बंद कार में ब्लोअर चला रहे हैं, जानिए... यह आपके लिए जानलेवा हो सकता है

ठंड से बचने के चक्कर में लापरवाही होती है, जो स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि जान के लिए भी घातक है। बंद कार में एसी या हीटर चालू कर बच्चों को अंदर छोडऩे का आपका फैसला उसकी जान ले सकता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 03:37 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 03:37 PM (IST)
बंद कार में ब्लोअर चला रहे हैं, जानिए... यह आपके लिए जानलेवा हो सकता है
बंद कार में ब्लोअर चला रहे हैं, जानिए... यह आपके लिए जानलेवा हो सकता है

भागलपुर (जेएनएन)। रात में लोगों को ठंड लगने लगी है। ठंड का मौसम आते ही कार में हीटर चलाना आम बात है। लेकिन इसमें हमें थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। ठंड से बचने के चक्कर में अमूमन ऐसी लापरवाही होती है, जो स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि जान के लिए भी घातक साबित होती है। ऐसे में ब्लोअर के इस्तेमाल से पूर्व उसके दुष्प्रभाव व प्रयोग के तरीके की जानकारी जरूरी है। अधिकतर मामलों में ऐसा होता है कि लोग कार में हीटर तो चालू कर लेते हैं पर इसके सही इस्तेमाल की उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती। यही वजह है कि कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें लोगों ने कार में शीशे बंद करके हीटर चलाकर कुछ देर ही सोने की सोची लेकिन बंद गाड़ी में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती गई और जो सोए तो फिर कभी नहीं उठे।

टीएनबी कॉलेज के प्रो. राजीव कुमार सिंह बताते हैं कि कार में ब्लोअर का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि वेंटीलेशन बना रहे। कार की खिड़की का शीशा जरा सा खोलें। इससे बाहर की स्वच्छ हवा कार के भीतर आएगी। ब्लोअर चालू रहने से कार के भीतर कार्बनडाई ऑक्साइड के अलावा घातक कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस बनती है। कार में बैठा व्यक्ति इसके दुष्प्रभाव से उलझन और कई अन्य तरह की दिक्कतें का शिकार होता है। अधिक देर तक ब्लोअर ऑन और शीशे बंद करके कार में बैठना घातक है। इससे आदमी अचेत भी हो सकता है। ठंड में ब्लोअर चलाने से कार के अंदर का तापमान बढ़ जाता है। जबकि बाहर फॉग और ठंडी हवा के कारण तापमान कम होता है। ऐसी स्थिति में बाहर की ठंडी हवा शीशे से टकराकर नमी लाती है। इससे आगे के शीशे आप वाइपर से साफ कर सकते हैं। साइड के कपड़े से पीछे के शीशे पर जमा हुई धुंध साफ करने में दिक्कतें होगी। कार के अंदर गर्म हवा का भी एक स्टैंडर्ड मानक है, लेकिन लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं।

अमूमन कार में 24 से 27 डिग्री सेंटीग्रेड में हीटर चलना चाहिए। हवा में ऑक्सीजन का स्टैंडर्ड मानक 20.8 प्रतिशत है। 19.50 प्रतिशत पर भी कार में हम कम्फर्ट रह सकते हैं, लेकिन जैसे ही हवा में ऑक्सीजन का दबाव 15 प्रतिशत से कम हुआ, खतरे की घंटी बजनी शुरू हो जाती है। 15 प्रतिशत पर हम सोचने-समझने की शक्ति खोने लगते हैं। 11-12 प्रतिशत पर हम होश में तो होते हैं लेकिन शरीर लगभग निष्क्रिय हो जाता है और यही मात्रा 6-8 प्रतिशत तक पहुंची तो सांसें थम जाती हैं। इसलिए कार में एसी या हीटर चलाते समय हवा में ऑक्सीजन की मात्रा का ध्यान जरूर रखें।

शीशा थोड़ा खुला जरूर छोड़ें : कार में हीटर चलाते समय शीशा थोड़ा सा जरूर खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि ऑक्सीजन अंदर आती रहे। होता यह है कि शीशा पूरी तरह बंद होने पर अंदर कार में जितनी ऑक्सीजन होती है वह धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। यहां भी डिमांड और सप्लाई का फार्मुला काम करता है। जरूरत के अनुरूप ऑक्सीजन न मिलने पर ही दिक्कत पेश आती है।

