पेयजल की समस्या से इस वर्ष भी जूझेंगी ड्राई जोन की नौ पंचायतें, जानिए वजह
-प्रखंड की ड्राई जोन में आने वाली नौ पंचायतों की भौगोलिक संरचना ही कुछ ऐसी है कि वहां पेयजल की प्राकृतिक समस्या बनी रहती है। सरकारी स्तर पर गाड़े गए चापानल भी कुछ दिनों बाद ही वहां मृतप्राय हो जाते हैं।
जमुई [मनोज कुमार राय] । वसंत ऋतु में ही उमस के उन्मादी तेवर ने यह संकेत देने शुरू कर दिए कि आने वाले महीनों में पेयजल की समस्या कितनी विकट होगी। प्रखंड की ड्राई जोन में आने वाली नौ पंचायतों की भौगोलिक संरचना ही कुछ ऐसी है कि वहां पेयजल की प्राकृतिक समस्या बनी रहती है। सरकारी स्तर पर गाड़े गए चापानल भी कुछ दिनों बाद ही वहां मृतप्राय हो जाते हैं। यही वजह है कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग इन पंचायतों में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने को ले हांफता रहा है। प्रखंड की 19 पंचायतों में पिछले वर्षों के दौरान कुल दो हजार आठ सौ सरकारी चापाकल पीएचइडी द्वारा गड़वाए गए थे। ताजा स्थिति यह है कि इनमें से 50 फीसद से अधिक चापाकल मृतप्राय हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो प्रखंड की तकरीबन दो लाख की आबादी पर महज 1950 सरकारी चापानल हैं उनमें भी अधिकतर मृतप्राय।
पानी के लिए लोग होते हैं पानी-पानी
पानी को अनमोल यूं नहीं कहा जाता है। शुद्ध पानी की उपलब्धता का महत्व यहां के गांवों के बच्चे तक जानते हैं। दरअसल इस प्रखंड के अधिकांश गांव में शुद्ध पेयजल की तलाश में लोगों को पानी-पानी होना पड़ता है। स्थिति ऐसी है कि बुजुर्ग, महिला और बच्चों को जोर-जरिया से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ती है। इसके लिए इन्हें लंबी दूरी भी चलनी होती है। सुबह का सबसे पहला काम पानी लाना ही होता है। लिहाजा इन गावों में पानी सस्ती नहीं है।
ड्राई जोन की नौ पंचायतों में बसती है 70 हजार आबादी
थमहन, रजौन, नैयाडीह, लालीलेवार, दहियारी, ढोढरी, बेलंबा, पैरा मटिहाना, छुछुनरिया जैसी पंचायतों में पेयजल की समस्या यूं तो सालों भर बनी रहती है । सरकारी सूची के अनुसार मृतप्राय सरकारी चापानलों की कुल संख्या का 75 फीसद इन्हीं पंचायतों में है। यहां के लोग पूरी तरह नदी - नाले, जोरिया व कुएं का पानी पीने को विवश हैं।
पेयजलापूर्ति को ले सरकारी प्रयासों पर एक नजर
पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने को लेकर सरकारी स्तर पर कई योजनाएं संचालित हैं। चापानल, सात निश्चय योजना के तहत जल - नल योजना, सोनो बाजार में वर्षों पूर्व स्थापित जल मीनार तथा कुरकुट्टा जैसे फ्लोराइड जोन में स्थापित किया गया जल परिशोधन संयंत्र। बावजूद इसके आदिवासी बहुल इलाकों में अभी भी ताल - तलैया व जोर- जोरिया का ही पानी पीने को विवश है ग्रामीण।
पानी उपलब्ध कराने के उपाय एक नजर में
सोनो में जल मीनार की संख्या -- एक
जल परिशोधन संयंत्र की संख्या - एक
प्रखंड में अभी तक गाड़े गए चापानलों की कुल संख्या -- 2800
पूरी तरह मृतप्राय चापानलों की संख्या -- 494
मामूली मरम्मत योग्य चापानलों की संख्या -- 345
विभिन्न वार्डों में निर्माणाधीन जल नल संयंत्र-- 48
सरकारी आंकड़ों पर दर्शाए गए पूर्ण जल नल संयंत्र--146
कुएं की सफाई के बाद जल मीनार की आपूर्ति बहाल
सोनो बाजार वासियों को पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने वाला एकमात्र जल मीनार कब धोखा दे जाए कहना मुश्किल है। हालांकि जल मीनार के कुएं की सफाई का काम करवाया गया है। ताजा स्थिति यह है कि पेयजल आपूर्ति बहाल है। लेकिन साल में लगातार दो महीने तक कभी भी जलापूर्ति बहाल करने का रिकॉर्ड जल मीनार का नहीं रहा।
रखरखाव के अभाव में बदहाल है जल परिशोधन संयंत्र
लोहा पंचायत के $कुरकुट्टा गांव में स्थापित जल परिशोधन संयंत्र इस गांव के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं। यहां के लोग फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। पानी में फ्लोराइड की मात्रा पाए जाने की वजह से यहां के लोग विकलांगता का जीवन जी रहे हैं। परिशोधन संयंत्र स्थापित होने से आस बंधी थी लेकिन आपूर्ति बाधित होते ही यहां के लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ता है।
पेयजल की सर्वाधिक समस्या से जूझ रहा है सांसद आदर्श ग्राम
सांसद आदर्श ग्राम दहियारी में पेयजल की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। यहां के लोग नदी का दूषित पानी पीने को विवश हैं। दहियारी के ग्राम पिराड़ी वार्ड संख्या दो में बबुआ मुर्मु के घर के समीप चापाकल खराब रहने से यहां के ग्रामीणों को नदी से पानी लाकर पीना पड़ता है।
क्या कहते हैं पीएचडी विभाग के कनीय अभियंता
पीएचईडी विभाग के कनीय अभियंता रिंकू राज ने कहा कि खराब पड़े चापानलों की सूची विभाग को उपलब्ध है । मंगलवार को चुरहैत में छह चापानलों की मरम्मत की गई जबकि बुधवार को बाबुडीह पंचायत में मरम्मत दल चापाकल को दुरुस्त करने में जुटा था। जहां पेयजल की समस्या है वहां पर विभाग द्वारा चापानल सुलभ कराया जाएगा।