मिलिए बांका के जयपुर वाले मां काली के परम भक्त मोइनुद्दीन से, जिनके सपने में आईं देवी, फिर...
काली पूजा को लेकर बिहार में जगह-जगह प्रतिमा स्थापित की जाती हैं। ऐसे में हम आपको मां काली के परम भक्त और गंगा जमुनी तहजीब को चरितार्थ करने वाले बांका के जयपुर निवासी मु. मोइनुद्दीन के बारे में बताने जा रहे हैं....
संवाद सूत्र, जयपुर (बांका): हिंदू-मुस्लिम आपसी भाईचारे का सबसे बेहतर जीवंत उदाहरण जयपुर में लगने वाला काली मेला है। एक ओर जहां धर्म और जाति के आधार पर अपराध को बढ़ावा दिया जाता है लोगों की हत्याएं तक हो जाती हैं। वहीं जयपुर में मुस्लिम समुदाय के मु. मोइनुद्दीन मां काली का भक्त बन कर प्रतिमा स्थापित कर मेला का आयोजन कराते रहें है। गंगा-जमुनी तहजीब कहें, या कुछ भी ये मोइनुद्दीन इस परंपरा को वर्षों से पूरा कर रहे हैं।
मोइजुद्दीन बताते हैं कि जब वह जयपुर थाना में बतौर दफादार के पद पर काबिज थे, उन्हें स्वप्न में प्रतिमा स्थापित कर काली पूजा करने की प्रेरणा मिली थी। उनके पिता सुल्तान अहमद ने इनके हौसले को समर्थन दिया और 65 के दशक में महोलीया वरण में इन्होंने काली पूजा की शुरुआत की थी। इनके इस विचार से सहमत होकर ग्रामीण शिवदत्त एवं विश्वनाथ झा सहित अन्य लोगों ने सहयोग कर खुले मैदान में प्रतिमा स्थापित कर मेला की शुरुआत कराई। पूजा से लेकर मेला विधि व्यवस्था तक की कमान थाना में दफादार रहते वह खुद संभाल रहे थे। चार पंचायतों का यह मेला धीरे-धीरे बड़ा आकार लेने लगा और जनसंख्या के आधार पर जगह कम पड़ने की वजह से दस वर्ष पूर्व आम सहमती से काली पूजा कैलाश मिश्र उच्च विद्यालय खेल मैदान के प्रांगण में आयोजन होने लगा। अब इसकी ख्याति और बढ़ गई है। मोइजुद्दीन ने की थी जयपुर में काली पूजा की शुरुआत सर्वधर्म संप्रदाय का पर्याय बन है जयपुर का काली मेला फुटबाल एवं क्रिकेट टूर्नामेंट का प्रति साल होता आयोजन
लगभग 70 हजार की आबादी पर एकलौता काली पूजा का आयोजन हिंदू- मुस्लिम, सिख इसाई सर्वधर्म संप्रदाय का पर्याय बन गया है। अवकाश प्राप्त होने के बाद मोइजुद्दीन ने यादव मार्केट के युवाओं को पूजा की जिम्मेदारी सौंप दी है। फिलहाल चिरंजीव कुमार, कैलाश यादव सहित अन्य लोगों ने इसकी जिम्मेदारी संभालते हुए मेला के सफल आयोजन के साथ साथ फुटबाल एवं क्रिकेट टूर्नामेंट का भी आयोजन कराते आ रहे हैं।