Kundghat Reservoir Project : 13 साल बाद भी काम नहीं हो सका पूरा, 5000 एकड़ भूमि की होगी सिंचाई, 210 करोड़ रुपये होंगे खर्च

कुंडघाट जलाशय परियोना का काम 13 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका। इस परियोजना के पूरा हो जाने से इलाके के किसानों के घर खुशहाली आ जाएगी। इससे करीब पांच हजार एकड़ सिंचाई की क्षमता है। लेकिन अब तक...!

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 04:04 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 04:04 PM (IST)
Kundghat Reservoir Project : 13 साल बाद भी काम नहीं हो सका पूरा, 5000 एकड़ भूमि की होगी सिंचाई, 210 करोड़ रुपये होंगे खर्च
कुंडघाट जलाशय परियोना का काम 13 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका।

संवाद सहयोगी, जमुई। कुंडघाट जलाशय परियोजना से किसानों की आस इस खरीफ सीजन भी पूरी नहीं होगी। लिहाजा तकरीबन 5000 एकड़ में एक बार फिर भगवान भरोसे धान की खेती होगी। दरअसल, 24 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिकंदरा के दक्षिणी पश्चिमी इलाके के लिए चिर प्रतिक्षित मांग कुंडघाट जलाशय परियोजना का शिलान्यास किया था। तब उन्होंने 2010 विधानसभा चुनाव से पहले परियोजना पूर्ण करा लेने का वादा भरी सभा में तत्कालीन सिंचाई मंत्री विजेंद्र यादव से कराया था।

यह योजना अब भी अधूरी है। यह स्थिति तब है जब इसी इलाके में अवस्थित भगवान महावीर की जन्मस्थली तकरीबन हर वर्ष मुख्यमंत्री का आना निश्चित है। बड़ी बात यह है कि योजना के क्रियान्वयन में अब तक दो एजेंसिंयां बदली जा चुकी हैं। कहा तो जाता है कि चहेतों के ठेकेदारी विवाद में मामला उलझा है। लिहाजा 2020 के लाकडाउन से कार्य ठप पड़ा है। इस बीच 46 करोड़ की परियोजना 210 करोड़ के आंकड़े को छू गई है। हालांकि प्रशासनिक स्वीकृति 185 करोड़ की मिली है। फिलहाल मामला पटना हाईकोर्ट में है। सुनवाई पूरी होने के बाद ही आगे की मंजिल तय हो पाएगी। इधर एजेंसी ने कहा है कि बगैर किसी उचित कारण के चार करोड़ की राशि का भुगतान लंबित रखने तथा कार्यमुक्त करने की कोशिश के खिलाफ उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

13 वर्षों में भगवान राम और पांडव का भी खत्म हुआ था वनवास

इलाके के किसान चमारी महतो, डम्मर केवट, सुरेंद्र यादव, महादेव यादव, गिरीश ङ्क्षसह, शिव कुमार यादव, हरदेव ङ्क्षसह आदि कुंडघाट की अधूरी दास्तान पर तंज कसते हुए कहते हैं कि 13 वर्षों में तो भगवान राम और पांडव का भी वनवास समाप्त हो गया था। पता नहीं कुंडघाट जलाशय परियोजना से किसानों की आस कब पूरी होगी।

परियोजना एक नजर में

कमांड एरिया - 5030 एकड़

कैचमेंट एरिया - 14720 एकड़

बांध की ऊंचाई - 33 मीटर

डैम की लंबाई - 351 मीटर

डैम की चौड़ाई - 300 मीटर

कमांड एरिया

परियोजना से मथुरापुर और गोखुला फतेहपुर पंचायत का पूर्ण भाग तथा भूल्लो, कुमार और मिर्जागंज का अंश भाग लाभान्वित होगा।

एनओसी के पेंच से भी कार्य हुआ प्रभावित

2010 में वशिष्ठा कंपनी से इकरारनामा के बाद पांच वर्षों तक वन विभाग से एनओसी के पेंच में मामला फंसा रहा। 2018 में विजेता इंजिकाम को कार्य आवंटित होने के बाद राज्य स्तरीय पर्यावरणीय स्वच्छता समिति से एनओसी के चक्कर में जनवरी 2019 से सितंबर माह तक लगभग नौ महीना परियोजना का कार्य ठप रहा।

कुंडघाट जलाशय परियोजना मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है। न्यायालय के फैसले के बाद ही आगे की कार्रवाई संभव है। -नरेश कुमार चौधरी, कार्यपालक अभियंता ङ्क्षसचाई प्रमंडल, सिकंदरा।  

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