TMBU की करोड़ों की जमीन पर भू-माफिया की नजर, जमीन की रसीद अपडेट नहीं होने का उठा रहे फायदा

टीएमबीयू की करोड़ों की जमीन पर भू माफ‍िया की नजर है। वे इसे गलत तरीके से खरीद-बिक्री करने के फ‍िराक में हैं। जमीन की रसीद अपडेट नहीं होने का वे लोग फायदा उठा रहे हैं। हालांक‍ि व‍िव‍ि की ओर से इस पर...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 10:08 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 10:08 AM (IST)
TMBU की करोड़ों की जमीन पर भू-माफिया की नजर, जमीन की रसीद अपडेट नहीं होने का उठा रहे फायदा
टीएमबीयू की करोड़ों की जमीन पर भू माफ‍िया की नजर है।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) की 22 बीघा जमीन पर फिर से भू-माफिया की नजर है। उन लोगों द्वारा जमीन की कीमत भी लगाई जाने लगी है। जमीन की रसीद तत्कालीन कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे के समय कटाई गई थी, किंतु दोबारा रसीद को अपडेट नहीं कराया गया। इस वजह से भू-माफिया सक्रिय हो गए हैं। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि उस जमीन पर कुछ दिनों से स्कार्पियो सवार कुछ लोगों की गतिविधियां हो रही हैं।

मंगलवार को सीनेट सदस्य डा. मृत्युंजय सिंह गंगा ने प्रतिकुलपति प्रो. रमेश कुमार से मुलाकात की। प्रतिकुलपति को इस जमीन के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने सीनेट सदस्य से जमीन की शुरुआती स्थिति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद प्राक्टर डा. रतन मंडल और इस्टेट शाखा के कर्मी अमित कुमार को बुलाया। प्राक्टर ने प्रतिकुलपति से कहा कि कुछ दिन पूर्व उन्हें जमीन को लेकर कुछ लोगों से जानकारियां मिली थीं। अब इस मामले में वह छानबीन करेंगे। प्रतिकुलपति को जानकारी दी गई कि कुछ दिन पूर्व 22 बीघा से संबंधित फाइल कुलसचिव ने मंगवाई गई थी।

कुलसचिव डा. निरंजन प्रसाद यादव ने कहा कि 22 बीघा जमीन से संबंधित वस्तुस्थिति की जानकारी के लिए फाइल मंगाई गई थी। इस मामले में जमीन पर कुछ लोगों ने दावा किया है, जिस पर विश्वविद्यालय संबंधित प्लेटफार्म पर अधिवक्ता के माध्यम से पक्ष रखी जा रही है। इससे संबंधित फाइल को विवि के अधिवक्ता को सौंपा गया है।

दरअसल, 2016 में सीनेट सदस्य डा. मृत्युंजय ङ्क्षसह गंगा द्वारा 22 बीघा जमीन पर कुछ लोगों द्वारा किए गए दावे को उजागर किया गया था। डा. गंगा की मांग पर जब जांच हुई तो इस मामले में कई कर्मियों पर कार्रवाई हुई थी। साथ ही जमीन पर दावा करने वाले लोगों को कागजी कार्रवाई में झटका लगा था। विवि ने मामला सुलझने के बाद जमीन की घेराबंदी करा दी थी। साथ ही विवि के नाम से म्यूटेशन के बाद रसीद कटाई गई, ङ्क्षकतु एक बार फिर से उस जमीन को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हंै।

22 बीघा जमीन से संबंधित जानकारी नहीं थी। सीनेट सदस्य की जानकारी के बाद मामले की समीक्षा की जाएगी। विवि के इस्टेट, लीगल शाखा और कुलसचिव कार्यालय से जानकारी मांगी गई है। इस मामले में किसी तरह की लापरवाही नहीं होगी। - प्रो. रमेश कुमार, प्रतिकुलपति टीएमबीयू  

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