'कस्तूरबा' की 16 सौ बेटियों के अरमानों पर लटका ताला

गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवार की करीब 16 सौ बेटियों के अरमानों पर ताला लटक गया है। वे पढ़ना चाहती हैं पर घरों में बैठने को मजबूर हैं क्योंकि राशि आवंटन के अभाव में जिले के सभी 16 कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ाई बंद हो चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 01:20 AM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 01:20 AM (IST)
'कस्तूरबा' की 16 सौ बेटियों के अरमानों पर लटका ताला
'कस्तूरबा' की 16 सौ बेटियों के अरमानों पर लटका ताला

भागलपुर। गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवार की करीब 16 सौ बेटियों के अरमानों पर ताला लटक गया है। वे पढ़ना चाहती हैं, पर घरों में बैठने को मजबूर हैं, क्योंकि राशि आवंटन के अभाव में जिले के सभी 16 कस्तूरबा विद्यालयों में पढ़ाई बंद हो चुकी है।

जिन पर व्यवस्था के संचालन की जवाबदेही है, उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं कि स्कूल खुले भी हैं या नहीं। करीब 16 सौ छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो चुकी है। दरअसल, इन विद्यालयों के वार्डन, शिक्षक व कर्मियों को अप्रैल से ही वेतन नहीं मिला है। राशन, स्टेशनरी सहित अन्य चीजों की आपूर्ति करने वाली एजेंसियों ने भी भुगतान नहीं होने के कारण सामान देना बंद कर दिया है।

कस्तूरबा विद्यालय में बीपीएल परिवार की लड़कियों का दाखिला लिया जाता है। इनकी पढ़ाई से लेकर रहने-खाने तक की व्यवस्था सरकार करती है। राशि का आवंटन नहीं होने के कारण स्कूल बंद हो चुके हैं।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, सबौर की वार्डेन प्रियंका ने बताया कि उनलोगों को अप्रैल से वेतन नहीं मिला है। बिजली का भी 81 हजार रुपये बकाया है। विद्यालय का बिजली कनेक्शन कभी भी कट सकता है। राशन व अन्य सामानों की आपूर्ति करने वाली एजेंसी का पांच लाख रुपये से ज्यादा बकाया है। एजेंसी ने आपूर्ति बंद कर दी है, तो छात्राओं को भोजन-पानी कहां से मिलता। वे घर चली गई।

पिछले आठ माह से वेतन नहीं मिलने से नाराज सभी वार्डनों ने वरीय अधिकारियों को सामूहिक रूप से आवेदन भी दिया है। जगदीशपुर की वार्डन फूल कुमारी, नाथनगर की कुमारी रिमझिम, पीरपैंती की बबिता सिन्हा आदि ने बताया कि वेतन नहीं मिलने से उनलोगों के घर की भी माली हालत खराब हो गई है।

जिले के 16 कस्तूरबा विद्यालयों में वर्ग छह से आठ तक की पढ़ाई होती है। आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक बच्चियों को निजी विद्यालयों में पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं। यह विद्यालय उनके लिए बहुत बड़ी उम्मीद है। वे हर दिन विद्यालय आते हैं और पढ़ाई शुरू होने की बाबत पूछते हैं। इसका जवाब नहीं मिल रहा कि पढ़ाई कब से शुरू होगी।

-------------------

कस्तूरबा विद्यालय में राशि के अभाव में छात्राओं को नहीं रखा जा रहा है। इसकी जानकारी जिला स्तर पर वरीय पदाधिकारियोंको दी गई है। आवंटन प्राप्त होने के बाद ही विद्यालय का संचालन संभव है।

अनिता कुमारी, संचालिका, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, सबौर

------------------

सरकार को कस्तूरबा विद्यालय की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है। मुख्यालय से जल्द आवंटन प्राप्त हो, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। आवंटन मिलते ही फिर से पढ़ाई शुरू हो जाएगी।

मधुसूदन पासवान, जिला शिक्षा पदाधिकारी

chat bot
आपका साथी