नशाखुरानी गिरोह: मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेल सेक्शन पर अभी भी तोता गिरोह सक्रिय, नाम की तरह फंसाते है जाल में
नशाखुरानी गिरोह यात्रियों को चिकनी-चुपड़ी बातों में बहलाकर खिलाता है नशीली दवाइयां लूटपाट। चार वर्ष पहले जमालपुर रेल पुलिस ने समस्तीपुर से पूरे गैंग को किया था गिरफ्तार। कुछ वर्षों में एक दर्जन से ज्यादा नशाखुरानी के सदस्य चढ़ चुके हैं पुलिस के हत्थे।
जागरण टीम, भागलपुर/ मुंगेर। नशाखुरानी गिरोह सरगना का अपना-अपना इलाका बंटा होता है। हर कोई अपने हिस्से के रेल सेक्शनों को बंटवारा आपसी तालमेल से करते हैं। इलाका का बंटवारा के बाद कोई दूसरा गिरोह उनके प्रभाव वाले रेल सेक्शनों में नहीं प्रवेश करते हैं। क्षेत्र और किलोमीटर के हिसाब से सभी लोग अपने ही इलाके की ट्रेनों और यात्रियों को टारगेट करते हैं। समस्तीपुर रेल मंडल का मुजफ्फरपुर-नरकटिया गंज रेल सेक्शन पर तोता गिरोह फिर से सक्रिय होने की सूचना है। वर्ष 2015 में नशाखुरानी के एक मामले में जमालपुर रेल पुलिस ने पूरे गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना और सदस्यों को जेल भेजा था। जेल से निकलने के बाद कुछ सदस्य अभी भी पुराने धंधे में लग गए हैं। हालांकि अभी तक गिरोह पर किसी तरह का कोई मुकदमा नहीं है। इस कारण यह पुलिस की रडार से पूरी तरह दूर है। दो दिन पहले रविवार को गांधीधाम एक्सप्रेस में गौरव त्रिपाठी के साथ नशीली दवा खिलाकर हुई लूटपाट की घटना के बाद रेल पुलिस इस गिरोह को वाच कर रही है।
अरविंद महलदार के जेल जाने के बाद पत्नी संभाल रही थी बागडोर
भागलपुर रेल पुलिस ने 2018 में नशाखुरानी गिरोह के रैकेट का पर्दाफाश करते हुए कहलगांव के बुद्धुचक निवासी अरविंद महलदार को गिरफ्तार किया था। इसकी गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद गिरोह के सदस्यों ने नशाखुरानी का धंधा कुछ दिनों तक बंद कर दिया था। अरविंद की पत्नी सुखनी देवी जो पाकेटमार गिरोह की सदस्य थी। उसने गिरोह का कमान खुद संभाल ली थी। इस बीच 2018 में ही रेल पुलिस ने सुखनी को गिरफ्तार किया था। पूरी तरह नेटवर्क ध्वस्त होने के बाद मसूदन सिंह नामक शातिर इस धंधे में जुट गया। इसे भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
खगडिय़ा का परमानंद चौधरी भी हिस्ट लिस्ट में
जमालपुर रेल पुलिस ने नशा खिलाकर ट्रेन में यात्रियों को लूटपाट करने वाले गिरोह के सरगना खगडिया के चौथम थाना क्षेत्र निवासी परमानंद चौधरी को गिरफ्तार किया था। इसका नेटवर्क मानसी से कटिहार के बीच ट्रेनों में होता था। पुलिस ने वर्ष 2015 में इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए कमर तोड़ दी थी। काफी दिनों तक जेल में रहने के बाद जेल से निकला। इसके बाद किसी भी मामले में इसकी संलिप्तता सामने नहीं आई है। फिलहाल इस पर भी रेल पुलिस की नजर है।
स्टेशन चौक और पटल बाबू रोड से नशीली दवा खरीदारी
भागलपुर रेल थाना क्षेत्र से पकड़े गए नशाखुरानी गिरोह सरगना और सदस्य प्रतिबंधित नींद की दवा एटिवान और वैल्यिम की खरीदारी स्टेशन चौक के पास मेडिकल स्टोर और पटल बाबू रोड स्थित दवा दुकान से करते थे। 61 टबलेट के साथ रेल पुलिस के हत्थे चढ़ा विलास रविदास ने यह स्वीकार की थी। जबकि यह दवाइयां पूरी तरह प्रतिबंधित है, चिकित्सक के लेटर पैड पर ही नींद की दवाइयां देने की इजाजत है। लेकिन, भागलपुर के कुछ दवा दुकानदार अवैध तरीके से दवाइयां की आपूर्ति करते हैं। इस गिरोह में महिलाएं भी शामिल थीं। पूछताछ के क्रम में उसने कई राज खोले थे। विलास रविदास जिस गिरोह के साथ यात्रियों को लूटने का काम करता था। उसका नेटवर्क पूर्व बिहार, उत्तर बिहार के अलावा झारखंड तक था। हाल के दिनों में पता चला कि दीमापुर के गंधहीन और स्वादहीन नशीले पाउडर का इस्तेमाल फिर से नशाखुरानी गिरोह इस्तेमाल करने लगे हैं। नागालैंड के दीमापुर में उस पाउडर को कई दवाओं के मिश्रण से बनाकर सबसे पहले अवध-असम एक्सप्रेस में इस्तेमाल करने की बात वर्ष 2018 में प्रकाश में आई थी। तब जोएस और पाइलांग जैकब गिरोह ने बरौनी-गड़हरा से गोरखपुर तक सक्रिय श्रवण चौधरी गिरोह को पाउडर की डिलीवरी दी थी। हाल में नशाखुरानी की हुई घटना ने गिरोह के सक्रिय होने की दस्तक दी है।
रेल खंड में सक्रिय नशाखुरानी गिरोह का पता लगाने और सभी एहतियाती कदम उठाने का निर्देश थानाध्यक्षों को दिया है। - आमिर जावेद, रेल एसपी