जानिए बिहार के यूरोपियन कालोनी के बारे में, सीमांचल में यहीं पर था ब्र‍िटिश अफसरों का ठिकाना, अब रहते हैं इंडियन

बिहार में आज भी यूरोपिय कालोनी मौजूद है। यहां पर कभी सीमांचल में आने वाले तमाम ब्रिटिश अफसरों का बसेरा हुआ करता था लेकिन आज यहां पर इंडियन रहते हैं। यहां का इतिहास आज भी उन तमाम चीजों को...!

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 05:54 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 05:54 PM (IST)
जानिए बिहार के यूरोपियन कालोनी के बारे में, सीमांचल में यहीं पर था ब्र‍िटिश अफसरों का ठिकाना, अब रहते हैं इंडियन
बिहार में आज भी यूरोपिय कालोनी मौजूद है।

पूर्णिया [प्रकाश वत्स]। पूर्णिया शहर के इस कालोनी में भले ही अब भारतीय लोगों का बसेरा है, लेकिन आज भी यह कालोनी यूरोपियन कालोनी के नाम से ही जाना जाता है। सरकारी दस्तावेज में भी इस कालोनी का यही नाम अब भी दर्ज है। बिट्रिश कालीन इतिहास को आंचल में छुपाए यह कालोनी बरबस ही लोगों का ध्यान आकर्षित करती है।पूर्णिया-श्रीनगर पथ के पूरब इंदिरा गांधी स्टेडियम के लगभग सामने यह कालोनी अवस्थित है। खंडहरों की कतार अब बहुमंजिला इमारतों से ढक चुका है।

पूर्णिया के जिला बनने के समय से है कालोनी का अस्तित्व

इस कालोनी के नाम के पीछे इतिहास दफन है। जानकारी के अनुसार इस कालोनी का अस्तित्व पूर्णिया के जिला बनने के समय से है। बता दें कि बिट्रिश शासन काल में 14 फरवरी 1770 को पूर्णिया को जिला का दर्जा दिया गया था। 14 फरवरी को ही पूर्णिया के प्रथम कलक्टर के रुप में जी जी जुखरैल ने यहां अपना योगदान दिया था। पूर्णिया को जिला बनाने के लिए यहां आधारभूत संरचना के विकास के क्रम में इसी कालोनी में कलक्टर समेत तमाम वरीय अधिकारियों के आवास का निर्माण कराया गया था। योगदान के बाद जी. जी जुखरैल भी यहां बने आवास में डेरा जमाया था।

इसके अलावा अन्य तमाम वरीय अधिकारियों का आवास भी इसी कालोनी में हुआ करता था। पूर्णिया जिला की स्थापना दिवस की खोज करने वाले स्व. डा. रामेश्वर पांडेय के सानिध्य में रहे आदित्य नाथ झा के अनुसार डा. पांडेय ने अपने कई संस्मरण में भी इस कालोनी का उल्लेख्य किया है। बिट्रिश अधिकारियों के आवास के कारण बाद में लोग भी इसे यूरोपियन कालोनी के नाम से पुकारने लगे और इस कालोनी की पहचान यूरोपियन कालोनी के रुप में ही रह गई।

अधिकारियों के घोड़ों का चारागाह हुआ करता था रंगभूमि मैदान

इस कालोनी के सामने मौजूद रंगभूमि मैदान कभी इस कालोनी में रहने वाले बिट्रिश अधिकारियों के घोड़ों का चारागाह हुआ करता था। यातायात की दुरुह समस्या के कारण उस दौरान घोड़ा ही यातायात का सुलभ साधन हुआ करता था। पुलिस व सैन्य बलों की भी घुड़सवार टुकड़ी हुआ करती थी। अधिकारियों की सुरक्षा में रहने वाले बलों सहित अधिकारियों के आने-जाने के लिए रखे गए घोड़ों के लिए यह सुलभ चारागाह होता था।

बुनियादी सुविधाओं के मामले में समृद्ध है कालोनी

फिलहाल यूरोपियन कालोनी बुनियादी सुविधाओं के मामले में काफी समृद्ध है। मोहल्ला वासी निरंजन कुशवाहा कालोनी की अवस्थिति कमोवेश शहर के बीचोबीच व मुख्य पथ के बगल में है। यह यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी सुविधा है। कोर्ट स्टेशन व बस पड़ाव से लगभग समान दूरी पर यह कालोनी अवस्थित है। बच्चों के खेल-कूद सहित लोगों के लिए मार्निंग वाक के लिए इंदिरा गांधी स्टेडियम व रंगभूमि मैदान का होना सोने पर सुहागा है।

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