सुपौल में ट्रामा सेंटर नहीं रहने से असमय चली जाती लोगों की जान, दुर्घटना के बाद सिलीगुड़ी रेफर किए जाते हैं मरीज

सुपौल में ट्राम सेंटर नहीं रहने से मरीजों को रेफर किया जा रहा है। लगभग प्रतिदिन दुर्घटनाएं होती रहती है और दुर्घटना में घायल लोगों को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ भपटियाही लाया जाता है। यह केंद्र राष्ट्रीय उच्च पथ के बगल में...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 01:36 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 01:36 PM (IST)
सुपौल में ट्रामा सेंटर नहीं रहने से असमय चली जाती लोगों की जान, दुर्घटना के बाद सिलीगुड़ी रेफर किए जाते हैं मरीज
सुपौल में ट्राम सेंटर नहीं रहने से मरीजों को रेफर किया जा रहा है।

संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल)। प्रखंड क्षेत्र होकर ईस्ट-वेस्ट कारिडोर को बने लंबा वक्त बीत गया है। जब से इस महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण हुआ तब से दुर्घटना की रफ्तार काफी बढ़ गई है। लगभग प्रतिदिन दुर्घटनाएं होती रहती है और दुर्घटना में घायल लोगों को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ भपटियाही लाया जाता है। यह केंद्र राष्ट्रीय उच्च पथ के बगल में है। यहां गंभीर रूप से घायल मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है। लोग अपने मरीज को इलाज के लिए सिलीगुड़ी ले जाते हैं। अधिक दूरी रहने के कारण ले जाते वक्त भी कुछ की मौत हो जाती है। अगर यहां ट्रामा सेंटर रहता तो असमय ऐसे लोगों की जान नहीं जाती। इसे देखते हुए यहां ट्रामा सेंटर स्थापित करने की मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन आज तक स्थापना नहीं की गई।

पीएचसी पर है एक लाख से अधिक लोगों का भार

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ भपटियाही से एक लाख से अधिक आबादी जुड़ी है। प्रखंड क्षेत्र के अलावा निर्मली, किशनपुर सहित अन्य जगहों से भी मरीजों को यहां लाया जाता है। ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद दुर्घटना के शिकार मरीजों को जिला मुख्यालय सुपौल भेजा जाता है और वहां से मरीजों को दरभंगा पटना आदि जगहों के लिए रेफर किया जाता है। लोगों का मानना है कि सिलीगुड़ी में हेड इंजूरी से संबंधित व्यवस्था अच्छी है इसलिए मरीज को वहीं ले जाना मुनासिब समझते हैं। खैर नेशनल हाइवे के बनने के साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर स्थापना की मांग होती रही। लोगों का कहना था कि ङ्क्षजदगी और मौत से जूझने वाले मरीजों को ट्रामा सेंटर होने से तुरंत लाभ मिल सकता है और उसकी जान भी बच सकती है।

विभागीय स्तर पर हुई थी पहल

ट्रामा सेंटर के लिए विभागीय स्तर पर कुछ पहल भी हुई लेकिन बाद में वह कार्य योजना में तब्दील नहीं हो सकी। सुपौल जिले के निर्मली से लेकर प्रतापगंज के बीच हाइवे के बगल में कहीं ट्रामा सेंटर नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर बना दिया जाए तो अधिकांश लोगों को समय से उपचार मिलेगा और उसकी जान बच सकती है।

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