नमो देव्यै : मंडप से निकल कर बाल विवाह का विरोध करने वाली पूनम बनी परिवार की पहली स्नातक
कटिहार की पूनम आज गांव और समाज की लड़कियों के लिए आइकोन से कम नहीं है। मंडप से उठकर बाल विवाह का विरोध करने वाली पूनम आज परिवार की पहली स्नातक बन गई है। उन्होंने कई युवतियों को बाल विवाह करने से रोका भी।
कटिहार [नंदन कुमार झा]। कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के पासवान टोला खेरिया की रहने वाली पूनम आज गांव व समाज के लिए मिशाल बन चुकी है। पारिवारिक मजबूरी और आर्थिक तंगी के कारण पूनम का बाल विवाह कराया जा रहा था, लेकिन वे विवाह के मंडप से भागकर बाल विवाह का विरोध किया। पूनम का उनसे काफी उम्र के लड़के से विवाह कराया जा रहा था, लेकिन वह इसका विरोध कर इस दलदल से मुक्त हुई और खुद को बचाने में सफल रही। उनका संपर्क भूमिका विहार संस्था से हुआ और संस्था की पहल पर उसने आगे की पढ़ाई शुरू करने का मन बनाया। फिलहाल वह स्नातक कर रही है और परिवार की पहली स्नातक बनने की कगार पर पहुंच समाज में बदलाव का बिगूल फूंक चुकी है।
खुद में बदलाव लाकर उन्होंने समाज का बदलने व लड़कियों को बाल विवाह के दलदल से मुक्त कराने की पहल की। इसको लेकर भूमिका विहार के संपर्क में आकर वे गत नौ वर्षों से बाल विवाह घरेलू ङ्क्षहसा और नारी शिक्षा को लेकर मुहिम चला रही है। गांव की बच्चियों को वह शिक्षा के लिए प्रेरित कर स्कूल से जुड़ी है, गांव की कई छात्राएं पूनम के साथ अब कॉलेज भी जा रही है। पूनम की पहल और उनके विरोध ने गांव की तस्वीर बदली और अब वे बाल विवाह के लिए गांव पहुंचने वाले दलालों को खदेडऩे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
पूनम ने लिया संकल्प नहीं होने देगी बाल विवाह
खुद बाल विवाह के दलदल से निकलने के बाद उन्होंने संस्था से जुड़कर इसके खिलाफ मुहिम की शुरूआत की। आज वे अपने क्षेत्र की बच्चियों को बाल विवाह के प्रति जागरूक कर रही है। इसके सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चला रही हैं। वे किशोरी समूह की सदस्य भी हैं और इसके माध्यम से वे बच्चियों को विद्यालय भेजने के लिए लोगों और बच्चियों को प्रोत्साहित करती हैं। वे मानती है कि शिक्षा ही वह हथियार है, जिससे हर मुसीबत को आसान बनाया जा सकता है। शुरुआती विरोध के बाद भी उसने हार नहीं मानी और आज उनके पीछे कारंवा चल रहा है।