2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का किरदार निभाएंगे रियल लाइफ के मलखान, पूर्णिया केंद्रीय कारा के 80 कैदियों ले रहे अभिनय की क्लास

गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को बापू महात्मा गांधी का किरदार पूर्णिया केंद्रीय कारा में बंद कैदी निभाएंगे। इसके लिए अभी से अभिनय की क्लास चल रही है। सभी को प्रशिक्षित किया जा रहा है। गाना बजाना से लेकर एक्टिंग की क्लास चलाई जा रही है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 05:45 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 05:45 PM (IST)
2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का किरदार निभाएंगे रियल लाइफ के मलखान, पूर्णिया केंद्रीय कारा के 80 कैदियों ले रहे अभिनय की क्लास
पूर्णिया केंद्रीय कारा में चल रही अभिनय की क्लास।

प्रकाश वत्स, जासं, पूर्णिया। रियल लाइफ के मलखान (डाकू का सांकेतिक नाम) अब रंगमंच पर अपना जौहर दिखाएंगे। पूर्णिया केंद्रीय कारा में विभिन्न अपराधों में बंद कुल 80 बंदियों को फिलहाल अभिनय के साथ लोकनृत्य, संगीत व वाद्य यंत्रों के वादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन बंदियों का नियमित रियाज चल रहा है। भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश राय की अगुवाई में इन बंदियों को विविध विधा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दो अक्टूबर गांधी जयंती को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का किरदार भी बंदी निभाएंगे।

बापू की जयंती पर रेणु की कृति का होगा मंचन

अभियन, नृत्य व संगीत आदि का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे इन बंदियों द्वारा केंद्रीय कारा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर पहली प्रस्तुति दी जाएगी। इस मौके पर जहां राष्ट्रपिता की जीवनी पर एक नाटक का मंचन होगा वहीं कथाशिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की कृति एक आदिम रात्रि की महक के नाट्य रुपातंरण का भी मंचन होगा। इसके अलावा लोकनृत्य के तहत आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति भी दी जाएगी।

प्रशिक्षण के पीछे छिपा है बड़ा उद्देश्य

बंदियों को अभिनय के साथ लोकनृत्य व संगीत का प्रशिक्षण दिए जाने के पीछे जेल प्रशासन का बड़ा उद्देश्य छिपा है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में कुछ सजायाप्ता के साथ विचाराधीन बंदी शामिल हैं। बंदियों को अवसाद से बचाने के साथ उनकी मानसिकता में बदलाव के उद्देश्य से यह गतिविधि शुरु की गई है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बंदियों के अलावा इसे सुनने व देखने वाले बंदियों का भी इससे भरपूर मनोरंजन होता है और इससे सहजता से उनका समय व्यतीत हो जाता है। इसका उद्देश्य यह भी है कि विचाराधीन बंदियों में जो भी बाहर जाएंगे, उनके जीवन की दिशा व दशा बदली रहे।

तिहाड़ के बंदियों को भी प्रशिक्षण दे चुका है मिथिलेश

पूर्णिया मंडल कारा में बंदियों को नृत्य व संगीत का प्रशिक्षण दे रहे मिथलेश राय बिहार सरकार द्वारा भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं। श्री राय तिहाड़ जेल के अलावा पटना के बेउर, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, बक्सर के साथ महाराष्ट्र के पूना स्थित केंद्रीय कारा में भी बंदियों को इस तरह का प्रशिक्षण दे चुके हैं। श्री राय यह प्रशिक्षण पूरी तरह निशुल्क देते हैं। बतौर श्री राय इसका हर जगह सकारात्मक परिणाम रहा है।

'कला व संगीत से जुड़ाव व्यक्ति की दशा व दिशा दोनों बदलने में कारगर हैं। खासकर बंदियों के मानसिकता में बदलाव के लिए यह कारगर माध्यम है। दूसरी ओर परिवार व समाज से कटे रहने के कारण अधिकांश बंदियों के अवसाद ग्रस्त होने की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में अभिनय, नृत्य व संगीत से जुड़ाव होने पर सहजता से उनका समय भी बीतता है और स्वभाव में एक बड़ा परिवर्तन आता है।'- मिथिलेश राय, प्रशिक्षक सह भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित रंगकर्मी

'केंद्रीय कारा के तकरीबन 80 बंदियों को फिलहाल अभिनय के साथ लोकनृत्य, संगीत व वाद्य यंत्रों के वादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य उनकी मानसिकता में बदलाव लाकर उनमें सकारात्मक भावों को बढ़ावा देना है। प्रशिक्षित बंदी कलाकारों द्वारा राष्ट्रपति महात्मा गांधी की जयंती पर विविध कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे।'राजीव कुमार झा, जेल अधीक्षक, केंद्रीय कारा, पूर्णिया।

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