कर्ण की धरती पर याद किए गए राष्ट्रकवि दिनकर, साहित्य में हित है वह कभी अहित नहीं करता: अगमानंद जी
Hindi Day भागलपुर में हिंदी पखवाड़ा के दौरान भगवान पुस्तकालय में समारोह आयोजित की गई। कर्ण की धरती पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई। कवि सम्मेलन भी हुआ। स्वामी अगमानंद जी महाराज ने समारोह की अध्यक्षता की।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। मैं सुनने आया हूं। सम्मेलन बार-बार होता रहे यह मेरी इच्छा है। साहित्य में हित है वह कभी भी अहित नहीं करता। हमेशा जोड़ता है। साहित्य की रचनाएं हमें प्रेरणा देती है। मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाती है। उक्त बातें परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने भागलपुर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में कर्ण की धरती पर हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। भगवान पुस्तकालय भागलपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती मनाई गई। उन्हें याद किया गया। उनकी साहित्य साधना की पूजा की।
समारोह का उद्घाटन परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज, डा. बहादुर मिश्र, डा. योगेन्द्र, डा. मधुसूदन झा, ड. दीपक मिश्र, कुलगीतकार आमोद कुमार मिश्र, भागलपुर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महासचिव सह स्वागताध्यक्ष डा. आनंद कुमार झा 'बल्लो' और भागलपुर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संयुक्त सचिव गीतकार राजकुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। मंच संचालन गीतकार राजकुमार कर रहे थे।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे स्वामी आगमानंद जी महाराज जी ने कहा कि साहित्य पूरे मानवता का वैक्सीन है। साहित्य के बिना देश की कल्पना नहीं हो सकती। उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर के कई प्रसंगों की चर्चा की। कहा कि उनकी कविताओं ने हमेशा नई जागृति पैदा की है। उर्जा का संचार किया। उन्होंने उनकी कुछ कविताओं की कुछ पंक्तियां सुनाई।
महासचिव डा आनंद कुमार झा 'बल्लो' ने स्वागत भाषण के साथ-साथ राष्ट्रकवि दिनकर की भगवान पुस्तकालय एवं डॉ विष्णु किशोर झा बेचन के साथ की अंतरंगता को रेखांकित किया। भागलपुर हिन्दी साहित्य सम्मेलन के क्रियाकलापों का अद्यतन ब्योरा प्रस्तुत किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि कुलगीतकार आमोद कुमार मिश्र ने राष्ट्रकवि पर साहित्यिक उद्गार प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे एक स्थायी रचनाकार थे। उनमें राष्ट्रीयता और मानवता का समावेश था।
समारोह के उद्घाटनकर्ता डा. बहादुर मिश्र ने रामधारी सिंह दिनकर के बारे में कई अनछुए पहलुओं की जानकारी दी। रामधारी सिंह दिनकर कुलपति बनने और कुलपति से त्यागपत्र देने के पिछे क्या कारण है, यह बताया। कहा कि वे भारतीय संस्कृति के अग्रदूत थे। उन्होंने कहा कि गांधी विचार विभाग भागलपुर में उन्हीं की देन है। उन्होंने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को पसंद करते थे। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अहिंस और सत्य की रक्षा के लिए कभी-कभी हिंसा भी करनी होती है। कहा-गांधी को बचाने के लिए गांधी से भागना पड़ता है।
समारोह के मुख्य वक्ता डा. मधुसूदन झा ने राष्ट्रकवि दिनकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए उनके साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डाला गया। गीतकार राजकुमार ने राष्ट्रकवि दिनकर की संघर्षपूर्ण जीवनी एवं भागलपुर में उनके अवदान पर प्रकाश डालते हुए उनके कतिपय रचनाओं का पाठ किया। समारोह के मुख्य अतिथि डा. योगेन्द्र ने राष्ट्रकवि दिनकर के साहित्य पर प्रकाश डाला गया।
कवि सम्मेलन
दूसरे सत्र में कपिलदेव कृपाल, महेंद्र निशाकर, सच्चिदानंद किरण, भागलपुर जिला सांख्यिकी पदाधिकारी शंभु राय, कुलगीतकार आमोद कुमार मिश्र, गौतम सुमन, डा. गौतम यादव, मुरारी मिश्र, ख्यातिप्राप्त शायर शंकर कैमूरी, गीतकार राजकुमार एवं परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने काव्य पाठ किया। शंकर कैमूरी समारोह में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में आए थे।
कोरनमां रे, तोरा कानै ली पड़तौ
गीतकार राजकुमार ने अंगिका भाषा में कोरोना को लेकर काव्य पाठ किया। इस कविता की कुछ पंक्तियां इस प्रकार है- 'कोरनमां रे, तोरा कानै ली पड़तौ, बोरिया-बिस्तर अपनोॅ बान्है ली पड़तौ। दुनिया के धौंसै ली,चलल्हैं बुहानोॅं सें, पच्छिम केॅ पस्त करी, जुझल्हैं तूफानोॅं सें, जुझल्हैं तोॅ जूझ, खाक छानै ली पड़तौ'। वहीं शंकर कैमूरी ने 'कोई आदमी तलाशो जो करके ये दिखा दे। पत्थर को मोम करदे, शीशे को दिल बना दे'। गीतकार राजकुमार, शंकर कैमूरी, आमोद कुमार मिश्र, शंभु राय, स्वामी अगमानंद जी महाराज की कविता सुनकर लोग वाह-वाह करने लगे। खूब तालियां बजाई।
इससे पूर्व सभी अतिथियों और कवियों को माला पहनाकर और अंगवस्त्र देकर सम्मनित किया। कार्यक्रम के शुरुआत के समय राष्ट्रकवि दिनकर की आदमकद तस्वीर को माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। भगवान पुस्तकालय के मुख्य द्वार पर स्थित उग्र नारायण झा एवं भगवान पुस्तकालय के संस्थापक पं. भगवान चौबे जी माल्यार्पण किया गया।
गीतकार राजकुमार ने दीपगान गया। समारोह के विशिष्ट अतिथि भजन सम्राट डा. दीपक मिश्र ने गणेश वंदना प्रस्तुत किया। महासचिव डॉ. आनंद कुमार झा 'बल्लो' ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के समाप्ति के बाद काफी संख्या में लोगों ने स्वामी अगमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया। वहां उनके कई साधक व शिष्य मौजूद थे।