केवल नाम का रह गया हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, महेशखूंट में एक भी दिन नहीं आते हैं डाक्टर

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सुविधाओं का टोटा है। खगडिय़ा के महेशखूंट अस्पताल परिसर में पशु बांधे जाते हैं। दबंगों के डर से कोई रोकने-टोकने वाला नहीं हैं। सफाई कर्मचारी दिन भर यहां सूप बुनते रहते हैं। जिससे अस्पताल परिसर में...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 04:23 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 04:23 PM (IST)
केवल नाम का रह गया हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, महेशखूंट में एक भी दिन नहीं आते हैं डाक्टर
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सुविधाओं का टोटा है।

संवाद सूत्र, महेशखूंट (खगडिय़ा)। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र महेशखूंट को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का दर्जा मिल चुका है। लेकिन इस अस्पताल का Óहेल्थÓ नहीं सुधरा है। अपितु दिनोंदिन व्यवस्था बिगड़ती ही जा रही है। जबकि इससे महेशखूंट समेत आसपास के कई पंचायतें जुड़ी हुई है।

यहां समस्याओं का अंबार है। अस्पताल एनएच 31 के किनारे हैं। परंतु, संपर्क पथ जर्जर है। अतिक्रमण के कारण अस्पताल परिसर से होकर आम रास्ता है। परिसर में पशु बांधे जाते हैं। दबंगों के डर से कोई रोकने-टोकने वाला नहीं हैं। सफाई कर्मचारी दिन भर यहां सूप बुनते रहते हैं। जिससे अस्पताल परिसर में बांस की कमानी व कचरा पसरा रहता है।

यहां कर्मियों की घोर कमी है। महेशखूंट चौक से कुछेक सौ मीटर पूरब एनएच 31 के किनारे अवस्थित यह अस्पताल अतिक्रमण की चपेट में है। चारों ओर गंदगी का आलम है। यहां पेयजल तक की सुविधा नहीं है। विभागीय नियम के तहत सरकारी अस्पताल के दो सौ गज के दायरे में कोई निजी नर्सिंग होम नहीं रहना चाहिए।

लेकिन लगभग 50 मीटर की दूरी पर नर्सिंग होम संचालित है। इस ओर विभागीय अधिकारियों का ध्यान नहीं है। मालूम हो कि महेशखूंट में फर्जी नर्सिंग होम, क्लिनिक और जांचघर का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। सूत्रों के अनुसार विभागीय अधिकारी अस्पताल विजिट के क्रम में सब देखते हैं, मगर चुप्पी साधे हुए रहते हैं।

चारदीवारी नहीं रहने से अस्पताल होकर आम रास्ता है। चिकित्सकों के लिए बने क्वार्टर दो दशक से जर्जर है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. गुफरान ने कहा कि समय- समय पर तमाम जानकारियां वरीय अधिकारियों को दी जाती रही है।

अस्पताल में तीन चिकित्सक पदस्थापित हैं। जिसमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. गुफरान प्रत्येक दिन आते हैं। जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार दो चिकित्सकों के दर्शन दुर्लभ हैं। कहने का मतलब एक चिकित्सक के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है। एक मात्र प्रयोगशाला प्रावैद्यिकी उमेश कुमार झा का भी ताबादला सदर अस्पताल हो गया है।

अब यह पद भी रिक्त है। यहां पर क्लर्क, फार्मासिस्ट, कंपाउंडर, सामान्य प्रयोगशाला प्रावैद्यिकी, निबंधक, दवा वितरक, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी तक नहीं है। भगवान भरोसे अस्पताल चल रहा है। आउट सोर्सिंग के चिरंजीवि कुमार रोगियों का निबंधन से लेकर दवा तक का वितरण करते हैं।

महेशखूंट थानाध्यक्ष नीरज कुमार ठाकुर ने कहा कि एनएच-31, एनएच-107 और महेशखूंट-अगुवानी पथ महेशखूंट होकर गुजरती है। बराबर दुर्घटना घटती रहती है। लेकिन महेशखूंट हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में समुचित सुविधा नहीं रहने के कारण दुर्घटना में घायल व्यक्ति को यहां से आठ किलोमीटर दूर रेफरल अस्पताल गोगरी भेजना पड़ता है। समय पर इलाज नहीं होने के कारण कई बार घायल व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो जाती है।

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