मंदार के लाल बने बिहार में विदेशी न्यायाधिकरण के न्यायाधीश, विदेशियों को सुनाएंगे फैसला

बांका के लाल विकास कुमार अब विदेशी लोगों को फैसला सुनाएंगे। उन्हें बिहार के पहले विदेशी न्यायाधिकरण के न्यायाधीश के रूप में न्युक्त किया गया है। मंदार के लाल को यह पहला अवसर मिला है इससे बौंसी प्रखंड में खुशी का माहौल है।

By Amrendra TiwariEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:52 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:52 PM (IST)
मंदार के लाल बने बिहार में विदेशी न्यायाधिकरण के न्यायाधीश, विदेशियों को सुनाएंगे फैसला
लाल बाजार के भायाभीठा मुहल्ले के रहने वाले न्यायाधीश विकास कुमार

बांका [शेखर सिंह]। मंदार का लाल बाजार के भायाभीठा मुहल्ले के रहने वाले न्यायाधीश विकास कुमार अब विदेशी लोगों को न्याय सुनाएंगे। शनिवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत में बताया कि 2014 में विदेशी न्यायाधिकरण को अलग कर दिया गया है और एक सौ विदेशी न्यायाधिकरण का गठन किया गया। बताया कि 300 और न्यायाधिकरण गठन करने की प्रक्रिया में है। जिसकी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। बिहार के प्रथम विदेशी न्यायाधिकरण में मुझे न्याय करने का मौका मिलेगा यह मेरे लिए गौरव की बात है। बातचीत में बताया कि विदेशी न्यायाधिकरण में अवैध रूप से भारत वर्ष में रह रहे रोहंगिया ,बांग्लादेशी ,पाकिस्तानी सहित अन्य देशों के लोगों को पहचान करने के बाद डिटेंशन कैंप भेजा जाएगा। जहां से भारत सरकार उससे संबंधित देश को भेजा जाएगा।

बिहार के इकलौते न्यायाधीश होंगे विकास

न्यायाधीश के रूप में विकास कुमार विदेशी न्यायाधिकरण कोर्ट में बिहार के इकलौते न्यायाधीश के रुप में फैसला सुनाएंगे। जानकारी हो कि स्थानीय भायाभीठा निवासी न्यायाधीश विकास कुमार की प्रारंभिक शिक्षा सीएनडी उच्च विद्यालय में हुई है। 1978 में मैट्रिक करने के बाद तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से एमएससी एलएलबी करने के बाद आसाम में वकालत की शुरुआत की । बिहारियों की दुर्दशा देखने के बाद उल्फा द्वारा निहत्थे ङ्क्षहदी भाषियों की हत्या की जाती थी । जिसके बाद न्याय दिलाने के लिए वकालत से शुरुआत की और आज आसाम में ही न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।

जेपी आंदोलन की सक्रिय सैनानी रही है विकास की मां

न्यायाधीश विकास ने बताया कि उनकी माता 80 वर्षीय उमारानी दास 1974 में जेपी आंदोलन में भाग ले चुकी हैं। जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। इसी मां की प्रेरणा स्रोत लेकर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। वहीं, विकास की इस उपलब्धि से बौंसी प्रखंड के लोगों में खुशी का माहौल है। वहां के बुजुर्ग ने कहा कि जेपी सेनानी में शामिल रही उमा रानी दास के लाडले ने प्रखंड का गौरव बढ़ाया है।

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