नागी पक्षी आश्रयणी: सर्द हवा के साथ ही पक्षियों का आगमन शुरू, पर्यटकों के लिए फिर होगा नौका विहार

नागी पक्षी आश्रयणी जमुई में विदेशी मेहमानों के आगमन को लेकर तैयारी पूरी कर रखी है। भोजन एवं आश्रय के उत्‍तम प्रबंध किए जा रहे हैं। छायादार और फलदार पौधे लगाए गए हैं। इसे देखने के लिए काफी संख्‍या में पर्यटक भी यहां आते हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 04:40 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 04:40 PM (IST)
नागी पक्षी आश्रयणी: सर्द हवा के साथ ही पक्षियों का आगमन शुरू, पर्यटकों के लिए फिर होगा नौका विहार
नागी पक्षी आश्रयणी मे पहुंचे विदेशी मेहमान।

झाझा (जमुई) [सत्यम कुमार स‍िंह]। सुनसान रहने वाला नागी पक्षी आश्रयणी एकाएक चहक उठा है। यहां के मृत पड़े पत्थर में जान आ गई है। नवबंर महीने में सर्द हवा चलते ही नागी पक्षी आश्रयणी पर पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। वन विभाग ने भी विदेशी मेहमानों के आगमन को लेकर तैयारी पूरी कर रखी है। भोजन एवं आश्रय के लिए छायादार और फलदार पौधे लगाए गए हैं। इनको देखने के लिए दिल्ली, कोलकत्ता, पटना, भागलपुर, मुगेंर आदि कई शहरों से पर्यटक पहुंचते हैं। प्रवासी पक्षियों के रैन-बसैरा एवं भोजन के लिए पूरी तैयारी की गई है। पर्यटकों के लिए चलंत सूचना केन्द्र भी खोले गए हैं। नौका बिहार शुरू होगा।

यहां जलचर करती हैं प्रवासी पक्षियां

प्रवासी पक्षियों में लालसर, ओपन बिल स्टाप, काली गर्दन वाली पनडुब्बी, छोटी पनडुब्बी, वनकौआ आदि कई महीनों तक जलचर करती हैं। पक्षियों के भोजन के लिए डैम में मछली, धेधा, झाड़ी में छुपा कई प्रकार के जीव जन्तु हैं। यहां तक कि प्रवासी पक्षिया यहां अंडा भी देती हैं। बाद में अन्य पक्षियों के साथ चली जाती हैं। इसके सुरक्षा हेतु वन विभाग ने वन प्रमंडल प्रबंधन समिति का गठन भी की है। विस्तृत कार्य योजना के तहत 521 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी पर लगभग दो करोड़ खर्च किए गए हैं।

पाए जाते हैं दुलर्भ प्रजाति के पक्षी

राष्ट्रीय स्तर के पक्षी विशेषज्ञ सह मंदार नेचर क्लब के सदस्य अरविन्द्र कुमार मिश्रा ने कहा कि बिहार में कई बड़े झील हैं, परंतु कम एकड़ में स्थित नागी-नकटी झील पर सबसे ज्यादा विदेशी एवं देशी दुलर्भ प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। नागी में आठ हजार से नौ हजार एवं नकटी में चार से पांच हजार पक्षी मिले हैं।

25 वर्षो के बाद यहां दुलर्भ प्रजाति के फालकेटक डक पक्षी देखा गया है। विदेशी पक्षियों में से वारहेडेड गुज, ग्रेलेग गुज, लालसर, डीधोच, सरार, कोमन पोचाड़, सुरखार, गेल, गडवाल सहित कई पक्षियों का झुंड देखा गया है। यहां 165 प्रजाति के पक्षियों का नाम दर्ज किया गया है।

फारेस्टर अनिल कुमार स‍िंंह ने बताया कि पक्षियों का आना जारी है। पक्षी महोत्सव की कोई सूचना नहीं है। फिर भी विभाग जनवरी में महोत्सव मनाएगा। इसके पहले सभी कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा।

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