Bihar: आपने अगर कालीदास के बगीचे का आम नहीं खाया है तो आप वंचित हैं बेहतरीन स्वाद से
Mango Bihar कटिहार के किसान कालीदास बनर्जी मैंगो मैन हैं। गुणवत्तापूर्ण आम के कारण उनकी अलग पहचान है। अपने बगान में हर साल आम की नई वेरायटी तैयार करते हैं। हर प्रभेद के आम का नाम उन्होंने देश के महापुरूषों तथा प्रसिद्ध हस्तियों पर रखा है।
कटिहार [नीरज कुमार]। जिले के रौतारा निवासी किसान कालीदास बनर्जी की पहचान मैंगो मैन के रूप में है। क्रास ब्रीडिंग से तैयार किए जाने वाले आम के कारण उनकी अलग पहचान है। अपने 10 एकड़ के बगान में हर साल आम की नई वेरायटी विकसित करने का उनपर जुनून सवार है। खासियत यह भी है कि हर प्रभेद के आम का नाम उन्होंने देश के महापुरूषों तथा प्रसिद्ध हस्तियों पर रखा है। चित्तरंजन आम से उनकी अलग पहचान बनी। अब एक ही पेड़ में लगने वाले आम में दो तरह का स्वाद होने के कारण चर्चा में हैं। इस प्रभेदन का नाम उन्होंने स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा है। चित्तरंजन प्रभेद का पेंटेंट भी करा चुके हैं। जबकि विवेकानंद प्रभेद के पेंटेंट का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है। कालीदास के बगान की आम गुणवत्ता व पौष्टिकता के कारण बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ तक में अपनी मिठास के लिए लोकप्रिय है। न्यूयार्क से उनके एक परिचित ने चित्तरंजन व विवेकानंद प्रभेद का आम ले जाने को संपर्क किया। लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण संभव नहीं हो पाया। एक अन्य आम के प्रभेद का नाम उन्होंने योगी रखा है। हलांकि कालीदास कहते हैं कि इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं लगाया जाए।
उद्यान निदेशालय भी कर चुका है गुणवत्ता का अनुमोदन
कालीदास ने चार वर्षों की मेहनत के बाद क्रास ब्रीडिंग से तैयार कलम लगाकर आम का पेड़ तैयार किया। इसपर लगने वाले आम को उन्होंने चित्तरंजन नाम दिया। रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही मजबूत टहनी वाला पेड़ 50 किमी प्रतिघंटे की गति से चलने वाली आंधी को भी सहने की क्षमता रखता है। स्वाद और गुणवत्ता के काण दूसरे प्रदेशों में भी इस प्रजाति के आम का पैदावार करने को लेकर लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं। चित्तरंजन आम की गुणवत्ता की जांच कृषि अनुसंधान केंद्र रांची द्वारा की गई। इसका अनुमोदन भारत सरकार के उद्यान निदेशालय द्वारा भी किया जा चुका है। इस प्रभेद के आम का पेटेंट भी चित्तरंजन करा चुके हैं।
आम की उन्नत प्रभेद एवं गुणवत्ता होने के कारण बिहार सहित सात राज्यों तक इसकी पहुंच है। इस बार न्यूयार्क से भी इसकी मांग हुई थी। लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण संभव नहीं हो पाया। नई वेरायटी के आम का नाम विवेकानंद रखा गया है। इसके पेंटेंट का प्रस्ताव प्रक्रियाधीन है। इस प्रभेद के आम में दो तरह का स्वाद है। - कालीदास बनर्जी, बगान मालिक