हुनरमंद हाथों ने खोज लिया रोजगार: गोबर से गमले, दीप और अगरबत्ती स्टैंड, आप भी जान लें कैसे बनता है
भागलपुर के नवगछिया के मनकेश्वर सिंह ने गोबर से गमला अगरबत्ती स्टैंड तथा दीप का किया निर्माण। गोबर से गमले दीप और अगरबत्ती स्टैंड बना रहे नवगछिया के पकड़ा गांव के मनकेश्वर। बाजार में प्रति गमले से कमाते हैं साठ से सत्तर रुपये लोग कर रहे पसंद।
नवगछिया, भागलपुर [ललन राय]। कोरोना ने परदेस में रोजगार छीन लिया। घर लौटे तो दो जून की रोटी ने फिर परदेस की राह टटोलने पर मजबूर करने लगी। लेकिन, हुनरमंद हाथ ने अपनी माटी में रोजगार खोज लिया। नवगछिया अनुमंडल के पकड़ा गांव निवासी मनकेश्वर सिंह परदेस में मजदूरी करते थे। अब गांव में ही गोबर से गमला अगरबत्ती स्टैंड तथा दीपक बना कर रोजगार कर रहे हैं। अब मनकेश्वर इतना कमा लेते हैं कि उन्हें दो जून की रोटी आसानी से मिल रही है।
कैसे तैयार करते हैं गोबर से गमले
किसान मनकेशवर सिंह ने बताया कि गमला तैयार करने के लिए पिसा हुआ अरवा चावल, गोबर, गोमूत्र एवं ग्वार का गोंद मिलाकर गमले को तैयार करते हैैं। 20 किलो गोबर में चार गमला तैयार हो जाता है। चार गमले में लगभग 20 से 25 खर्च होता है। बाजार में एक गमला 60 से 70 आराम से बिक जाता है।
क्या कहते हैं किसान मनकेश्वर सिंह
किसान मनकेश्वर ने बताया कि परदेस से लौटने के रोजगार की तलाश कर रहे थे। गांव में गोबर अधिक होने से लोगों को रखने में परेशानी होती थी। हमने एक दिन देखा कि जब गोबर के उपले सूखने के बाद मजबूत होते हैं तो इसका गमला बनाया जाए तो कैसा रहेगा। बस, बात दिमाग में आई और हम जुट गए बनाने में। शुरुआत में तो लोगों ने गमलों को लेने से इंकार कर दिया। जब यह समझाया कि गमले खराब होने के बाद फिर खेत में हम फेंक सकते है। वह फिर मिट्टी हो जाएगा। कुछ दिनों तक जूझना पड़ा लेकिन बाद में लोगों ने इसे पसंद कर लिया। धीरे-धीरे इसकी मांग बढऩे लगी। अब इसकी मांग अनुमंडल के साथ-साथ शहरी इलाके के लोग भी खरीदने लगे हैं। उधर, भागलपुर के कृषि विभाग डिप्टी डायरेक्टर (पौधा संरक्षण) अरविंद कुमार बताते हैं कि किसानों के द्वारा अगर गोबर से या अन्य किसी प्राकृतिक सामग्री से कोई वस्तु तैयार किया जाता है तो यह काफी सराहनीय कार्य है। हम लोग भी इसमें किसानों को सहयोग करेंगे। किसानों को इस कार्य में किसी भी तरह का परेशानी ना हो। गोबर खेतों के लिए पहले भी उपयोगी था। आज भी उपयोगी है।