपुर की मेयर सीमा साह की कुर्सी एक बार फ‍िर खतरे में है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। नगर निगम मेंं मेयर सीमा साहा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का मामला अब कानूनी पेंच में उलझता जा रहा है। छह माह के पहले अविश्वास प्रस्ताव देने और मेयर द्वारा प्रस्ताव को नकारे जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। मेयर की ओर से प्रस्ताव पर रोक लगाने का आवेदन देकर मामले को दिलचस्प बना दिया गया है। नगर पालिका अधिनियम में प्रावधानों को लेकर दोनों पक्षों के अलग-अलग तर्क है। आवेदन देकर दोनों पक्ष चुप्पी साथ ली है।

ऐसे में पार्षदों में असमंजस की स्थिति बनी है। पार्षदों को अब जिला प्रशासन के निर्णय का बेसब्री से इंतजार है। डीएम व नगर विकास विकास एवं आवास विभाग को अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अहम निर्णय लेना है। यह प्रस्ताव गिरेगा या रहेगा इसे लेकर दोनों पक्षों के साथ प्रशासन भी विधि सलाहकारों से अधिनियम पर मंथन करा रहे हैं।

दरअसल एक दिसंबर को 22 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया है। दो दिसंबर को नगर आयुक्त ने मेयर को पार्षदों के पत्र के आधार पर से सूचना उपलब्ध कराया है। इसे लेकर मेयर को सात दिनों के अंदर बैठक की तिथि के लिए नोटिस जारी करना है। साथ ही 15 दिनों के अंदर विशेष चर्चा के लिए बैठक बुलाया है। लेकिन, नोटिस जारी करने के लिए अब तीन दिन शेष बचा है। इसकी कोई सुगबुगाहट तक नहीं है।

ठोस पहल नहीं तो जाएंगे न्यायालय की शरण में : संजय

नगरपालिका अधिनियम का अध्ययन व विधि परामर्श लेने के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। पार्षद संजय सिन्हा ने बताया कि प्रावधान के अनुसार छह माह के शेष बचे कार्यकाल के बीच और पूर्व में लगे अविश्वास प्रस्ताव के एक वर्ष बाद तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। ऐसे में कार्यकाल पूरा होने से छह माह आठ दिन पूर्व प्रस्ताव लाया गया है।

इसलिए मेयर को सात दिनों के अंदर नोटिस जारी कर 15 दिनों के अंदर बैठक बुलाना चाहिए। अगर समय पर बैठक नहीं बुलाती है तो पार्षदों द्वारा तिथि निर्धारित की जाएगी। इसके बावजूद अधिकारी पर दवाब बनने का प्रयास होगा तो न्यायालय में जनहित याचिका दर्ज करेंगे। उन्हेांने कहा कि प्रशासन पर पार्षदों को पूरा भरोसा है। नियम के अनुसार निर्णय लेंगे।

बैठक बुलाने पर अभी निर्णय नहीं : मेयर

अविश्वास प्रस्ताव नियमानुकूल नहीं है। इसलिए बैठक को लेकर अभी कोई रणनीति नहीं है। अधिनियम में जब प्रस्ताव का प्रावधान ही नहीं तो बैठक किस बात की। को लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है। डीएम व विभाग का जो निर्णय आएगा वो स्वीकार है। अगर पार्षद जनहित याचिका दर्ज करेंगे तो न्यायालय के फैसले पर भरोसा है। मेयर सीमा साहा ने कहा कि हम गलत या निगम के अधिकारी दोषी है। इसका भी अधिकारी को संज्ञान लेना चाहिए।

विवादों में उलझा शहर का विकास कार्य

नगर निगम के साढ़े चार वर्षों केे कार्यकाल में विकास कार्य पीछे छूट गया। पूरा कार्यकाल विवादों में बीता। नगर निगम के अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय का अभाव तो कभी पार्षदों के साथ विवाद में बीता। इसमें जनता की समस्या रखी रह गई। चार दिसंबर को क्रय समिति की बैठक भी रद हो गई। इसमें कंबल खरीदारी, आटो टीपर व पाकलेन की खरीदारी का मामला उलझकर रह गया। प्रत्येक वार्ड को तीन-तीन सौ कंबल देने की योजना बनी है।

वहीं आठ दिसंबर को आयोजित सामान्य बोर्ड की बैठक भी टलने के आसार है। इसकी सूचना अभी निगम प्रशासन ने जारी नहीं की है। जबकि सामान्य बोर्ड की बैठक में कोरोना काल के दौरान कार्य करने वाले निगम के फ्रंट लाइन वर्कर को 15 दिनों की अतिरिक्त मजदूरी राशि का भुगतान करने का प्रस्ताव लेना है। इससे निगम के करीब 1200 कर्मियों को इसका लाभ मिलना है। लेकिन बोर्ड की बैठक नहीं होने से भुगतान का मामला फंस जाएगा।

वहीं बरारी वाटर वक्र्स से नदी की धारा दूर होने से पीपली धाम घाट तक केनाल निर्माण करना है। समर प्लान की योजना पर प्रस्ताव लेना है। साथ ही सफाई के आउट सोर्सिंग कंपनी के चयन भी अटक जाएगी। प्रत्येक वार्ड में एक-एक प्याऊ निर्माण के लिए एग्रीमेंट व 11 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की निविदा पर ग्रहण लग सकता है। पार्षद हंसल ङ्क्षसह व अनिल पासवान ने कहा कि विवाद व अविश्वास प्रस्ताव से शहर का विकास पूरी तरह ठप हो जाएगा। छह माह शेष बचे हैं सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है।  

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