यूरिया के लिए दुकानों पर लग रही किसानों की लंबी लाइन, जानिए जमुई के किसानों की परेशानी

यूरिया के लिए दुकानों पर फ‍िर लंबी लाइन लगने लगी है। किसान सुबह से ही खाद दुकानों पर पहुंच जा रहे हैं इसके बाद भी उन्‍हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। बिहार के जमुई में यूरिया की किल्‍लत से किसानों की...!

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:06 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:06 PM (IST)
यूरिया के लिए दुकानों पर लग रही किसानों की लंबी लाइन, जानिए जमुई के किसानों की परेशानी
यूरिया के लिए दुकानों पर फ‍िर लंबी लाइन लगने लगी है।

संवाद सहयोगी, जमुई। जिले में यूरिया के लिए किसान त्राहिमाम हैं। यूरिया के लिए दुकान-दुकान भटक रहे लेकिन उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रहा है। यूरिया की किल्लत ने किसानों की नींद हराम कर दी है। खेतों में फसल लहलहा रही है। आसमान से फूहारे की तरह बारिश की बूंदें बरस रही है। इसके दौरान अगर धान फसल को यूरिया के रूप में नाइट्रोजन मिल जाए तो बेहतर पैदावार की उम्मीद को पर लग जाएगा। किसान इस उम्मीद से यूरिया के लिए भागम-भाग कर रहे हैं।

बताया जाता है कि दुकान पर यूरिया पहुंचते ही तुरंत खत्म हो जा रहा है। जिस किसान को यूरिया मिलता है वो अपने आप को भाग्यशाली मानता है। हालात यह है कि अहले सुबह से ही किसान उर्वरक दुकान के सामने लाइन लगा रहे हैं। एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड की दुकानों की खाक छान रहे हैं। यह स्थिति जिले के अधिकांश भागों में है। हालांकि बरहट प्रखंड और गिद्धौर प्रखंड में गुरुवार को यूरिया मिल रहा था। इससे किसानों ने राहत की सांस ली। लेकिन लक्ष्मीपुर, खैरा, चकाई में यूरिया की किल्लत बनी थी। किसानों ने बताया कि जितनी यूरिया की जरूरत है उतनी नहीं मिल रही है। कागज पर आवंटन जोड़ा जाता है जबकि खेती का रकवा और दायरा बढ़ गया है। कोरोना के बाद खेती से बिमुख हुए लोगों ने पुन: खेती शुरु कर दी है।

विकल्प के तौर पर नैनो यूरिया का हो सकता उपयोग

जमुई: कृषि विज्ञानी डा प्रमोद कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि यूरिया की किल्लत से निपटने के लिए नैनो यूरिया विकल्प है। किसान नैनो यूरिया को उपयोग कर फसल में नाइट्रोजन आपूर्ति पूरी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है। 500 मिली नैनो यूरिया एक बोरा यूरिया के बराबर काम करता है। एक एकड़ खेत के लिए 500 मिली नैनो यूरिया को 125 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। धान की पत्ती पर छिड़काव होने से सफलतापूर्वक नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है। जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है। नैनो यूरिया के छिड़काव के समय फेस मास्क व दस्ताना किसान जरूर पहनें।

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