कार स्टार्ट करते ही न चलाएं हीटर : कार स्टार्ट करते ही तुरंत हीटर ऑन नहीं करना चाहिए। दरअसल, गाड़ी स्टार्ट करने पर कार का इंजन गर्म होना शुरू हो जाता है। ऐसे में अगर हीटर भी ऑन कर देंगे तो इंजन गर्म होने में और ज्यादा वक्त लगेगा और इससे ईंधन की भी ज्यादा खपत होगी। लिहाजा बेहतर यही है कि इंजन को पहले नॉर्मल ऑपरेटिंग टेंपरेचर में आने दें, इसके बाद ही हीटर ऑन करें।

बंद कार में एसी या हीटर चलाकर न छोड़ जाएं बच्चों को : कई बार होता यह है कि भीषण गर्मी या फिर सर्दी में शॉपिंग के लिए जाने पर लोग सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर देते हैं। खड़ी कार में एसी या हीटर चलाकर गाड़ी के शीशे पूरी तरह बंद कर बच्चों को छोड़ जाते हैं। यह बेहद खतरनाक है। दरअसल, चलती कार में इंजन आदि से थोड़ी-बहुत ऑक्सीजन मिलती रहती है। गाड़ी बंद होने पर जहां-जहां ऑक्सीजन होती है वहां हीट एयर बैठती जाती है। इधर, गाड़ी में समय के साथ-साथ ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जाती है। ऐसे में अंदर बैठे व्यक्ति या बच्चे का दम घुट सकता है।

शरीर के लिए नुकसानदेह : पेट्रोल से चलने वाली कार के इंजन से कार्बन मोनोआक्साइड गैस जबकि डीजल से चलने वाली कार के इंजन से कार्बन डाइआक्साइड गैस निकलती है। कार का एसी या हीटर चालू रहने से यह गैस काफी मात्रा में बनती है। कार चल रही होती है तो गैस हवा में घुलकर उड़ जाती है लेकिन बंद कार में एसी या हीटर चालू रहने पर इनके अंदर आने का खतरा बना रहता है। कार के अंदर मौजूद व्यक्ति की सांस के साथ यह गैस शरीर के अंदर पहुंच जाती है और खून के साथ शरीर को मिलने वाली आक्सीजन को कम कर देती हैं। जिससे उस व्यक्ति की मौत हो जाती है।

बच्चों पर जल्दी पड़ता है प्रभाव : बंद कार में एसी या हीटर चालू कर बच्चों को अंदर छोडऩे का आपका फैसला उसकी जान ले सकता है। एसी या हीटर चालू रखने से इंजन से निकलने वाला कार्बन मोनोआक्साइड या कार्बन डाइआक्साइड की चपेट में बच्चे बड़ों की तुलना में जल्दी आ जाते हैं। जिससे कुछ ही देर में उनकी मौत हो सकती है।

घातक है गैराज में खड़ी कार का एसी या हीटर चालू रखना : बंद गैराज में खड़ी कार में एसी या हीटर चलाकर बिल्कुल भी न बैठें। बंद गैराज में जगह बहुत छोटी होती है। इसलिए कार के इंजन से निकलने वाली गैसें बहुत जल्दी गैराज के अंदर की हवा में घुल जाती है। बाद में यही हवा कार के अंदर भी पहुंचती है। जो कार के अंदर मौजूद व्यक्ति की मौत की वजह बन सकती है।

बन जाएगी बर्निग कार : ठंड के मौसम में कार के अंदर गर्मी बनाए रखने के लिए जलती अंगीठी रखकर सफर करने का मतलब सीधे-सीधे मौत को दावत देने जैसा है। एक तो कार चलाने के लिए इस्तेमाल होने वाला ईंधन अत्यंत ज्वलनशील होता है और दूसरे कार के अंदर इंटिरियर में प्रयोग की जाने वाली चीजें भी बेहद ज्वलनशील होती हैं। ऐसी स्थिति में जलती अंगीठी रखकर सफर करने से कार कभी भी बर्निग कार में तब्दील हो सकती है।

बरतें सावधानी

-कार की नियमित सर्विसिंग कराते रहें

-बच्चों को कभी भी कार के अंदर अकेला न छोड़ें

-कार को हमेशा खुली जगह पर खड़ी करें

-कूड़े के ढेर या सकरी जगह पर कार खड़ी न करें

-कार खड़ी कर अंदर बैठना हो तो दरवाजे का शीशा थोड़ा सा खुला रखें

-एसी चलाते समय बीच-बीच में उसे फ्रेश एयर मोड पर डालते रहें

chat bot
आपका साथी