ठंड में लापरवाही हो सकता है जानलेवा, आप हो सकते हैं हाइपोथर्मिया के शिकार, जानिए... क्या हैं इसके लक्षण
बदलते मौसम के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। ठंड का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इस मौसम में लोग हाइपोथर्मिया के शिकार हो सकते हैं। जरुरी हैं इसके लिए आप खुद को बचाकर रखें।
जागरण संवाददाता, खगडि़या। ठंड का प्रकोप जनवरी अंत तक कम हो जाता है। परंतु इस बार जनवरी में लगातार ठंड का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। जो आम जनजीवन पर गहरा असर डाल रहा है। ठंड की चपेट में आने से लोग बीमार हो रहे हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार व खांसी के अलावा लूज मोशन की शिकायत हो रही है। जबकि हृदय रोगी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप वाले लोगों के साथ खून की कमी वाले महिलाओं को भी परेशानी होती है। बच्चे व नवजात भी ठंड की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में लोगों का ठंड से बचाव आवश्यक है। इसमें बरती गई लापरवाही परेशानी का कारण बन सकती है।
ठंड के कुप्रभाव
ठंड के कुप्रभाव से बचने के लिए सावधानी आवश्यक है। स्वस्तिम हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. संजय कहते हैं- ठंड से बचाव आवश्यक है। खासकर हृदय रोगी, मधुमेह व रक्तचाप वाले एवं एनेमिक महिला, गर्भवती महिला इसका अधिक ध्यान रखें। अनदेखी घातक हो सकता है। लोग हाइपोथर्मिया के भी शिकार हो सकते हैं। जिसमें जान भी जा सकती है।
जाने क्यों जानलेवा है ठंड
डॉ. संजय के अनुसार ठंड के प्रकोप से हाइपोथर्मिया होता है। इसका शिकार होते ही लोगों के हाथ-पांव ठंडे पडऩे लगते हैं। अंग काम करना बंद कर देते हैं और पेट में असहनीय पीड़ा होती है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चे और उम्रदराज लोगों, मधुमेह व रक्तचाप वाले आदि पर रहता है। छोटे बच्चे में कई बार शरीर में गर्मी पैदा करने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती, इसलिए उन्हें भी इससे खतरा होता है।
ठंड के प्रभाव के लक्षण
ठंड अटैक के साथ हाइपोथर्मिया के शिकार होने पर रोगी की आवाज धीमी व रुक- रुक कर आती है। उसे नींद आने लगती है। कदमों में लड़-खड़ाहट, हृदयगति और सांस लेने की गति व ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। जिससे हर्ट अटैक का खतरा रहता है। शरीर का तापमान सामान्य से दो-चार डिग्री कम हो जाता है। इस स्थिति में कंप-कंपाहट तेज हो जाती है। रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। रोगी पीला पड़ जाता है और उंगलियां, होंठ और कान नीले पड़ जाते हैं। शरीर का तापमान अचानक कम हो जाने से जान तक चली जाती है। ऐसे लक्षण समझ आते ही तत्काल रोगी को गर्म कपड़ों से पूरी तरह ढंककर लिटा दें। फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी रोगी को सीधा गर्मी देने का प्रयास न करें। मतलब रोगी के नजदीक सटाकर आग, हीटर आदि न दें। यह खतरनाक भी हो सकता है।
कैसे बचें ठंड के प्रभाव से
ठंड के कुप्रभाव से बचने के लिए हमेशा शरीर को गर्म कपड़े से ढंक कर रखें। कभी भी गर्म कमरे या गर्म स्थान या रजाई से अचानक निकल बाहर ठंड में न जाएं। ऐसे में अटैक का ज्यादा खतरा रहता है। ठंड में अधिक देर भूखे न रहें। खाली पेट में भी हाइपोथर्मिया का खतरा रहता है। गर्म पानी का सेवन करें। बाहर जब भी निकलें, शरीर के साथ कान, गला, नाक आदि को गर्म कपड़े से ढंककर निकलें।