हाईवे किनारे कुर्सेला के महादलित परिवार, 25 साल से यही हाल, कैसे मिले योजनाओं का लाभ?

बिहार के कटिहार के कुर्सेला के महादलित परिवार धूप बरसात ठंड हर मौसम में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं। 25 सालों से ऐसी स्थिति है। बाढ़ का दंश झेलते ये परिवार सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। दूसरी तरफ अभी तक इनका पुर्नवास नहीं हो सका।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 07:32 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 07:32 AM (IST)
हाईवे किनारे कुर्सेला के महादलित परिवार, 25 साल से यही हाल, कैसे मिले योजनाओं का लाभ?
महादलित परिवारों को कब मिलेगा आशियाना, योजनाओं का लाभ।

संवाद सूत्र, कुर्सेला (कटिहार): जहां एक ओर केंद्र तथा राज्य सरकार महादलित परिवार के उत्थान के लिए कई लाभकारी योजनाएं चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुरसेला प्रखंड के महादलित परिवारों की स्थिति काफी दयनीय है। यह महादलित परिवार कई वर्षो से एनएच 31 के किनारे झुग्गी झोपड़ी बनाकर जीवन यापन करने को विवश हैं। इन परिवारों को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। इंदिरा आवास, बीपीएल, अंत्योदय, उज्जवला आदि सभी प्रकार के योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। महादलित परिवार को बसाने के लिए पंचायत प्रतिनिधि से लेकर

विधायक तथा सांसद ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण सड़क के किनारे बसे महादलित परिवार जिंदगी एवं मौत से जूझकर खानाबदोश की तरह जी रहे हैं। वर्ष के 365 दिन कभी बरसात में तो कभी ठंड में तो कभी कड़ाके की धूप में सड़क के किनारे जीवन यापन करने को विवश है।

महादलित परिवार के लोगो के लिए बढ रही है चुनौती

ठंड का कहर बढने के साथ ही महादलित परिवार के बच्चे व बुजुर्गों के लिए परेशानी बढ रही है। एनएच 31 किनारे बसे महादलित मंटू मलिक, मुकेश मलिक, विकास मलिक, नीरज मलिक, बंटू मलिक, दीपक मलिक, चंदन मलिक, फुलचन मलिक, मिथुन मलिक आदि ने बताया कि यहां 25 वर्ष गुजर गया है। विधायक तथा सांसद भी बदलते रहे और सरकार भी बदलती रही। बस नहीं बदली तो महादलित परिवार की किस्मत।

पुनर्वास की आस में सड़कों तथा बांध के किनारे 25 वर्षों से कड़ाके की धूप, भीषण बारिश के बाद ठंड की परेशानी झेल रहे हैं। महादलितों की हर उम्मीदें भी अब क्षीण होने लगी है। इस आस में बच्चे भी जवान हो गए। लेकिन महादलित परिवार की स्थिति जस की तस है। सरकार द्वारा वर्ष 2005 एवं 2006 में अयोध्या गंज बाजार स्वास्थ्य केंद्र के पीछे 40 फीट गड्ढे की तीन-तीन डिसमिल जमीन बसने के लिए उपलब्ध कराई गई थी।

बरसात में भरा जाता है पानी

इस जमीन पर बाढ व बरसात के दिनों में पानी भर जाता है। जहां रहना संभव नहीं है। इनमें से मात्र पांच परिवार ही झोपड़ी बनाकर गुजर बसर कर रहे हैं। शेष परिवार गड्ढा होने के कारण एनएच किनारे रहने को विवश हैं । इन महादलित परिवारों का कहना है कि हम लोग अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते- लगाते थक चुके हैं। सड़क किनारे झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। महादलित परिवार को अयोध्यागंज बाजार में 40 फीट गड्ढे में बिहार सरकार द्वारा बसने हेतु जमीन उपलब्ध कराया गया है। जिस गड्ढे में बाढ़ का पानी भरा रहता है। जब हम लोगों ने प्रशासन को बताया कि गड्ढे में कैसे रहेंगे।

तब बताया गया कि मनरेगा से मिट्टी भराई का कार्य किया जाएगा। लेकिन 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक मिट्टी नहीं भराई गई है। हमलोगों को सरकार द्वारा संचालित किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। सुअर पालकर तथा बांस की सामग्री बनाकर जीवन यापन करने को विवश हैं। सड़क के किनारे 11 वर्ष बीत गए। लेकिन हमलोगों को बसने के लिए 40 फीट गड्ढे में बसोवास की जमीन मिली है। लेकिन मिट्टी भाराई का कार्य नहीं किया गया है।

एनएच 31 के किनारे 28 महादलित परिवार रहने को विवश है। सरकार द्वारा हम लोगों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल रहा है। महादलित ठंड में बांस की सामग्री सूप, दौड़ा बेचकर किसी तरह हमलोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं। हमारे परिवार के बच्चे ठीक से पढ़ लिख भी नहीं पाते। सड़क के किनारे अपने बाल बच्चे के साथ किसी तरह जीवन यापन करते हैं। एनएच 31 के किनारे हमेशा खतरा बना हुआ रहता है।

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