दुर्गा पूजा : बिहार-बंगाल सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है मुंगेर की यह दुर्गा प्रतिमा
मुंगेर के दौलतपुर रेलवे गुमटी की मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती है। यह बिहार-बंगाल सभ्यता संस्कृति का प्रतीक है। 1977 में निताई दत्ता और शनिचर मंडल ने पुजारी के रूप में स्थापित की थी। बंगाल पद्धति के अनुसार पूजा हो रही है।
जागरण संवाददाता, मुंगेर। लौहनगरी स्थित दौलतपुर रेलवे गुमटी की मां दुर्गा की प्रतिमा बिहार-बंगाल सभ्यता संस्कृति का प्रतीक है। दौलतपुर दुर्गा स्थान में 1977 में निताई दत्ता और शनिचर मंडल ने पुजारी के रूप में स्थापित की थी। अभी तक बंगाल पद्धति के अनुसार पूजा हो रही है, शनिचर मंडल पुजारी के रूप में अभी तक है। मंदिर का सेवा पूजा करने में 1985 से लगातार उत्तम लाल कामत लगे हुए हैं। इस वर्ष राजेश रमन राजू सचिव हैं, पुजारी का भी धर्म निभा रहे हैं। चार वर्ष से राजेश रमन सचिव की देखरेख में सफल संचालन किया जा रहा है।
मंदिर का इतिहास
यहां षष्ठी से ही माता का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। 44 वर्षों से आस्था का प्रतीक बना हुआ है। यहां का पूजा देखने दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। अध्यक्ष के रूप में लटूरी मंडल विशेष शुरू से मंदिर में पूजा-पाठ करवाते हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि काफी दूर-दूर तक है। नौकरी प्राप्त करने वाले ही मूर्ति प्रतिमा बनाने का खर्च देते हैं। मां का पट छठे दिन खोल दिया जाता है। सप्तमी पूर्व सरोवर में नदी में नहा कर पूरे श्रृंगार के साथ नगर भ्रमण किया जाता है। नगर वासियों को पूजा का आह्वान किया जाता है। दसवीं के दूसरे दिन विसर्जन में महिलाएं सिंदूर और रंग गुलाल अबीर खेलती हैं।
मंदिर की विशेषता
विशेषकर पूजा में शामिल होते हैं। तन-मन-धन से सहयोग कर दुर्गा पूजा को सफल बनाते हैं। युवा वर्ग विशेषकर मां दुर्गा को भव्य रूप देने में दिन-रात एक कर देते हैं। श्रद्धालुओं अच्छी भीड़ रहती है। -राजेश रमन उर्फ राजू यादव, सचिव।
-मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं का आस्था दिन व दिन बढ़ रहा है। मंदिर का विकास तेजी से हो रहा है, वर्तमान समिति भी मंदिर विकास करने को लेकर पूरी तरह से जागरूक है। नवरात्र में दुर्गा मां का आराधना को लेकर युवाओं के साथ महिलाओं की भूमिका अहम है। माता की आरती आकर्षण का केंद्र रहता है। -उत्तम लाल कामत, पुजारी।