अध्ययन प्रवास अभियान के तहत भागलपुर पहुंचे गोविंदाचार्य, बोले- सत्ता नहीं, संस्कार से होगा देश का विकास

अध्ययन प्रवास अभियान के तहत केएन गोविंदाचार्य भागलपुर पहुंचे। उन्‍होंने भागलपुर में गंगा पूजन किया। इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि रामराज्य की परिकल्पना है अयोध्या में मंदिर निर्माण। उन्‍होंने कहा वे केंद्र सरकार को अक्‍सर सुझाव देते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 08:39 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:39 PM (IST)
अध्ययन प्रवास अभियान के तहत भागलपुर पहुंचे गोविंदाचार्य, बोले- सत्ता नहीं, संस्कार से होगा देश का विकास
आनंदराम ढांढनिया सरस्वती विद्या मंदिर भागलपुर में केएन गोविंदाचार्य।

भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक, चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य ने सोमवार को कहा है कि तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के अलावा राम मंदिर व नई शिक्षा नीति आदि कुछ बड़े काम हुए हैं। इसके बारे में पहले सिर्फ चर्चा हुआ करती थी, लेकिन अब बदलाव हुए हैं। इससे उत्साह है। यह नरेंद्र मोदी सरकार का सांस्कृतिक और साहसिक कदम है। इससे देश का आत्मविश्वास बढ़ा है।

केएन गोविंदाचार्य एक सितंबर से अध्ययन प्रवास पर हैं। उन्‍होंने देव प्रयाग से इस अभियान की शुरुआत की। दो अक्‍टूबर को गंगा सागर में उनकी यात्रा संपन्‍न होगी। इसी क्रम में वे रविवार को भागलपुर पहुंचे। सोमवार को वे संवाददाताओं के समक्ष अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प अच्छा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के साथ ही देश में रामराज्य स्थापित हो गया। शिलान्यास के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीताराम का उद्घोष करना भी इसी का संकेत है।

उन्‍होंने बरारी सीढ़ी घाट पहुंचकर मां गंगा का पूजन और आरती की। वहां उन्‍होंने गंगा तट के आसपास रह रहे लोगों से बातचीत की। साथ ही गंगा स्‍नान करने आए श्रद्धालुओं को कई जानकारियां दी। 

आनंदराम ढाढानियां सरस्वती विद्या मंदिर में उन्होंने एक व्याख्यान में भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सत्ता से नहीं, बल्कि संस्कार से देश का विकास होगा। बिना संस्कारों के भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं। गंगाजी और गोमाता की चिंता किए बगैर स्वदेशी विकास संभव नहीं है। यहां की परंपरा और कृषि को मजबूत करने की जरूरत है। केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत की वकालत करती है, लेकिन आत्मा के बिना आत्मनिर्भर भारत कैसे होगा। भारत की आत्मा गंगा और गाय है। यहां की संस्कृति है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि शासन और प्रशासन में बैठे लोगों को इस पर विचार करना चाहिए कि योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले। हर हाथ को काम मिले। 2003 से सक्रिय राजनीति से अलग होने के बावजूद वे केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में टोका-टोकी जरूर करते हैं। बाद में उन्होंने कहा कि भागलपुर ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते भागलपुर में कई माह रहे थे। पूरणमल बाजोरिया, शंकर लाल बाजोरिया, जगदीश उपाध्याय, जगदीश यादव, सरयुग पासवान और कामेश्वर यादव का जिक्र करते हुए कहा कि इन लोगों ने यहां बहुत कुछ सिखाया है। उन्होंने कहा कि वे आजीवन स्वयंसेवक रहेंगे। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन से वे काफी प्रभावित हैं। इस अवसर पर उन्‍होंने देवराहा बाबा को भी याद किया। व्याख्यान कार्यक्रम में आरएसएस के जिला संघचालक प्रो. राणा प्रताप सिंह, उत्कर्ष अमृत, प्रो. सुनील कुमार चौधरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजीव कुमार सिंह ने किया।

केएन गोविंदाचार्य ने बूढ़ानाथ पहुंचकर बाबा वृद्धेश्वरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

इस अवसर पर सुरेंद्र पाठक, नभय चौधरी, हरिवंश मणि सिंह, राकेश सिन्हा, पवन गुप्‍ता, हरविंद नारायण भारती, विष्‍णु वर्मा, योगेश पांडेय, कामेश्वर यादव, प्‍यारे हिंद, शशि, प्रो मधुसूदन झा, दीपक घोष, श्रीधर मिश्र, मनोहर कुमार, नीरज शुक्‍ला, दीपक साह, देवेंद्र चौधरी, प्रो ब्रजभूषण तिवारी, सुरेश साह, प्रो अक्षय मिश्र, गोविंद बाजो‍रिया, सुबोध विश्‍वकर्मा, अनंत कुमार सिन्‍हा, रविशंकर पांडेय, पंकज उपाध्याय, अमरेंद्र नारायण चौधरी आदि उपस्थित थे।

केएन गोविंदाचार्य ने सभी को शुभकामना देते हुए कहा कि प्रकृति केंद्रित विकास पर आत्मनिर्भर भारत भेद-भाव से मुक्त राम-राज्य की ओर बढ़ें, यही उनकी मनोकामना है। 

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