जानिए नागी-नकटी झील के बारे में जहां हो रहा बिहार का पहला राजकीय पक्षी महोत्सव

जमुई का नागी-नकटी झील बिहार के पहले राजकीय पक्षी महोत्सव का गवाह बनने जा रहा है। यहां साइबेरियन सहित अन्य प्रवासी और देशी पक्षियों के लगभग 150 प्रजातियां जाड़े के मौसम में इस जलाशय में डेरा डालते हैं। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 03:31 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 03:31 PM (IST)
जानिए नागी-नकटी झील के बारे में जहां हो रहा बिहार का पहला राजकीय पक्षी महोत्सव
जमुई का नागी-नकटी झील बिहार के पहले राजकीय पक्षी महोत्सव का गवाह बनने जा रहा है।

जागरण संवाददाता, जमुई। आकाश में स्वच्छंद विचरण करने वाले देशी-विदेशी पक्षियों के आगमन और परिभ्रमण ने झाझा प्रखंड को खास बना दिया है। झाझा स्थित नागी आश्रयणी स्थल में देशी-विदेशी पक्षियों के कलरव की गूंज से नागी सहित आसपास का स्थल चहक उठा है। यह स्थल पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण के केंद्र बनने के साथ-साथ पक्षियों के अध्ययन के लिए खास महत्वपूर्ण बन गया है। पक्षी विशेषज्ञों की टीम लगातार भ्रमण कर रही है तो शासन व प्रशासन भी इसे संवारने में जुट गया है। इसी के तहत नागी पक्षी आश्रयणी स्थल शुक्रवार को बिहार का पहला राजकीय पक्षी महोत्सव का गवाह बन जाएगा। महोत्सव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित उपमुख्यमंत्री व अन्य मंत्री शामिल होंगे।

150 प्रजाति के पक्षियों से गुलजार है नागी

साइबेरियन सहित अन्य प्रवासी और देशी पक्षियों के लगभग 150 प्रजातियां जाड़े के मौसम में इस जलाशय में डेरा डालते हैं। इसमें लिटल ग्रेबे, लिटल कार्मोरेंट, ग्रेहेरॉन, पर्पल हेरॉन, इंडियन पाण्ड्स हेरॉन, केटल एग्रेट, लिटल एग्रेट, सर्बियन क्रेन, डामी डेथ, पोचार्ड, लालसर, ओपन बिल स्टाप, काली गर्दन वाली पनडुब्बी, छोटी पनडुब्बी, वन कौआ आदि प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। लिहाजा दिल्ली, कोलकाता, पटना, भागलपुर, मुंगेर समेत देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक व पक्षी प्रेमी यहां पहुंचने लगे हैं।

नवंबर में आने लगते हैं पक्षी

यहां नवंबर माह से मेहमान पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है और यह सिलसिला अप्रैल माह तक जारी रहता है। सर्दी बढऩे के साथ इनकी संख्या में भी वृद्धि होती है।

नागी-नगटी की भौगोलिक जानकारी व इतिहास

नागी - नकटी पक्षी विहार करीब 521 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। बताया जाता है कि ङ्क्षसचाई योजना के रूप में नागी - नकटी जलाशय का शिलान्यास 1955 - 56 में किया गया। उस समय तीन करोड़ की लागत से निमार्ण कार्य प्रारंभ किया गया था। कार्य पूरा होने के बाद नागी - नकटी डैम से करीब 9850 एकड़ जमीन को पानी दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। बाद में सरकार ने पक्षियों की हितों की रक्षा के लिए सन 1972 में धारा 18 के अंतर्गत नागी - नकटी जलाशय और आस - पास के क्षेत्र को शिकार रहित क्षेत्र घोषित करते हुए यहां जीव हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। 25 फरवरी 1984 को सरकार ने पक्षी अभ्यारण के रूप में नागी - नकटी डैम को स्वीकृति दी थी।

बनाया जाएगा टापू

सरकार द्वारा पर्यटक एवं प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए जलाशय में 10 आइलैंड (टापू) का निर्माण कराए जाने की स्वीकृति देने की बात बताई जाती है। जमुई वन प्रमंडल इस कार्य को अमलीजामा पहनाएगा। विभाग की ओर से पक्षियों का बसेरा बनने के लिए टापू पर गूलर और जामुन के पेड़ लगाए जाएंगे। वृक्ष जहां उनका बसेरा होगा वहीं फल का इस्तेमाल वे भोजन के रूप में करेंगे।

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