अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सक

भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के अधीक्षक का निर्देश चिकित्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 07:21 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 07:21 PM (IST)
अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सक
अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सक

भागलपुर। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के अधीक्षक का निर्देश चिकित्सकों के लिए कोई मायने नहीं रखता। अभी भी कनीय अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सक इमरजेंसी हो अथवा आब्स गायनी के मरीजों को बाहर की महंगी दवाएं पूर्जे पर लिखकर मंगवा रहे हैं, जबकि अस्पताल में दवाएं उपलब्ध हैं। ऐसे में मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं कनीय अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सकों की जेब भर रही है।

आब्स गायनी में जब भी मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जाती है। कनीय अधीक्षक का निर्देश भी नहीं मानते चिकित्सक तकरीबन तीन हजार रुपये की दवा पूर्जे पर लिखकर बाहर से मंगवाते हैं। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक भगत ने 21 सितंबर को विभागाध्यक्षों को पत्र लिखा, जिसमें स्पष्ट निर्देश है कि जिन मरीजों को छुट्टी दी जा रही है उनके डिस्चार्ज टिकट पर अस्पताल की दवा लिखें और उन्हें उपलब्ध भी करवाएं। जिस यूनिट में भर्ती मरीजों को छुट्टी दी जा रही है, यूनिट प्रभारी अपनी देखरेख में डिस्चार्ज टिकट बनवाएं और दवाएं लिखें, लेकिन अधीक्षक के निर्देश को विभागाध्यक्ष और यूनिट प्रभारी नहीं मान रहे हैं। अररिया की रोशनी पासवान को 26 सितंबर को छ्ट्टी दी गई। उसे सात प्रकार की दवाइयां खरीदवाई गईं। जिसकी कीमत तीन हजार है।

इमरजेंसी में भी कनीय डॉक्टर मरीज के स्वजनों से दवाइयां खरीदवा रहे हैं, जबकि इस विभाग में 24 घंटा वरीय डॉक्टरों की ड्यूटी रहती है। डॉक्टर की ड्यूटी रूम में भी सूचना चिपकाई गई है। जिसमें निर्देश दिया गया है कि जो दवा अस्पताल में नहीं है और बाहर से मंगवानी है तो यूनिट प्रभारी के परामर्श से दवा मंगवाएं, लेकिन यहां भी निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है।

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