Naxal Attack in Jamui : दूसरी बार चौरा हाल्ट बना नक्सलियों का निशाना, 15 साल पहले ट्रेन पर हमला कर एक जवान को मार डाला था

Naxal Attack in Jamui जमुई का चौरा हाल्‍ट दूसरी बार नक्‍सलियों का निशाना बना। साल 2006 में नक्‍सलियों ने ट्रेन पर हमला किया था। इस हमले में एक जवान की हत्‍या कर हथियार और अन्‍य सामान लूट लिए थे।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 12:15 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:15 PM (IST)
Naxal Attack in Jamui : दूसरी बार चौरा हाल्ट बना नक्सलियों का निशाना, 15 साल पहले ट्रेन पर हमला कर एक जवान को मार डाला था
Naxal Attack in Jamui : जमुई का चौरा हाल्‍ट पर जांच के लिए पहुंचे अधिकारी।

संवाद सहयोगी, जमुई। नक्सलियों ने दूसरी बार चौरा हाल्ट को निशाना बनाया है। यह दीगर बात है कि पहली घटना को 15 साल बीत गया है। किंतु शनिवार की घटना के बाद हावड़ा-पटना रेलखंड अंतर्गत चौरा हाल्ट एकबार फिर सुर्खियों में है। जमुई व गिद्धौर स्टेशन के मध्य अवस्थित चौरा हाल्ट बहुत व्यस्त स्टेशनों में नहीं है। भौगोलिक स्थिति भी सघन नहीं है। स्टेशन के तीन तरफ खुला खेत है। सामने छोटा सा गांव है। रात ढलने के बाद ही इलाके में सन्नाटा पांव पसारने लगता है। यदा-कदा ही कोई बाहर दिखता है। स्टेशन पर सुरक्षा के लिए पुलिस बल या अन्य सशस्त्र बल की तैनाती नहीं है। स्टेशन पर आन डयूटी स्टेशन मास्टर व पोर्टर ही रात में रहते हैं। लिहाजा, लोगों की चहलकदमी नहीं रहती। इसका फायदा नक्सली संगठन उठाते हैं। रात के अंधेरे में मन माफिक घटना को अंजाम देते हैं। सूचना के बाद जब तक पुलि पहुंच पाती तब तक वो अपना मंसूबा पूरा कर निकल जाते हैं। बताया जाता है कि चौरा हाल्ट के समीप वर्ष 2006 में ट्रेन पर हमला कर एक जवान की हत्याकर राइफल नक्सलियों ने लूट लिया था।

ग्रामीणों ने घेरा था नक्सलियों को

बताया जाता है कि घटना के बाद जब नक्सली चौरा हाल्ट के सामने स्थित गांव की ओर भागने का प्रयास किया था ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया था। ग्रामीणों ने नक्सलियों की चारो ओर से घेराबंदी कर दी थी। इस दौरान नक्सली बार-बार हथियार दिखा मारने की धमकी दे रहे थे। बताया जाता है कि जब तक पुलिस पहुंची नक्सली भाग गए। ग्रामीणों के अनुसार लगभग दो घंटे तक नक्सलियों को घेर कर रखा गया था। बाद में नक्सलियों ने खामियाजा भुगतने की धमकी दी थी। इसके बाद गांव के युवक रात में पहरेदारी देते थे। कई लोग अपने घर से दूर रात बिताते थे। शायद इसी विश्वास के कारण शनिवार को भी घटना के दौरान स्टेशन मास्टर गांव में भाग गया था। ग्रामीणों ने बताया कि अगर बारिश नहीं हो रही होती तो नक्सलियों को निकलने नहीं दिया जाता। 

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