Madhepura: ऑनलाइन पढ़ाई में कभी इंटरनेट तो कभी बिजली बन रही बाधक, महज 22 स्कूलों में हो रही ऑनलाइन क्लास

मधेपुरा के केवल 22 स्कूलों में अभी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। मालूम हो कि जिले के 4.94 हजार बच्चे की पढ़ाई कोराना के कारण बाधित हुई है। पिछले एक साल से स्थिति बिगड़ी हुई है। मात्र 62 सौ बच्चे ऑनलाइन पढ़ भी रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 05:45 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 05:45 PM (IST)
Madhepura: ऑनलाइन पढ़ाई में कभी इंटरनेट तो कभी बिजली बन रही बाधक, महज 22 स्कूलों में हो रही ऑनलाइन क्लास
मधेपुरा के केवल 22 स्कूलों में अभी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है।

जागरण संवाददाता, मधेपुरा। शंकरपुर के रंजन यादव कहते हैं कि उनकी बेटी रूचि की पढ़ाई तो हो रही है। लेकिन घर में इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। कम्प्यूटर व लेपटॉप भी नहीं है। स्मार्ट फोन पर इंटरनेट की स्पीड काफी कम रहती है। ऐसे में शिक्षक की बातें कुछ सुनाई देती है कुछ नहीं। ऐसे में कैसे पढ़ाई होगी? समस्या है। उनकी बातें समस्याओं की तस्वीर बयां कर रही थी। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि मधेपुरा जैसे पिछड़े इलाके में कितने छात्र-छात्राओं के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा है। इंटरनेट की समस्या तो है ही बीच-बीच में बिजली की आपूर्ति भी बाधित हो जाती है।

पिछले दिनों यास चक्रवात के दौरान बिजली बाधित हो गइ्र थी। ऐसी स्थिति में बच्चों को पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है। सितंबर 2019 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत इंटरनेट की स्पीड के मामले में विश्व में 128 वें स्थान पर है। ग्रामीण इलाकों की तो हालत और भी बुरी है। शहरों व ग्रामीण इलाकों के छात्रों के बीच यह खाई ऑनलाइन पढ़ाई की राह में सबसे बड़ी बाधा बन गई है। मालूम हो कि जिले के 4.94 हजार बच्चे की पढ़ाई कोराना के कारण बाधित हुई है। पिछले एक साल से स्थिति बिगड़ी हुई है। मात्र 62 सौ बच्चे ऑनलाइन पढ़ भी रही हैं तो उनके सामने भी कई प्रकार की समस्याएं आ रही है। कोई आर्थिक तंगी के कारण मोबाइन नहीं खरीद पा रहे हैं तो कहीं इंटरनेट की समस्या है। मालूम हो कि जिले के सरकारी विद्यालयों में तो ऑनलाइन पढ़ाई शुरू भी नहीं हुई है। सिर्फ 22 निजी विद्यालयों के शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं।

बढ़ी है मोबाइल की बिक्री

मोबाइल दुकानदार सूरज कुमार ने बताया कि कोरोना में लॉकडाउन के दौरान परेशानी हुई। लेकिन जब दुकान खुला था तो मोबाइल की बिक्री में इजाफा हुआ था। ऑनलाइन क्लास के कारण करीब दस प्रतिशत तक मोबाइल की बिक्री बढ़ गई थी।

बच्चे नहीं ले रहे दिलचस्पी

लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों के चलते ऑनलाइन पढ़ाई तो शुरू कर दी गई है। लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई में छात्र अधिक दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं। यही कारण है कि कक्षाओं से सभी छात्र नहीं जुटते हैं। इसके अलावा कहीं इंटररनेट की स्पीड तो कहीं संसाधनों की कमी से भी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शहर के एक विद्यालय के सातवीं के छात्र शुभम कुमार ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान अधिक देर तक मोबाइल देखने से आंखों की समस्या होने लगी है।

फीस की भी हो रही समस्या

ऑनलाइन पढ़ाई में कई समस्या के कारण बच्चें बेहतर नहीं कर पा रहे हैं। आधी-अधूरी पढ़ाई से परेशान अभिभावकों को फीस की भी ङ्क्षचता रहती है। विद्यालय भी लगातार फीस की मांग करते हैं। वाट््सएप ग्रुप भी बदला जाता है। ताकि जिस बच्चे के अभिभावक पैसे देते हैं उन्हें उस बच्चे को ही ग्रुप से जोड़ा जाय।

केस स्टडी 1

शंकरपुर के ओमप्रकाश यादव ने बताया कि उनका पुत्र पांचवी का छात्र है। कोरोना में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हुई है। लेकिन इंटरनेट की समस्या के कारण दिक्कत हो रही है। जूम क्लास के दौरान तो बातें स्पष्ट सुनाई भी नहीं देता है।

केस स्टडी 2

सदर प्रखंड के साहुगढ़ निवासी रमेश कुमार ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई बस नाम का है। बच्चे घंटों मोबाइल पर बैठे रहते हैं लेकिन उनका विकास नहीं हो पा रहा है। विद्यालय जाने से जो फायदा हो रहा था। वह ऑनलाइन में कहां।

केस स्टडी 3

शहर के रौशन कुमार ने बताया कि उनकी पुत्री वर्ग छह में पढ़ रही है। ऑनलाइन पढ़ाई तो कर रही है। लेकिन स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में विद्यालय से फीस के लिए बार-बार मांग की जा रही है। पहले जिस गति से विकास हो रहा था वह रूक गया है।

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