'मैं पढ़ना चाहती हूं, आगे बढ़ना चाहती हूं'- बिहार की इस बेटी ने 45 दिन बाद छोड़ दिया पति का साथ

भागलपुर के नेहा ने करियर के लिए उठाया बड़ा कदम। ससुराल से भागकर पढ़ाई करने के लिए चली गई पटना। पति और ससुराल के अन्य लोगों ने पढ़ाई पर लगा दी थी रोक। ग्राम कचहरी ने सुनाया ऐतिहासिक और चौंकाने वाला फैसला!

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 11:06 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 11:06 AM (IST)
'मैं पढ़ना चाहती हूं, आगे बढ़ना चाहती हूं'- बिहार की इस बेटी ने 45 दिन बाद छोड़ दिया पति का साथ
तोड़ दी रिश्तों की बेडिय़ां तो मुस्कराने लगे सपने

सुल्तानगंज, भागलपुर [बॉबी मिश्रा]। एक लड़की जो पढऩा चाहती थी। उसे अपनी करियर की चिंता थी। वह जीवन में आगे बढऩा चाहती थी। कुछ करना चाहती थी, पर अपने ही उसकी राह में रोड़ा बने हुए थे। लेकिन मन में हौसला और कुछ कर गुजरने की प्रतिबद्धता ने उसे बड़ा कदम उठाने के लिए विवश कर दिया। सुल्तानगंज प्रखंड क्षेत्र के जहांगीरा गांव की नेहा कुमारी ने जिंदगी का अहम फैसला करते हुए जीवनसाथी और करियर में से करियर को चूना।

नेहा पढ़-लिखकर कुछ करना चाहती थी, लेकिन घर वालों ने उसकी पढ़ाई से ज्यादा उसके घर बसाने को ज्यादा जरूरी समझा। मां-बाप ने डेढ़ माह पूर्व उसका विवाह घोरघट के सुनील कुमार कर दिया। उसे उम्मीद थी कि मायके में नहीं तो हो सकता है कि ससुराल में उसके पति और अन्य लोग उसकी भावनाओं को समझ सकें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ससुराल वालों ने उसकी पढ़ाई पर रोक लगा दी। नेहा को पढ़ाई का बहुत शौक था। अपने सपनों को संजोना चाहती थी। अपने हौसलों को उड़ान देना चाहती थी, लेकिन घर के चारदीवारी के बीच वह मजबूर थी। वह मजबूर थी अपने ससुराल वालों के सामने। वह मजबूर थी अपने पति के सामने। वह मजबूर थी रिश्तों के सामने। ऐसे में करियर के प्रति लगन ने सोचने को विवश कर दिया। वह मौका देख ससुराल से भागकर वह पटना पहुंच गई। मामले की जानकारी मिलते ही विवाहिता के पिता ने सुल्तानगंज थाने में बेटी के अपहरण का मामला दर्ज करा दिया। नेहा को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह पटना से अपने घर पहुंची और अपने पिता को बताया कि किसी ने उसका अपहरण नहीं किया है वह पढऩे के लिए पटना गई थी। ससुराल वाले उसे पढऩे नहीं देते आगे पढ़ाई करने पर मना करते हैं। इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया है।

इसके बाद वह ग्राम कचहरी पहुंची और न्याय की गुहार लगाई। ग्राम कचहरी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ऐतिहासिक और चौंकाने वाला फैसला सुनाया। सरपंच ने फैसला सुनाया कि पति—पत्नी अब अलग-अलग अपनी रजामंदी से रहेंगे। दोनों के बीच कोई भी वैवाहिक संबंध नहीं रहेगा।

सरपंच ने कहा कि डेढ़ माह पूर्व शादी हुई थी। सभी लोग चाहते थे कि घर बस जाए, दुर्भाग्यवश ऐसा न हो सका। लड़की का आगे करियर है। उसकी पिता ने उसकी शादी करा दी, लेकिन ससुराल वाले उसे पढ़ाई करने से रोकते हैं। ऐसे में यह फैसला जरूरी था।

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